विश्वविद्यालय को पक्षकार बनाते हुए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत करें।
|हसन सिद्दीकी ने मेरठ, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी समस्या इन्टरनेट बैंकिंग से जुडी है जो इस प्रकार है कि मैंने यूनिवर्सिटी का ऑनलाइन एग्जाम का आवेदन भरा और इन्टरनेट के माध्यम से ही पेमेंट किया लेकिन सर्वर मेंटिनेंस के कारण वेबसाइट बंद हो गयी और अकाउंट से धनराशि काट ली गयी। लेकिन फॉर्म सब मिट नहीं हुआ उस के बाद मैं ने कंपनी में (जो कंपनी फॉर्म भरा रही है) ईमेल के माध्यम से सूचना कंपनी को उसी दिन प्रेषित कर दी। लेकिन कम्पनी धनराशि वापस नहीं कर रही है क्या इस केस में उपभोक्ता अदालत में अपील की जा सकती है? यदि हाँ तो कृपया उसका पूरा विवरण बताएँ।
समाधान-
आप ने आवेदन पत्र भर दिया था और आप के खाते से शुल्क की राशि काटी जा चुकी थी। इस तरह आप से शुल्क की वसूली की जा चुकी थी। आप अपने बैंक से पता कर सकते हैं कि आप के खाते से काटी गई धनराशि किस खाते में गई है। हो सकता है वह विश्वविद्यालय के खाते में गई हो। वैसे भी शुल्क प्राप्ति हो आवेदन पत्र भराने के लिए संबंधित कंपनी की सेवाएँ विश्वविद्यालय द्वारा प्राप्त की गई थीं। इस कारण आप को सेवा प्रदाता कंपनी के साथ ही विश्वविद्यालय को भी पक्षकार बनाना होगा। मूल रूप से आप का प्रकरण है भी विश्वविद्यालय के विरुद्ध।
अच्छा हो आप यह पता कर के कि राशि किस के खाते में गई है। विश्वविद्यालय तथा सेवा प्रदाता कंपनी को तुरन्त एक नोटिस दे दें कि वे आप की राशि वापस कर दें साथ ही आवेदन पत्र निरस्त हो जाने या विश्वविद्यालय तक न पहुँचने से आप को हुई हानि के लिए हर्जाना भी अदा करें। हर्जाने की यह राशि आप की स्थिति के मुताबिक कई हजार से ले कर लाख रुपए से अधिक की भी हो सकती है।
नोटिस से कुछ प्रक्रिया न होने पर आप को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच के समक्ष अपना परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए। बेहतर होगा कि उपभोक्ता विवाद प्रस्तुत करने के लिए आप किसी स्थानीय वकील की मदद लें।
यह ब्लॉग बहुत ही अच्छा है | इस को लिखने के लिए बहुत धनबाद |
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