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संयुक्त संपत्ति में अपना पृथक हिस्सा प्राप्त करने के लिए विभाजन का वाद प्रस्तुत करें

समस्या-

मेरे नानाजी की कुल चार संतान हैं जिस में एक लड़की यानी मेरी माँ के अलावा तीन लड़के (मेरे मामा) हैं। मेरे नाना जी की अभी हाल में ही मृत्यु हो गयी है, लेकिन नानी जी जीवित हैं। नाना जी की मृत्यु के पहले उन्होंने कोई वसीयत नहीं बनायीं थी। उन्हें एक कृषि भूमि उन के चाचाजी से वसीयत में प्राप्त हुई थी।  नाना जी ने कुछ जमीन मेरी मम्मी को उप पंजीयक के यहाँ २५००० रुपये का बिक्री पत्र बनवाकर मेरी माँ के नाम करवा दी थी। अब नाना जी के देहान्त के उपरान्त उन की शेष जमीन उत्तराधिकार के अनुसार बराबर भागो में बांटनी है। मुझे पता चला है कि नाना जी ने या मामा जी में से किसी ने मम्मी से धोखे से हस्ताक्षर करवाकर यह लिखवाया था कि मुझे मेरा हिस्सा मिल गया है और मुझे अब इस जमीन में कोई हिस्सा नहीं चाहिए। कृपया आप मुझे बताइए की इस तरह से धोखे से हस्ताक्षर करवा कर बने हुए दस्तावेज की वजह से मेरी माँ को अब हिस्सा मिलेगा या नहीं अगर नहीं तो इसे प्राप्त करने के लिए क्या करना पड़ेगा ?

-विनोद कुमार तिवारी, शहडोल, मध्य प्रदेश

समाधान-

प के नाना जी को जो संपत्ति वसीयत के द्वारा आप के नाना जी के चाचा जी से प्राप्त हुई थी वह पुश्तैनी संपत्ति नहीं थी और आप के नाना जी उस संपत्ति या उस के किसी भाग को किसी को भी विक्रय, उस की वसीयत कर सकते थे तथा किसी भी प्रकार से हस्तान्तरित कर सकते थे। उन्हों ने आप की माता जी को जो संपत्ति हस्तान्तरित की थी वह विक्रय पत्र के माध्यम से हस्तान्तरित की थी। ऐसे हस्तान्तरण को किसी भी प्रकार से किसी संयुक्त संपत्ति में से हिस्सा देना नहीं कहा जा सकता है। वेसे भी उस संपत्ति में किसी का सहस्वामित्व नहीं था तथा उस में नानाजी के जीवित रहते हुए किसी को हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार नहीं था। इस कारण किसी दस्तावेज पर यह लिखा होना कि आप की माता जी ने हिस्सा प्राप्त कर लिया है  कुछ भी प्रमाणित नहीं करता है। इस तरह का लिखा हुआ कोई भी दस्तावेज निरर्थक है।

प के नानाजी शेष भूमि की कोई वसीयत नहीं कर गए हैं तो वह भूमि अब उत्तराधिकार के नियम के अनुसार विभाजित होने योग्य है। आप के नानाजी के देहान्त के समय से ही उस भूमि में उन के उत्तराधिकारियों का अधिकार निहित हो गया है। आप के नानाजी के उत्तराधिकारियों में आप के नानीजी, तीन मामाजी और एक आप की माताजी कुल पाँच मौजूद हैं। इस कारण से उक्त भूमि के अब पाँच समान अधिकार वाले स्वामी हो गए हैं। उन में से कोई भी भूमि संपत्ति के विभाजन के लिए वाद प्रस्तुत कर अपना हिस्सा प्राप्त कर सकता है। आप की माता जी भी न्यायालय में अपना हिस्सा प्राप्त करने के लिए विभाजन और अपना पृथक हिस्सा प्राप्त करने का वाद प्रस्तुत कर सकती हैं। आप के नानाजी के जीवनकाल में लिखे गए किसी ऐसे दस्तावेज के आधार पर जिस में  आप की माता जी  ने स्वीकार किया है कि वे उन का हिस्सा प्राप्त कर चुकी हैं, उत्तराधिकार में उन का हिस्सा प्राप्त करने के अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं होगा।

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