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व्यापार में घाटा होने पर लेनदारों को चैक न दें, इंसोल्वेंसी एक्ट में आवेदन प्रस्तुत करें

  जगदीश पुरोहित ने पूछा है –

 मैं एक व्यापारी हूँ।  मेरा कपडे़ का व्यापार है मैं ने दस लाख रुपया लगा कर व्यापार आरंभ किया था।  मैं बड़े व्यापारियों से कपड़ा खरीद कर छोटे व्यापारियों को बेचता था।  मेरा व्यापार आठ माह तक चला।  बेचे हुए कपड़े का कुछ रुपया मुझे मिला तो मैं ने खरीदे हुए कपड़े का भुगतान कर दिया। कुछ दिनों बाद मुझ से कपड़ा खरीदने वाले दुकानदार ने दुकान बंद कर दी।  मैं ने उस की खोजबीन करने के लिए उधार धन ले कर खर्च किया फिर भी वह मुझे नहीं मिला।  मुझे जिन्हों ने कपड़ा दिया था वे लोग मुझे बहुत परेशान करते थे इसलिए मैं ने मेरे बचत खाते के चैक उन्हें दे दिए।  मेरे पास पैसा नहीं होने से चैक बिना भुगतान के वापस हो गए।  जिन के पास चैक थे उन्हों ने मुझे तंग करना आरंभ कर दिया कि ‘पैसा दो वर्ना मुकदमा कर देंगे’।  गाली गलौच होती है।  मेरे पाँच लाख के चैक वापस हो गए हैं उस के अलावा भी आठ लाख रुपया देना है।  मेरे पास कुछ भी नहीं है।   इस हालत में मैं क्या करूँ?
 उत्तर –

जगदीश जी,
प वास्तव में विकट मुसीबत में हैं,  और यह मुसीबत आप ने स्वयं अपनी जानकारी के अभाव में आमंत्रित की है।  दिनांक 01.04.1989 से परक्राम्य विलेख अधिनियम 1881 के अध्याय 17 को बदला गया है तब से चैक का अनादरण एक अपराध है।  जिसे आप ने चैक दिया है वह व्यक्ति चैक के अनादरण के कारण आप पर धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करता है तो कारावास के दंड से बचने का कोई मार्ग शेष नहीं रहता है।  कारावास के इस दंड से तभी मुक्ति मिल सकती है जब कि चैक की राशि और दंड राशि का भुगतान चैक दाता द्वारा कर दिया जाए। आप ने पाँच लाख रुपए के चैक दिए हुए हैं और जिन्हें चैक दिए हैं उन में से एक व्यक्ति भी आप के विरुद्ध चैक अनादरण के मामले में कार्यवाही करता है तो आप को कारावास के दंड की सजा हो सकती है। 
प ने सद्भावना पूर्वक व्यापार किया था कोई बेईमानी या अपराध नहीं किया था।  कुछ देनदारों द्वारा आप को भुगतान न कर पाने के कारण आप लेनदारों को भुगतान नहीं कर पाए और आप का भुगतान संतुलन गड़बड़ा गया।  आप की नीयत में कोई खोट नहीं था।  इस लिए लेनदारों को धन का भुगतान न करना कोई अपराध नहीं था। यदि कोई आप को तंग कर रहा था या गाली गलौच कर रहा था तो वह स्वयं अपराध कर रहा था। आप उस के विरुद्ध पुलिस में शिकायत कर सकते थे।  लेकिन आप ने घबरा कर उन्हें चैक दे दिए जिन के बारे में आप को पता था कि आप उन का भुगतान नहीं कर पाएंगे।  आप भुगतान नहीं कर पाए और इस तरह आप स्वयं ऐसा अपराध कर बैठे जिस का कोई निराकरण नहीं है।  न्यायालय  के समक्ष कार्यवाही होने पर आप को कारावास का दंड होना निश्चित है।

प व्यापार में भुगतान संतुलन बिगड़ जाने के कारण लेनदारों का रुपया नहीं लौटा पा रहे थे तो उस के लिए आप के पास यह उपाय था कि आप को प्रोविन्शियल इन्सोल्वेंसी एक्ट-1920 के अंतर्गत जिला न्यायालय के समक्ष आवेदन करना चाहिए था। इस तरह आप वहाँ कह सकते थे कि सद्भाविक रूप से व्यापार करते हुए देनदारों से रुपया वापस न आने के कारण

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