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विभाजन और हि्स्से पर पृथक कब्जा दिलाए जाने का दीवानी वाद संस्थित करें।

rp_property.jpgसमस्या-

अजय कुमार ने फरीदाबद, हरियाणा से भेजी है कि-

मस्या मेरे एक संबंधी की है। व्यक्ति के द्वारा ख़रीदे गए मकान पर उस की आकस्मिक मृत्यु के बाद किस का अधिकार है? व्यक्ति का परिवार इस प्रकार है – पत्नी, एक पुत्र, दो पुत्रियां (एक विवाहित, एक अविवाहित) अभी उस मकान में व्यक्ति का पुत्र रहता है जो अपनी माँ और बहनो को रखने को तैयार नहीं है। पुत्र का पहले का आपराधिक रिकॉर्ड है। ऐसे में बेटियों को और उनकी माँ क्या करना चाहिए?

समाधान-

किसी व्यक्ति द्वारा खरीदा गया मकान उस की स्वअर्जित संपत्ति है। उस के देहान्त के उपरान्त उस का उत्तराधिकार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार उस के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगा। अर्थात व्यक्ति के देहान्त के उपरान्त से ही उक्त संपत्ति में उस की पत्नी, एक पुत्र व दोनों पुत्रियों में से प्रत्येक को एक चौथाई हिस्सा प्राप्त हो चुका है। सभी चारों उस संपत्ति के संयुक्त रूप से स्वामी हैं। पुत्र उस मकान में निवास करता है इस कारण से उस के पास उस मकान का कब्जा है।

इस मकान पर पुत्र का कब्जा होते हुए भी उसे सभी चारो उत्तराधिकारियों का संयुक्त रूप से कब्जा माना जाएगा। माँ और दोनों पुत्रियाँ इस संपत्ति का विभाजन कराने और अपने अपने हिस्से का पृथक कब्जा  दिलाने के लिए दीवानी वाद संस्थित कर सकते हैं। इसी दीवानी वाद में इस तरह का आवेदन दिया जा सकता है कि उक्त संपत्ति के लिए रिसीवर की नियुक्ति की जाए जो कि उस संपत्ति के लाभों को एकत्र कर के रखे जिसे बाद में न्यायालय के आदेश से वितरित कर दिया जाए। इस आशय का अस्थाई व्यादेश जारी करने का आवेदन भी न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है कि उक्त संपत्ति का कब्जा पुत्र किसी अन्य को हस्तांतरित न करे और न ही किसी तरह संपत्ति और उस के स्वामित्व को हानि पहुँचाए।

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