विवाह का प्रथम वर्ष पूर्ण होने तक विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत करना संभव नहीं।
|हेमा चौहान ने कोटा (राजस्थान) से पूछा है-
मेरी शादी 20 जनवरी 2014 को जोधपुर निवासी अनिल से हुई थी| शादी से पहले उनलोगो ने सब रस्में, शर्ते (जैसे लड़की को टाइम-टाइम पर पीहर आने-जानेदेंगे, दहेज़ नहीं चाहिए, घूंघट नहीं) जैसी बातों के लिए साफ़ कर लिया था| लेकिनवर पक्ष ने हम से कुछ बातें छिपाई जैसे उन का मकान किराये का है,लड़का दिमागसे स्वस्थ नहीं है, काम पर नहीं जाता,कर्जे में डूबा हुआ है,तलाकशुदाहै,अपराधी प्रवृति का है,उस की शादी शुदा बहन अपना घर तोड़ के बैठी हुईहै,उस की माँ एक इंसानियतहीन,बद्दजुबां,फूहड़ औरत है|मेरा रिश्ता वैवाहिकविज्ञापन से हुआ है जिस में लड़के के मामा और मेरे दूर के चाचा मध्यस्थ थे|विदाईके बाद जैसे ही मैं अपने ससुराल पहुंची,उन लोगों का असली रंग सामने आने लगा।उन्होंने अपने और मेरे पीहर के दिए हुए सोने-चांदी के गहने अपने कब्ज़े मेंकर लिए और मेरे साथ घरेलू हिंसा करने लगे| अपशब्द,रिश्तेदारों मेंगालियां,फ़ोन से मेरा संपर्क पीहर से काटना, मेरी डिग्रीयां मंगा के उस पे 20 लाख का लोन निकलवाने की साज़िश,मुझ पे हाथ उठाना,मुझे रसोई व घर के कामों कोले के नीचा दिखाना,मुझे नज़रबंद रखना आदि| मेरा पति अपने व मेरे बड़ों कातथा मध्यस्थ का कहना भी नहीं मान रहा| ऐसे में शादी के 45 दिनों बाद हीमेरे पापा मुझे अचानक आ के ससुराल से पीहर ले आये|
यहाँ आने के कुछ दिनोंबाद मेने “महिला सुरक्षा व सलाह केंद्र” में इस बाबत शिकायत दर्ज करवाईतथा मेरे पति के साथ ना रहने का फैसला लिया। क्यूंकि ससुराल में मेरी जानजाने का खतरा है| इस बीच मेरे पति ने मेरे रिश्तेदारों में मुझे बदनाम करनेकी कोशिश की तथा सलाह केंद्र की सलाहकार के बुलाने पर बहुत मुश्किल सेयहाँ आया| पहली मीटिंग में तो वो आपसी सहमती से अलग होने व दहेज़ का सामानवापस करने को राज़ी हो गया। किन्तु दूसरी बार में उस ने मेरा 5 तोला सोना तथा 1.5 लाख रुपए के सामान व उपहार वापस देने से साफ़ मना कर दिया| वह पेशे सेवकील है और सब क़ानून जानता है ,फिर भी वो हमे परेशां करने व बदनाम करनाचाहता है| अब मुझे क्या करना चाहिए? कृपया कुछ सलाह दें|
समाधान-
आप के पति ने आप का स्त्री-धन देने से इन्कार किया है, इस तरह वह धारा 406 आईपीसी के अन्तर्गत अमानत में खयानत का दोषी है, जिस तरह का व्यवहार उस ने व उस के परिवार ने आप के साथ वह धारा 498-ए का भी दोषी है। आप को चाहिए कि आप तुरन्त उक्त दोनों धाराओँ के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कराएँ, साथ ही घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा-12 एवं दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-125 के अन्तर्गत भरणपोषण की राशि प्राप्त करने के लिए तुरन्त आवेदन प्रस्तुत करें।
जिन परिस्थितियों का आप ने उल्लेख किया है उन में आप का अपने पति के साथ जीवन व्यतीत करना संभव प्रतीत नहीं होता। चूंकि आप का विवाह हुए अभी एक वर्ष नहीं हुआ है इस कारण से आप विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत नहीं कर सकती। विवाह को एक वर्ष हो जाने के उपरान्त आप विवाह विच्छेद के लिए भी आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। यदि आप को लगता है कि आप का पति आप के साथ कोई जबरदस्ती कर सकता है तो विकल्प में आप हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा-10 के अन्तर्गत न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं।
आदरणीय श्रीमान जी..
आप के कीमती सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् …
मेरा एक पडोशी हमारे घर के पास में नगरपालिका की जो जमीन डली हुई है उसपर अपना क़ब्ज़ा कर मकान बना रहा है , हमने इसकी शिकायत कलेक्टर से भी की और नगर पालिका से भी की मगर कुछ नहीं हुआ , बल्कि कलेक्टर ने तहसील में हम दोने के बीच में कॅश चालू करबा दिया है , पर में केश में क्यों अपने रुपया खर्च करू क्या की अगर में जीत भी गया तो भी मुझे तो कुछ भी मिलने बाला नहीं है, में चाहता हूँ की जमीन सरकारी है तो केश भी सरकार को ही लड़ना चाहिए ‘ में इस लफ़ड़े में नहीं फसना चाहता ‘ लेकिन में ये चाहता हूँ की हमारा पडोसी नगरपालिका की जमीन पर अपना क़ब्ज़ा न करे ] क्या कोई एशा उपाय है की जिससे उस सरकारी जमीन का केश सरकार ही लड़े ]क्या सरकार को सरकारी जमीन पर पडोसी का क़ब्ज़ा होने से नहीं रोकना चाहिए ,मुझे लगता है की उस पडोसी ने नगरपालिका बालो को पैसे खिला दिए होंगे इसलिए ही नगरपालिका कुछ कारबाही नहीं कर रही है,मुझे मजबूरी में राजी नामा करना पड़ेगा ‘क्यों की मेरे पास पैसे नहीं है केश लड़ने के लिए और में इस केश के चक्कर में नहीं फसना चाहता ‘आप कोई उपाय बताय ‘जिससे केश सरकार और उस पडोशी के बीच ही चले ‘में नहीं चाहता की वो सरकारी जमीन पर अपना क़ब्ज़ा करे .
PRAMENDRA KUMAR का पिछला आलेख है:–.विवाह à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¥à¤® वरà¥à¤· पà¥à¤°à¥à¤£ हà¥à¤¨à¥ तठविवाह विà¤à¥à¤à¥à¤¦ à¤à¤¾ à¤à¤µà¥à¤¦à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ à¤à¤°à¤¨à¤¾ सà¤à¤à¤µ नहà¥à¤à¥¤