संयुक्त स्वामित्व के भूखंड का विभाजन हो कर ही उन का पृथक सीमांकन हो सकता है
|समस्या-
गाँव में हमारा एक भूखंड 0.61 हैक्टर का है जिस में मैं 1/2 हिस्से का तथा 1/2 हिस्से का हिस्सेदार दूसरा व्यक्ति है। मेरी सीमा में लगभग 12 मीटर मेरे हिस्से की जमीन में कब्जा कर लिया है। मैं ने चार माह पूर्व सीमा ज्ञान करवाया था परंतु पटवारी ने मेरे हिस्से की जमीन कहाँ तक है उस का सीमा ज्ञान करवाने से इन्कार कर दिया जब कि मैं तहसील से आदेश पत्र ले कर आया था। कृपया सुझाएँ कि मेरी समस्या का समाधान कैसे हो सकता है?
-विनोद कुमाँवत, ग्राम-गुढ़ा गौर जी, राजस्थान
समाधान-
आप ने अपनी समस्या को अत्यन्त संक्षेप में रखा है। आप के द्वारा दिए गए विवरण से पता लगता है कि जिस भूखंड की आप बात कर रहे हैं वह कृषि भूमि का टुकड़ा है। इस भूखंड का एक ही सम्मिलित खाता है। इस भूमि के दो हिस्सेदार हैं जो उस भूमि के संयुक्त रूप से स्वामी हैं। हो सकता है उस भूखंड पर आप दोनों संयुक्त स्वामियों ने स्वैच्छा से अपने अपने हिस्से निर्धारित कर लिए हों और उस पर अलग अलग खेती कर रहे हों या करवा रहे हों। लेकिन राजस्व विभाग की दृष्टि में यह भूखंड एक ही है और उस के दो टुकड़ों की पैमायश राजस्व अभिलेख में अंकित नहीं है। एक पटवारी केवल राजस्व अभिलेख में अंकित भूमि सीमाओं का नाप और सीमांकन कर सकता है। आप के व्यक्तिगत अभिलेख का उस की दृष्टि में कोई मूल्य नहीं है।
यदि आप अपना अलग हि्स्सा चाहते हैं तो आप को अपने भागीदार के साथ आपस में बँटवारा विलेख निष्पादित कर उसे राजस्व रिकार्ड में अंकित करवाना पड़ेगा। सामान्य भाषा में इसे खाता फटवाना कहते हैं। यदि आप का भागीदार और आप बँटवारे के बारे में आपस में सहमत न हों तो आप स्वयं भूमि का विभाजन करने तथा अलग अलग हिस्सों का अंकन कर के उस पर स्वतंत्र कब्जा दिलवाने का दावा सक्षम क्षेत्राधिकार के राजस्व न्यायालय में कर सकते हैं। न्यायालय द्वारा विभाजन कर दिए जाने पर अलग अलग सीमांकन हो जाएगा और आप का कब्जा अपने स्वतंत्र हिस्से पर मिल जाएगा। तब आप अपने हिस्से की भूमि का पृथक से सीमांकन करवा कर वहाँ सीमाचिन्ह बनवा सकते हैं।
में रमेश,मेरी समिलाती कृषि भूमि जिसका बिभाजन मेने म.प्र. भू रा ज सं की धारा १७८ के तहत १९९६ में कराया जिससे मुझे अपनी भूमि का हिस्सा बिधिवत प्लाट १,एवम् अन्य एक को प्लाट २ मिला। शेष खातेदार जो बिभाजन नही चाहते थे सामिल रहेऔर मेरा बिभाजन हो गया, किन्तु बाद में बर्ष २००० में मेरे बिभाजन को नकारते हुये पटवारी की साँठगाँठ से फर्जी तरमीम की गई तो मेने बाद किया और फर्जी तरमीम निरस्त हुई किन्तु जब तक 13बर्ष बीत गए और फर्जी तरमीम के आधार पर जमीं बेचते रहे ,अब क्रेता गण मेरे खसरा १ पर भूमि पाना चाहते हैं जबकि रजिस्टी ३ की है, पर चतुरसीमा मेरे प्लाट की लिखाई गई, तब क्रेता को ३ में भूमि मिलेगी या चतुरसीमा बी कब्जा के आधार पर १ नम्बर प्लाट मिलेगा जबकि सीमांकन में क्रेता का कब्जा अबैध पाया गया । यानी रजिस्ट्री ३ नम्बर की है पर चतुरसीमा बी कब्जा १ पर किया है। समाधान करें।। रमेश शर्मा म प्र ।।
भूमि अभिलेखों में संयुक्त स्वामित्व के अंकन के कारण ही बहुधा सीमान्त कृषकों का शोषण क्षंत्रीय लेखपाल द्वारा किया जाता है इस समस्या के निवारण हेतु भूअभिलेखों में ‘‘ऐक नाम एक गाटा ’’ का सिद्धांत भूअभिलेखों में अपनाया जाना चाहिये
आवश्यकतानुसार भूमि संबंधी कानूनों में संशोधन किया यिा जा सकता हे
from vinod kumawat
sir,aapka bahut-bahut sukariya aapne mujhe seema gyan va vibhajan ke visay me itne vistar se bataya nav varsh aap ke liye khushiyon ki sougat laye