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विवाह, दत्तक आदि से जाति परिवर्तन आरक्षण हेतु मान्य नहीं . . .

lawसमस्या-
दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल से जॉन लेप्का ने पूछा है –

मैं एक अनुसूचित जाति से हूँ। मेरा विवाह 16 फरवरी 2007 को मन्दिरा प्रधान से हुआ है जो कि अन्य पिछड़ी जाति से है। मैं जानना चाहता हूँ कि मेरी पत्नी श्रीमती मन्दिरा प्रधान की जाति क्या होगी? वह अनुसूचित जाति की मानी जाएगी या फिर अन्य पिछड़ी जाति की मानी जाएगी। क्या उसे अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त हो सकता है?

समाधान-

भारत में जाति का महत्व वैवाहिक और पारिवारिक मामलों में काफी समय से रहा है। अब अन्तर्जातीय विवाहों के बाद उन कारणों से जाति का कोई महत्व नहीं रह गया है। लेकिन भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ी जातियों को शैक्षणिक संस्थानों व नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया गया है। इस कारण से इस तरह के विवाद हुए भी हैं और न्यायालयों तक पहुँचे भी हैं। जाति प्रमाण पत्र का भी इसी कारण से महत्व है।

स तरह के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय का नवीनतम मत यह है कि एक व्यक्ति को आरक्षण का लाभ इस कारण से मिलता है कि वह किसी जाति में उत्पन्न हुआ है और उस ने उस जाति की असुविधाओं को झेला है या उसे विरासत में प्राप्त हुई हैं। लेकिन कोई यदि ऐच्छिक रीति से विवाह, या दत्तक ग्रहण के माध्यम से अपनी जाति बदलता है और फिर उसे इस कारण से आरक्षण का लाभ दिया जाता है तो इस से फर्जी जाति परिवर्तन के मामले बहुत बढ़ जाएंगे और लोग इस तरह जाति बदल कर आरक्षण का लाभ उठाने लगेंगे। वैसे भी जब एक व्यक्ति वयस्क होने तक एक जाति के लाभ प्राप्त कर लेता है और फिर सोच समझ कर विजातीय से विवाह करता है तो यह उस का  ऐच्छिक कृत्य है। इस कारण से उस का लाभ उसे प्राप्त नहीं होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय द्वारा 4 जनवरी 1996 को श्रीमती वलसम्मा पॉल बनाम कोचिन विश्वविद्यालय व अन्य के प्रकरण में दिए गए निर्णय में इस संबंध में विस्तृत रूप से विचार किया गया है।

प दोनों का वयस्क होने के उपरान्त विवाह हुआ है जो दोनों की इच्छा से संपन्न हुआ है। इस कारण से इस ऐच्छिक कृत्य से आप दोनों की ही जाति का परिवर्तन होना मान्य नहीं हो सकता। आप की पत्नी की जाति पूर्व की तरह अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) बनी रहेगी। उन का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र नहीं बन सकेगा। यदि किसी तरह बनवा भी लिया जाता है और उस के आधार पर कोई लाभ प्राप्त किया जाता है तो उसे कोई भी चुनौती दे सकता है तथा वैसी स्थिति में वह जाति प्रमाण पत्र सही नहीं माना जाएगा और उस के आधार पर प्राप्त लाभ भी आप की पत्नी से छिन जाएगा।

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