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सच का साथ लिया है तो उस पर डटे रहें …

motor accidentसमस्या-

नांदेड़, महाराष्ट्र से साधना थोराट ने पूछा है-

नांदेड शहर में मेरे पति को चक्कर आने से चलती गाडी से गिरे और बेहोश हो गये। कुछ लोगों ने उन्हें उठा कर अस्पताल पहुँचाया। घटना होने के बाद दूसरे दिन एक आदमी ने हमारे मोबाईल पर संपर्क कर के कहा कि तुम्हारे पति ने हमारे रिश्तेदार को टक्कर मार दी है। अगर तुम हमें पैसे नहीं दोगे तो हम थाने में केस दर्ज करायेंगे तुम्हारे पति की नौकरी जायेगी। हम डॉक्टर को पैसे देकर झूठे बिल बनायेंगे और तुमसे पैसे लेंगे।  इस तरह उसने दस बारह दिन फोन किया। हम ने पैसे देने से इन्कार किया और थाने में उसके खिलाफ  केस दर्ज करा दिया। उस ने हमारे बाद मेरे पति के खिलाफ केस दर्ज कराया मेरे पति ने गाडी का तृतीय पक्ष बीमा नहीं कराया हुआ है। मेरे पति को जमानत मिली है और हमने गाड़ी भी छुडवा ली है। उन्होने झूठे गवाह खड़े कर के मेरे पति को सजा दिलायी तो उनकी नौकरी जा सकती है क्या? या उसे पैसे देकर उसे चुप करना चाहिये? अब हमें क्या करना चाहिए?

समाधान-

प ने यह सही किया कि उस ब्लेक मेलर को कोई धन न दे कर पुलिस में रिपोर्ट करवा दी। पुलिस ने उस व्यक्ति की रिपोर्ट पर आप के पति की जमानत थाने में ही ले ली होगी क्यों कि यह मामला जमानतीय अपराध का है। आप को तुरन्त एस.पी. पुलिस से मिल कर बात करनी चाहिए और उन्हें बताना चाहिए कि मामला क्या है और आप ने पहले रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी। आप के पति को जिन लोगों ने अस्पताल पहुँचाया था उन में से किसी को आप जानती हों तो उसे साथ ले जाइए या फिर उस का शपथ पत्र लगा कर एस.पी. को आवेदन दीजिए। आप की शिकायत की जाँच के बाद यदि आप की बात सही पायी जाती है तो हो सकता है पुलिस ही इस मामले मे अन्तिम रिपोर्ट में आरोप पत्र न्यायालय के सामने प्रस्तुत न करे और मामला यहीं निपट जाए।

दि पुलिस आप के पति के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत करती है तो आप को चाहिए कि आप अच्छा वकील करें और मामले में अपनी प्रतिरक्षा प्रस्तुत करें। मेरी समझ में आप के पति को न्यायालय सही समझेगा और दोषमुक्त करार कर देगा। आप को सच के साथ डटना चाहिए और न्याय पर विश्वास करना चाहिए। वैसे भी आप को घबराने की जरूरत नहीं है। इस तरह के मामले में सजा हो जाने पर भी नौकरी नहीं जाती है। मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले की अपील सेशन न्यायालय में की जा सकती है।

ज कल तृतीय पक्ष नाम का कोई बीमा नहीं होता है। केवल एक्ट बीमा होता है जो करवाना अनिवार्य है। यदि किसी भी तरह का वाहन का बीमा आप के पति ने करवा रखा है तो तीसरे पक्ष की हानि की क्षतिपूर्ति की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होती है।  इन दिनों यह बड़े पैमाने पर हो रहा है कि किसी व्यक्ति को एक्सीडेंट में चोट लग जाती है तो और एक्सीडेंट करने वाले का पता नहीं लगता है तो हर्जाना वसूल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को फँसा देते है। लेकिन अदालतें भी इस बात को जानती हैं। आप के पति अपने बेकसूर होने की साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे तो उन्हें कुछ नहीं होगा।

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