माँ को यह अहसास हो कि उन के कारण बेटे का घर बिगड़ रहा है तो बात बन सकती है।
|अमित माली ने सिरोही, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी जनवरी 2015 में हुई थी। मेरी पत्नी ओर मेरी माताजी के बहस होती है। मेरी माताजी 65 वर्ष की बुर्जग हैं और उन्हें बोलने की आदत है। मेरी पत्नी अब मायके में है। मेरी सास बोल रही है कि लडकी चाहिये तो माँ से अलग रहो नहीं तो लडकी नही भेजूंगी। मैं अपनी माँ को अलग कैसे कर सकता हूँ? सास बोलती है कि नहीं तो लडकी भेजूंगी और न ही दूसरी लाने दूंगी। मेरे सरकारी नौकरी है। मेरे पिताजी की जगह लगी है। मेरी उम्र 23 साल है। सास बार बार बोल रही है कि अब मैं दहेज का आरोप लगाकर अन्दर करवाउंगी। मैं क्या करूँ?
समाधान-
आप की सास ने यह क्यों कहा कि दूसरी लाने नहीं दूंगी। मुझे लगता है कि आप की तरफ से भी यह बात हुई होगी की तलाक ले लो तो मैं दूसरी शादी कर लूँ। यह बातें इतनी आसान नहीं होतीं। दोनों तरफ से हलकी बातें ही संबंधों को खराब करती हैं। आप को चाहिए कि समस्या का समाधान निकालें। आप का यह कहना कि माँ को बोलने की आदत है लेकिन आदत तो छुड़ानी पड़ती है। एक महिला को अफीम खाने की आदत पड़ गयी तो छुड़ानी पड़ी वे 70 वर्ष की थीं। तो बोलने की आदत कम हो सकती है। जब भी आप की पत्नी और माँ के बीच विवाद हुआ तो आप ने हमेशा पत्नी को ही यह कर दोष दिया होगा कि माँ को तो आदत है, तुम ही चुप रह लेती। माँ को जरूर कुछ न कहा होगा। माँ के युग में और आज के युग में बहुत अंतर है। अब माँ के कारण आप का घर बिगड़ रहा है तो शायद उन को खुद अच्छा नहीं लग रहा होगा। आप माँ को यह अहसास कराएँ कि उन की बोलने की आदत के कारण बेटे का घर बिगड़ रहा है तो वे कुछ तो समझेंगी। बात आप की माँ के कारण बिगड़ी है तो आप की माँ के कारण ही बन सकती है।
आप की समस्या के लहजे से लगता है कि अभी संवाद समाप्त नहीं हुआ है। आप पुनः संवाद बनाएँ। अपनी सास और पत्नी से बात करें। उन्हें समझाएँ कि पत्नी आप की सब से नजदीकी साथी है और आप की बेटियों की माँ है उसे किसी हालत में आप नहीं छोड़ेंगे और किसी भी विवाद में हमेशा उस का साथ देंगे। लेकिन उसे भी आप की इस समस्या को समझना पड़ेगा कि माँ को असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता। आप की माँ को भी समझाएँ कि वह अपनी आदत को सुधारें। यदि आप की माँ आप के ससुराल जा कर आप की पत्नी को कहे कि माँ बेटी में भी बहुत झगड़े होते हैं लेकिन इस से रिश्ते नहीं टूटते। तू अपने घर चल और अपने घर को संभाल। यह अपनापन आप की माँ की ओर से आप की पत्नी को मिलेगा तो वह चली आएगी. एक बार कोशिश कर के देखें। बेटियाँ तो उस के साथ ही चली आएंगी।
यही एक मात्र मार्ग है आप के पास। झगड़ा करेंगे तो आप मुसीबत में फँसते चले जाएंगे। मुकदमे चलेंगे, हो सकता है आप को किसी मुकदमे में गिरफ्तार भी होना पड़े। तब आप की नौकरी पर भी बन आएगी। बेहतर यही है कि पूरे मन से अपने अपने अहंकारों को त्याग कर बात करेंगे तो बात बन जाएगी। यह तो नहीं हो सकता कि आप की पत्नी अपना जीवन आप की माँ के हिसाब से ही चलाए। यदि आप की माँ को तनिक भी आप से प्रेम हुआ तो वे मान जाएंगी। आखिर आप शरीर का अंश है। फिर पोतियों के चले जाने से उन्हें भी बहुत तकलीफ हुई होगी। यही वक्त है जब आप माँ को समझा सकते हैं और अपनी गृहस्थी को फिर से खुशहाल बना सकते हैं। आप मन से प्रयास करें। कोई सफलता या असफलता हाथ लगती है या उस में कोई परेशानी आती है तो तीसरा खंबा को फिर से लिखें।
बहुत सुन्दर.. और विश्वास जगाने का सशक्त प्रयास भी आपकी तरफ से.. 🙂
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