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उत्तर प्रदेश में विवाहित पुत्रियों को कृषि भूमि में हिस्सा नहीं।

rp_kisan-land3.jpgसमस्या-

अनिता तिवारी ने सोरों कासगंज, उत्तरप्रदेश से समस्या भेजी है कि-

ग्रीकल्चर लैंड की 22 बीघा जमीन मेरे नाम ना आकर मेरे भाई के नाम आ गयी है। हम दो बहनें एक भाई शादी शुदा हैं ये जमीन मेरी माँ के पास थी मेरी माँ की म्रत्यु सन 2008 में हो चुकी है। मैं जानना चाहती हूँ की बेटी का हक माँ की जमीन पर क्यों नहीं? मेरा भाई उस जमीन को बेच बेच कर शराब व जुआ तथा अनैतिक कार्यों में लगा रहा है। कोई कानून है जिस से मैं अपने भाई को जमीन बेचने से रोक सकूँ या मैं अपना हिस्सा पाने के लिए किस कानून के तहत मुकदमा डालूं।

समाधान-

ह आप का दुर्भाग्य है कि आप की जमीन उत्तर प्रदेश में है। लगभग पूरे देश में कृषि भूमि पर हिन्दू उत्तराधिकार कानून प्रभावी है। लेकिन उत्तर प्रदेश इस मामले में आज के भारत में नहीं, 18वीं सदी के किसी राजा के राज्य में स्थित है। वहाँ कृषि भूमि के मामले में आज भी यही कानून है कि विवाहित पुत्रियों को कृषि भूमि पर हिस्सा तब मिलता है जब परिवार में दूर दूर तक कोई पुरुष ही नहीं हो। अविवाहित पुत्रियों को हिस्सा भी 2008 में किए गए संशोधन के बाद मिलने लगा है।

त्तर प्रदेश की महिलाएँ और कथित नारीवादी अभी तक सोए हुए हैं। उन्हें जागने और यह कानून बदलवाने की जरूरत है। आप आवाज उठाइए। अन्य लोगों के साथ मिल कर उठाइए। भाई यदि इस तरह संपत्ति को बर्बाद कर रहा है तो उस के पत्नी और बच्चे सवाल कर सकते हैं। इस मामले में आप किसी स्थानीय वकील से संपर्क कर सलाह लें तो हो सकता है वह आप से पूरी परिस्थितियाँ जान कर कोई उपाय बता सके।

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