वैवाहिक हिंसा की तुरन्त शिकायत करें, घरेलू हिंसा व भरण पोषण राशि के लिए मुकदमे करें।
|सुमन चौरसिया ने आदर्श नगर, सुल्तानपुर, उत्तरर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी 17.05.2013 को हुई थी। दिनांक 12.09.2014 को मेरे पति व घर के सभी लोगों ने दहेज के कारण शारिरिक और मानसिक रूपसे मारपीट कर के और तलाक लेने के लिए मुकदमा कर दिया। मुझे क्या करना चाहिए।
समाधान-
आप के पति व उस के रिश्तेदारों ने आप के साथ दहेज के कारण मारपीट की है। आप को तुरन्त उसी समय पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए थी। उन सब के द्वारा ऐसा करना धारा 498ए आईपीसी के अन्तर्गत अपराध है। यदि अब तक पुलिस में रिपोर्ट दर्ज न कराई हो तो आप अब करवा दें।
आप ने अभी तक यह नहीं बताया कि क्या आप अब भी ससुराल में रह रही हैं या अपने मायके या कहीं और रह रही हैं। आप को महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम में भी आवेदन प्रस्तुत कर के भरण पोषण और निवास की व्यवस्था करने की प्रार्थना करनी चाहिए इस के साथ आप धारा 125 दं.प्र.संहिता में भी भरण पोषण के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर सकती हैं।
मेरे विचार में जब पति ने तलाक का मुकदमा कर दिया है तो अब इस विवाह में कुछ भी शेष नहीं बचा है जिस से गृहस्थी दुबारा बन सके। आप को तलाक के प्रस्ताव को अपनी शर्तें पर स्वीकार कर लेना चाहिए। इस के लिए आप प्रस्ताव रख सकती हैं कि आप को आप का स्त्री-धन अर्थात आप को मायके, ससुराल और मित्रों से मिले सभी उपहार लौटाए जाएँ या उन की कीमत का भुगतान किया जाए। एक मुश्त भरण पोषण राशि दी जाए तो आप सहमति से विवाह विच्छेद के लिए तैयार हैं। ऐसे मामलों में जितनी जल्दी विवाह विच्छेद हो जाए उतनी जल्दी दोनों अपने अपने जीवन के भविष्य के लिए योजना बना सकते हैं। अन्य मुकदमों में तो निर्णय होने में बरसों लग जाते हैं। यदि आप स्त्रीधन की मांग करती हैं और वह नहीं लौटाया जाता है तो आप धारा 498ए के साथ साथ धारा 406 आईपीसी में भी मुकदमा दर्ज करवा सकती हैं।
आप के विरुद्ध जो विवाह विच्छेद का मुकदमा किया गया है उस में भी आप धारा 24 हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत मुकदमा चलने के दौरान आप के भरण पोषण, मुकदमे का तथा पेशी पर आने जाने का खर्चा दिलाने की प्रार्थना कर सकती हैं। जब तक आप का यह आवेदन स्वीकार न होगा और आप को यह राशि न मिलने लगेगी तब तक विवाह विच्छेद का मुकदमा भी आगे न बढ़ेगा।