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विवाद होने पर बेटी को जबरन ससुराल जाने के लिए न समझाएँ, विवाद के हल का प्रयत्न करें।

rp_anxietysymptoms4.jpgसमस्या-
मोनिका राठौर ने रावतभाटा, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मेरी दीदी की शादी झालावाड में मई 2013 में हुई थी। शादी के 7-8 दिनों के बाद से ही दीदी को उसके पति, और सास-ससुर हर जरा जरा सी बात के लिए टोर्चर करने लगे। पर वह यह सोचती रही कि धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। मैं इनके परिवार वालों के साथ में ढल जाउगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। ये लोग दीदी को अन्‍दर ही अन्‍दर परेशान करने लगे। हम लोग उसे कालॅ करते बात करने के लिए तो वह लोग बात नहीं करने देते थे और कुछ ना कुछ बहाने बनातें रहते थे। हम लोगों ने उसे जो बात करने के लिए मोबाईल दे रखा था तो वो भी उन्‍होनें बन्‍द करवा दिया। इतना कुछ हो जाने के बाद भी दीदी ने हमें कुछ नहीं बताया क्‍यों कि वह नहीं चाहती थी कि उसका परिवार बिगड़े। धीरे-धीरे बात बढ़ती गई। वह उस पर गलत गलत आरोप लगाने लग गयें। जैसे कि इसके तो रातो रात कॉल आतें हैं। यह काम नहीं करती है। किसी का कहना नहीं मानती है। सभी से हँस कर बात करती है। इस तरह तर‍ह की बाते करने लगे कि जिसका कोई मतलब नहीं निकलता हो। जून 2014 में दीदी को भाई लेने गया था और वह सबके सामने खुशी खुशी घर आई। पर जब वो हमारे घर आई तो मेरे परिवार वालों ने उसके हाल चाल पूछे तो उसने बताया कि मेरे साथ ऐसा ऐसा हो रहा है और मुझे वो लोग समझ न‍हीं आ रहें हैं। वो हमारे घर पर कुछ समय तक रहीं पर उसके ससुराल से व उसके पति का कोई कॉल न‍हीं आया। मेरी दीदी हमारे यहा से कम्‍प्‍युटर का क्लास करने लग गई थी और एम ए की पढ़ाई के लिए रूक गई थी। पर उसके ससुराल व ससुराल के परिवार वालों ने अपनी खुद की एक कहानी बना ली और लोगों को कहने लगे कि दीदी तो बिना बताए घर से चली गई है। वह अपने मन में जो आता हैं वह करती है। उसे तो रोटी बनाना नहीं आता, वह पति को पति नहीं मानती, वह उसका कोई भी काम नहीं करती है। जब इस तर‍ह कि बात दीदी को पता चली तो उसने ससुराल जाने से मना कर दिया। फिर हमारे परिवार के समझाने पर वह फिर से ससुराल जाने के लिए तैयार हो गई। उसने उसके ससुर जी को लेने आने को कहा तो उसके ससुर ने बोलो कि तुम तुम्‍हारे मरजी से रूकी हो तो अब हम हमारी मरजी से लेने आएंगे। हमें भी दुसरी लडकी मिलनी होगी तो मिल जाएगी। जब कि उसके ससुर सरकारी कर्मचारी हैा। अब हुआ ऐसा है कि उन लोगों ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला एवं सैशन न्‍यायाधीश झालावाड् से दीदी के नाम नोटिस भिजवाकर नोटिस में यह लिखा है कि कि वह बिना किसी को बताये ससुराल से उसके मायके चली गई है। उसने मंगलसूत्र तोड् दिया है। हम लोगों ने तो उसे किराये के मकान में रख दिया था। पर वो उसके पति से कही थीं कि तुम सब अपने हिस्‍से की दौलत लेकर मेरे पीहर रहने लग जाओ। तरह तरह की झूठी बातें उस नोटिस में उन लोगों ने लिखी हैं। दीदी को 15 मई 2015 को झालावाड में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला एवं सैशन न्‍या‍यधीश झालावाड् के समक्ष पेश होने को कहा गया हैं। हम वहां गए तो उस के ससुराल वाले ही नहीं आए। प्रधिकरण ने फोन कर बुलाया तो बाहर होने का कह कर फोन स्विच ऑफ कर दिया। प्राधिकरण ने फिर एक तारीख दी है हम लोग एक साधारण परिवार से हैं तथा हमारे पास किसी की कोई मदद नहीं है। हम लोग कोर्ट के खचों को उठाने में समर्थ नहीं हैं।

समाधान-

प ने अपनी दीदी की जो कहानी बताई है उस से लगता है कि उन का विवाह आगे चलना संभव नहीं है। आप की दीदी को भी यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए और आप के परिवार को भी। परिवार वाले एक बार उन्हें अपने मायके जाने के लिए समझा कर तैयार कर चुके हैं। इस तरह की कोशिश आप की दीदी के मन पर बुरा असर डाल सकती है। वह समझ सकती है कि मायके में भी उस की कोई चाहत नहीं है और वह डिप्रेशन में जा सकती है।

बेहतर है कि दीदी अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाएँ और आमदनी के लिए भी कुछ करें। पढ़ाई का एक स्तर प्राप्त करने के बाद उन्हें अपने जीवन यापन के लिए पर्याप्त आय वाली नौकरी मिल सकती है। किसी भी स्त्री की सब से बड़ी ताकत उस की अपनी आय और अर्जित संपत्ति होती है। आप की दीदी को आय के साधन जुटाने का प्रयत्न करना चाहिए और बचत हो तो कुछ संपत्ति भी बना कर रखनी चाहिए।

ज नहीं तो कल दीदी के ससुराल वाले विवाह विच्छेद के लिए आवेदन करेंगे। तब आप की दीदी अपने लिए स्थाई पुनर्भरण और स्त्रीधन की वापसी की मांग उन के सामने रख सकती है। कि उसे विवाह विच्छेद के बदले इन दोनों मद में धन चाहिए। यदि ऐसा हो सके तो आप की दीदी के पास भविष्य के लिए कुछ धन हो जाएगा और वे सुरक्षित महसूस करेंगी। यदि वे पर्याप्त धन देने से मना करें तो उन्हें कहा जा सकता है कि अन्यथा आप की दीदी धारा 498-ए व 406 आईपीसी का परिवाद प्रस्तुत कर देंगी।

ब अदालत जाने का आरंभ आप की दीदी के ससुराल की ओर से किया गया है तो आप की दीदी धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता तथा घरेलू हिंसा अधिनियम में रावतभाटा में ही आवेदन प्रस्तुत कर भरण पोषण के लिए खर्चा मांग सकती है। इस से उन के पति को रावतभाटा आना होगा। जब वह रावतभाटा आए तो उस से ठीक से बात की जा कर मामले का कोई हल निकाला जा सकता है। अदालत के खर्च से न डरें। वह खर्च आज कल न्यायालय विधिक सहायता के अंतर्गत प्रदान करता है तथा वकील भी सरकारी खर्च पर उपलब्ध कराता है। रावतभाटा में किए गए परिवाद और आवेदन की पैरवी के लिए आप की दीदी को कहीं बाहर भी नहीं जाना पड़ेगा। यदि झालावाड़ में दीदी का पति विवाह विच्छेद के लिए कोई आवेदन देता है तो आप की दीदी मुकदमे का व्यय और झालावाड़ आने जाने का खर्चा तथा भरण पोषण का खर्च प्राप्त करने के लिए धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम में आवेदन प्रस्तुत कर सकती है। यह आवेदन न्यायालय पहले तय करेगा और मुकदमे के दौरान यह राशि प्रतिमाह दीदी के पति को आप की दीदी को देनी होगी।

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