विवाह विच्छेद की डिक्री के लिए तुरन्त आवेदन कर दें।
|समस्या-
पीयूष ने कोरबा छत्तीसगढ़ से पूछा है-
मैं प्राईवेट कम्पनी में काम करता हूं ,मेरा वेतन 20,000 हजार रू.मासिक है , जिसमें से शादी का कर्ज कटने के बाद 4-5 हजार रू. बचता है। मेरी शादी 22.11.2011 को हिन्दू रीति रीवाज से धूमधाम से हुई थी । मेरी पत्नी मेरे यहाँ आने के बाद ठीक से नहीं रहती थी । वैवाहिक जीवन में रूचि नहीं लेती थी। हमेशा मायूस रहती थी। कारण पूछने पर उचित जवाब नहीं देती थी। मेरा घर बिलासपुर छत्तीसगढ़ में है , और मैं कोरबा छ.ग. में कार्यरत हूँ । मैं अपनी पत्नी को पहली बार 10.12.2011 को ससुराल से बिदा करा के अपने गृह ग्राम लाया। मैं पत्नी को कुछ दिन घर में रहने के लिए बोला, लेकिन वह साथ में जाने के लिए जिद करने लगी और घर में रहने से मना कर दिया । तब घर में माँ और पिता जी से बात कर के अपने साथ 23.11.2011 को कोरबा ले आया। उसी रात मेरी पत्नी के मोबाईल पे अजनबी नंबर से संदेश आया कि ‘और इंतजार नही कर सकता जल्दी आओ’। फिर उसी रात उसी नंबर से 1 से 10 बार फोन आया। अचानक फोन पर नजर पड़ने पर फोन उठाया तो उधर से कोई लडका बोला “कब से फोन कर रहा हूं, फोन क्यों नही उठा रही हो। तब मैं ने फोन अपनी पत्नी को बात करने के लिए दे दिया तो उस ने बात नहीं की और फोन काट दिया। उसके बाद पत्नी से पूछने पर उस ने बताया कि मैं नही जानती कौन है? वह हमेशा मायके जाने की जिद करती थी। जब कि मुझे छृट्टी नहीं मिलने के कारण नहीं जा पा रहा था। मैं बाद में जायेगें बोलता था। लेकिन उस के स्वभाव में रूखापन रहता था। वहाँ भी ठीक से नहीं रहती थी। घर के काम-काज में भी रुचि नहीं लेती थी। दाम्पत्य जीवन में भी रुचि नहीं लेती थी।
फिर मैं होली से एक सप्ताह पहले 28.02.2012 को पत्नी को अपने गृह ग्राम छोड कर होली में आने की बात कह के वापस अपनी ड्यूटी पर आ गया। लेकिन वहाँ भी किसी अजनबी नंबर से फोन से परेशान करने लगा। तब घर में हल्की कुछ बहस हुई तो मेरी पत्नी ने मुझ पर अपने दोस्तों को नंबर देकर परेशान करने का मुझ आरोप लगा दिया और अपने मायके में फोन लगा के बोली मेरा कलेजा फट रहा मै यहाँ नहीं रहूंगी। जिसकी सूचना मेरे घर वालों ने मुझे दी और मुझे बुलाया तब मैं वहाँ गया और अपने ससुर से बात चीत की तो उन्हों ने कहा कि कोई हमारा दुश्मन है जो लडाने के लिए परेशान कर रहा है। जब कि मेरी पत्नी का जीजा बोला की सहेली का भाई है। तब मैं उनको बोला कि जो कोई भी है उसे बोलो कि मेरे यहां फोन न करे। मैं पत्नी को होली में मायके नहीं भेजने की बात कह कर वापस कोरबा आ गया। चूंकि मुझे एक तरफा प्यार का शक था इसलिए मैं डर से उसे वहां नहीं भेजने की बात कह कर चला गया। मेरे जाने के बाद मेरी पत्नी को मेरे ससुर मुझे बिना बताए ले गये। होली के बाद उसे मैं उस के मायके से वापस गृह ग्राम ले आया और दो -चार बड़े -बुजुर्गों को बुला कर भविष्य में किसी भी प्रकार की अनहोनी के डर से उसे समझा कर उसे कोरबा ले आया। उसके बाद भी मेरी पत्नी के व्यहार में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं आया।
अचानक 24.05.2012 को जब मैं रात्रि ड्यूटी में था तो वो किसी के साथ बिना बताये घर से चली गई। सुबह ड्यूटी से आकर पता-साजी करने पर पता नहीं चला। जब सूचना मैं ने अपने ससुर को फोन के माध्यम से दी, तब उन्होने मुझे धमकी दी कि अगर मेरी लड़की को कुछ होगा तो सोच लेना। उस के बाद मैं ने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। बाद में पता चला कि मेरी पत्नी मायके चली गई। तब मैं ने थाना जाकर सूचना दी कि मेरी पत्नी मायके में है। तो पुलिस ने मेरे ससुराल वालों को थाने बुलाया। तब मेरे ससुर लोग दो दिन बाद 15-20 लोगों के साथ आकर थाने में मारपीट व दहेज का झूठा बयान लिखवा गये। पुलीस के समझाने के बाद मैं पत्नी को वापस अपने घर ले आया। लेकिन वह तबियत खराब का बहाना बना कर वापस दो-चार दिनो में पहुँचाने की बात कह कर ससुराल वाले उसे ले गये । फिर 15-20 दिनो तक किसी भी प्रकार की सूचना नहीं दी। मेरे द्वारा फोन से पूछे जाने पर धमकी देने लगे कि घर वालों से अलग रहो। नहीं तो हम अपनी लडकी को नही भेजेगें, और तुम्हारे सभी घर वालों को फँसा देगें, जिसकी सूचना मैने लिखित में थाने में दी । फिर भी कोई कार्यवाही न होने पर वकील की सलाह से धारा 9 हिन्दू विवाह अधिनियम में दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना के लिए आवेदन परिवार न्यायालय में दिया। जिसकी नोटिस पहुँचने पर मेरी पत्नी व मेरे ससुराल वालों ने झूठी गवाहियों के आधार पर थाने में लिखित में शिकायत की तब वहां के थानेदार ने मुझे फोन कर के राजीनामा कराने के बुलाया। मैं वहां दो-चार समाज के लोगों के साथ अपने ससुराल गया लेकिन उन लोगों ने घर में बात करने से मना कर दिए व थाने में बुला लिया। फिर थाने में बिना किसी बातचीत के मेरी पत्नी मुझे बोली कि स्त्री धन वापस करो और तलाक दो वरना केस करूंगी। धारा 9 का आवेदन वापस लेने की बात कही। तो मुझे मजबूर हो कर चूंकि मेरे मां बाप एवं तीन अविवाहित बहनों के खिलाफ झूठी शिकायत थी, उसका सामान थानेदार के कहने पर 30.08.2012 को थाने में वापस कर दिया। उन्हों ने 50 रू. के स्टाम्प पेपर पर नोटरी के समक्ष एक दूसरे के खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही न करने व गुजारा भत्ता न देने की शर्त पर शपथ पत्र या तलाक नामा का शपथ पत्र ले लिया। उस के बाद कोर्ट से तलाक लेने की बात कहने पर उल्टा जान से मारने व फँसाने की धमकी देने लगे।
दो -तीन महिनों बाद उस की दूसरी जगह चुपके से चुडियाही (दूसरा विवाह जातिगत रिवाज ) कर दिया। चूंकि अपने पास तलाक का कोई अधार न होने पर एक वर्ष तक इंतजार किया लेकिन इस बीच मेरी पत्नी दूसरी जगह से पुनः किसी कारणवश मायके आ गई है। इन सब कारणों से मुझे बहुत ही ज्यादा मानसिक, सामाजिक, आर्थिक हानि हुई है, मेरा मनोचिकित्सक से उपचार चल रहा है। चूंकि मुझे अपनी दो बहनों की शादी आने वाले वर्ष में करनी है और मैं आर्थिक परेशानी से गुजर रहा हूँ। मुझ पर 3 लाख रू.का कर्ज है। मुझे उचित सलाह दीजिए वरना मैं आत्महत्या करने के लिए विवश हो जाउंगा। मेरे प्रश्न हैं कि-
क्या मैं शपथ पत्र के आधार पर तलाक ले सकता हूँ? क्या मैं गवाहों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर सकता हूँ? क्या मेरी पत्नी मेरे खिलाफ कोई केस कर सकती है? क्या मुझे गुजारा भत्ता देना पडेगा? उसकी दूसरी शादी का कोर्ट में क्या प्रमाण देना पडेगा? यदि गुजारा भत्ता देना पडा तो किस आधार पर एवं कितना देना पडेगा? क्या मैं अपनी पत्नी एवं दूसरे लडके खिलाफ 493 व 494 के तहत केस कर सकता हूं?
समाधान-
आप ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आप पर हिन्दू विवाह अधिनियम प्रभावी है अथवा नहीं। यदि आप अनुसूचित जनजाति के सदस्य हैं तो आप पर हिन्दू विवाह अधिनियम प्रभावी नहीं है। वैसी स्थिति में परंपरागत रूप से लिया गया तलाक मान्य हो सकता है। लेकिन उस के लिए आप को दीवानी न्यायालय से तलाक की घोषणा की डिक्री प्रप्त करनी होगी। लेकिन यदि आप अनुसूचित जनजाति के सदस्य नहीं हैं तो आप पर हिन्दू विवाह अधिनियम प्रभावी है और कोई भी तलाक केवल न्यायालय की डिक्री द्वारा ही संभव है।
हमारी राय में उक्त परिस्थितियों में जब कि आप की पत्नी ने स्वयं तलाक देने का शपथ पत्र निष्पादित किया हुआ है और गुजारा भत्ता न लेने का वायदा भी किया है। आप को बिना किसी भय के अपनी पत्नी से तलाक के लिए आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिए। इस तलाक का आधार यही होगा कि पत्नी स्वयं आप के साथ नहीं रहना चाहती थी और उस ने इस तरह पुलिस में फर्जी रिपोर्ट दर्ज करवा कर आप से दबाव में उक्त दस्तावेज लिखवाए, खुद लिखे और फिर अपने पिता की मर्जी से चूड़ियाही कर के किसी दूसरे पुरुष के साथ घर बसा लिया। इस तरह वह स्वेच्छा से आप से एक वर्ष से अधिक समय से दूर है दाम्पत्य जीवन का निर्वाह नहीं किया है, दूसरा आधार यह होगा कि उस ने परंपरागत रीति से चूड़ियाही कर के दूसरे पुरुष के साथ घर बसा लिया है और इस तरह वह जारता में रह रही है।
आप की पत्नी कोई भी मुकदमा आप के विरुद्ध कर सकती है। मुकदमा करने पर कोई पाबंदी नहीं है। लेकिन उस ने जो दस्तावेज निष्पादित किए हैं और उस का जो व्यवहार रहा है उस के कारण उस का चलाया कोई भी मुकदमा आप के विरुद्ध चल नहीं पाएगा।
यदि आप पर हिन्दू विवाह अधिनियम प्रभावी है तो चूड़ियाही को दूसरा विवाह नहीं माना जाएगा। वैसी स्थिति में आप अपनी पत्नी के विरुद्ध धारा 494 का अपराध सिद्ध नहीं कर सकेंगे। हाँ वैसी स्थिति में आप दूसरे लड़के के विरुद्ध जिस के साथ आप की पत्नी का रिश्ता हुआ है आप धारा 493 का अपराध सिद्ध कर सकते हैं। हमारा मानना है कि यदि आप न्यायालय में चूड़ियाही होना सिद्ध कर देते हैं तो आप को कोई गुजारा भत्ता नहीं देना पड़ेगा।
पत्नी द्वारा दूसरा विवाह (चूड़ियाही) करने के संबंध में चूड़ियाही के समय उपस्थित किसी व्यक्ति की मौखिक गवाही और जिन व्यक्तियों के सामने आप की पत्नी चूड़ियाही करने वाले व्यक्ति के साथ पत्नी की तरह रही है उन की मौखिक गवाही द्वारा साबित किया जा सकता है।
धन्यवाद महोदय जी!
मुझ पर छ.ग. निवासी के आधार पर हिन्दु नियम जबकि म.प्र. निवासी के आधार पर अ.ज.जा. का नियम लागू है(कुम्हार जाति)।आज हमे 25 वर्ष से ज्यादा छ.ग. मे रहते हो गये।
महोदयजी क्या पत्नि द्वारा केस करने पर मुझे सजा हो सकती है? यदि हाँ तो फिर ये वही हुआ न कि मधुमक्खी के छत्ते को छेड़कर अपने पैर मे कुल्हाड़ी मारना! कानुन से इंसाफ का उम्मीद क्या करना,क्योँकि कानून तो सिर्फ महिलाओ के लिए ही बने हैँ कुछ महिला चाहे तो झुठा केस कर पुरूष को परेशान कर उनके जीवन को नरक बना सकती है,कानुनी लायसेँस जो मिला है उनको।” जय हो हमारे हिन्दुस्तान के कानून का” ‘गेहू के साथ कीड़े को तो पीसाना ही पड़ेगा’। जमाना बदल गया पर कानून नही।ये है” विधी के समझ समानता का अधिकार,कुछ अपराधी महिलाओ को खुलेआम कानून की आड़ मेँ अपराध करने का अधिकार।” ऐसे नरकिय जीवन से अच्छा तो मौत है। जय हिन्द!
मेरे पिता जी के लापता हो जाने के कारन मेरे बिग भाई को अनुकम्पा के आधार पर बिहार सरकार के राजकीय लखन समर्ग्री भंडार एंड प्रकाशन गुल्ज़र्बघ पटना में हुआ था मेरे बारे भाई को देहांत १० अगस्त २०१२ को हो गया है भाई को पतनी और लड़का और न ही बेटी नहीं है तो के छोटा भाई को अनुकम्पा का दोबारा लाभ देते हुए दोबारा नौकरी हो सकता है कृपया हमारा मार्ग दर्शन करे .भाई का नौकरी सात साल अभी बाकि है लकें एक बात और है उनको ट्रांसफर भाविसिया निधि कर्जालय ईस्ट चमपरण मोतिहारी में हुआ था मोतिहारी के ऑफिसर उनको पन्त भवन पटना में अग्रसित किये थे लकें पन्त भवन के असिस्टेंट कमिश्नर साहब यहाँ योगदान नहीं किये .