विवाद को हल करने के लिए संभव हो तो काउंसलर्स की मदद लें।
|दिनेश कुशवाहा ने गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
विवाह को 2 साल हो चुके हैं। एक स्टेच्यूटरी बॉडी (अटॉनमस बॉडी अंडर मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स) में क्लास ई ऑफीसर हूँ। आपसी मनमुटाव/ वैचारिक मतभेद के कारण हम एक ही घर में अलग अलग रहते हैं। (खाना सोना, बर्तन सब कुछ अलग)। एक बेटी भी है जो कि 1 साल की हो चुकी है। बहुत प्रयासों के बाद भी मन नहीं मिल सके। वो मेरे माता पिता, भाई बहन को कोसती रहती है सारा दिन। पिछले 6 महीने से फिज़िकल रीलेशन भी नहीं है। ज़बरदस्ती करता हूँ तो कहती है कि मेरीटल रेप का केस कर देगी। एक बार इस कारण से उसने गाज़ियाबाद पुलिस को फोन कर दिया, पुलीस ने आकर समझौता करा दिया और एक कॉपी अपने साथ लेकर समझा बुझा कर चली गयी। मेरा जीना दूभर हो गया है। मैं बीवी से तलाक़ लेना चाहता हूँ। वो कहती है की एक बार एफआईआर करा दूँगी तो दहेज केस, डोमेस्टिक क्रूएल्टी आदि में अंदर चला जाएगा और नौकरी भी चली जाएगी। मैं बहुत डरा हुआ रहता हूँ। डर है कि ये हालत मुझे बीमार बना देंगे। आप कोई रास्ता सुझाएँ। क्या 498ए डोमेस्टिक वायलेंस आदि से क्या नौकरी जा सकती है? क्या मुझे तलाक़ मिल सकता है? वह मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है।।
समाधान-
आप ने अपनी समस्या तो बता दी, लेकिन मनमुटाव/ वैचारिक मतभेद कहने से समस्या स्पष्ट नहीं हुई। ये मनमुटाव या वैचारिक मतभेद किस प्रकार के हैं उन का विवरण आप को देना चाहिए था। पत्नी का जो व्यवहार आप ने बताया है उस का भी कोई कारण तो रहा होगा या वह बताती होगी। यदि आप तलाक लेना चाहते हैं तो केवल और केवल उन्हीं आधारों पर ले सकते हैं जो आधार हिन्दू विवाह अधिनियम विवाह विच्छेद के लिए अनुमत करता है। इन आधारों की आप को तीसरा खंबा में सर्च करने पर मिल जाएगी। बिना विस्तृत तथ्यों के इन आधारों का पता लगाया जाना संभव नहीं है।
भारत में मेरीटल रेप जैसा कोई अपराध नहीं है, जिस में किसी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता हो। लेकिन किसी विवाहित स्त्री के साथ क्रूरता अवश्य दंडनीय अपराध है। यदि आप की पत्नी किसी मामले में आप के विरुद्ध कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराती है और पुलिस को साक्ष्य से लगता है कि आप ने कोई अपराध किया है तो आप की गिरफ्तारी हो सकती है और आप पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
लेकिन यदि आप स्वयं निर्दोष हैं तो आप के डरने का कोई कारण नहीं है। आप को अपने पारिवारिक विवाद की सूचना आप के नियोजक को देनी चाहिए। जिस से बाद में किसी तरह मामला न्यायालय में जाने पर आप की नौकरी पर प्रभाव कम से कम हो। आप का नियोजक वैवाहिक विवाद या अपराध के कारण आप को नौकरी से निकाल सकता है या नहीं यह आप की सेवा शर्तों से तय होगा। जिस की जानकारी हमें नहीं है, न आप ने दी है।
हमारा सुझाव है कि आप को कोई भी कानूनी कार्यवाही करने के पूर्व संभव हो सकते तो काउंसलर्स की मदद से काउंसलिंग का उपयोग करना चाहिए। इस संबंध में आप जिला न्यायालय स्थित विधिक सेवा प्राधिकरण की मदद ले सकते हैं। तुरन्त न्यायालय में न्यायिक पृथक्करण के लिए आवेदन करना चाहिए। आप किसी वकील से परामर्श का शुल्क देने में सक्षम हैं और आप को इस के लिए पहले किसी अच्छे और विश्वसनीय स्थानीय वकील से स्वयं मिल कर सारे तथ्य बताते हुए सलाह करनी चाहिए और आगे कदम उठाना चाहिए।