संपत्ति का बँटवारा या तो पंजीकृत या न्यायालय की डिक्री से न हो तो वह वैध नहीं है।
मीनाली जैन ने बागपत उत्तर प्रदेश से पूछा है-
हमारे और हमारे चाचा के बीच सपंत्ति के बटवारे को लेकर जो समझौतानामा हुआ वह गलत था और 10 रुपये के स्टाम्प पेपर पर हमारे चाचा ने हमारी मम्मी और भाई के हस्ताक्षर करा लिए हमारे पापा का देहान्त हो चुका है। जिन लोगों ने हमारा समझौता कराया था उन्होंने भी गवाह बन कर गलत समझौते नामा पर हस्ताक्षर कर दिए। उस पेपर पर चाचा ने हमारी एक दुकान और चाचा के घर में हमारे पापा का जो आधा हिस्सा था वो भी अपने नाम कर लिया और पैसे भी नहीं दिए। इस समझौता नामा को रोकने के लिए मेरी मममी या भाई कुछ कर सकते हैं या उनकी जगह पुत्री होने के नाते मैं और मेरी बहन कोई कारवाई कर सकते हैं। ये दुकान और घर हमारे पापा ने खुद खरीदा था। हमारे दादाजी के देहांत के बाद। पापा के देहान्त के बाद पापा का बिजनेस चाचा देखने लगे जो पापा के बाद अब मेरी मममी के नाम है। लेकिन चाचा ने हमें बिजनेस मे कभी कोई हिस्सा नहीं दिया और हमारी दुकान पर हैं। चाचा ने मममी से 1996 में कुछ पैसे लिए थे ब्याज पर जो चाचा ने कभी वापस नहीं किए पर हमारे पास चाचा को पैसे देने का कोई लिखित नहीं है।
समाधान-
आप की मां ने चाचाजी को 1996 में जो धन उधार दिया था उस की लिखित भी नहीं है और होती तो भी अब किसी काम की न रह जाती। कोई भी उधार सिर्फ उधार देने के 3 साल के अंदर वसूला जा सकता है।
जिस समझौतानामा की आप बात कर रही हैं वह पंजीकृत प्रतीत नहीं होता है। ऐसे समझौतानामा का कोई महत्व नहीं है। आप के पिता की संपत्ति कोई पुश्तैनी संपत्ति नहीं थी। उस में आप दोनों बहनों को अधिकार प्राप्त है। आप सम्पूर्ण संपत्ति जिस में दुकान का कारोबार सम्मिलित है के बंटवारे की कार्यवाही कर सकते हैं। इस संबंध में आप को अपने दस्तावेजों के साथ किसी अच्छे स्थानीय दीवानी वकील से मिल कर सलाह प्राप्त करनी चाहिए और कार्यवाही करनी चाहिए।
पैतृक भूमि मे बटवारा कानून के तहत भाइयों का हिस्सा रास्ते पर किस तरह लगेगा मतलब बड़ा किधर तथा छोटा किधर होगा