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सद्भाविक आवश्यकता के आधार पर दुकान खाली कराने का मुकदमा करें।

Shopsसमस्या-
कालिदास दुर्गा ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से पूछा है-

मेरे पापा ने एक दुकान किराए पर पिछले 15 साल से दे रखा है। हर साल 11 माह का एग्रीमेंट होता आ रहा है। इस साल एग्रीमेंट खत्म होने पर उस ने किराया देने से मना कर दिया। हम ने वकील से नोटिस भिजवा दिया कि मैं बेरोजगार हूँ, मुझे दुकान की आवश्यकता है, आप ने किराया भी नहीं दिया है। उस ने नोटिस का उत्तर देने के बजाए किराया मनिआर्डर से भिजवा दिया जो हम ने नहीं लिया। हमें दुकान खाली कराना है। फिर किराएदार ने केस किया कि किराया 5000 रुपया करने की मांग कर रहे हैं मुझ पर दबाव डाला जा रहा है कि दुकान खाली करो जब कि किराया 1400 रुपए प्रतिमाह है। उस ने कभी किराये की रसीद नहीं ली, और नोटिस के बाद उस ने मनिआर्डर किया। कहता है कि दुकान उस की आय का एक मात्र स्रोत है। जब कि पॉलिटिक्स में उस की अच्छी पहुँच है। वह एक पैर से लंगड़ाता है इसी का फायदा उठा कर दुकान हड़प करने की कोशिश कर रहा है। आप बताएँ दुकान कैसे खाली करा सकता हूँ। पापा अब वृद्ध हो चुके हैं घर को मैं ही देख रहा हूँ और मेरे पास कोई काम धंधा या नौकरी नहीं है।

समाधान-

ब से पहले तो आप यह भय अपने मन से निकाल दीजिए कि किराएदार आप की दुकान हड़प कर लेगा। आप के पिता मकान मालिक हैं, वे मकान मालिक ही रहेंगे और किराएदार किराएदार रहेगा। किराएदार आप की दुकान को नहीं हड़प सकता।

र साल 11 माह का किराए का जो एग्रीमेंट होता था वह आपसी सहमति से दोनों के बीच होता था। आप इस साल फिर किराया बढ़ाना चाहते थे लेकिन वह सहमत नहीं हुआ उस ने किराया नहीं बढ़ाया नया एग्रीमेंट नहीं किया उस में कोई गलत बात नहीं है। आप को दुकान की जरूरत है। आप ने उसे नोटिस दिया। उसे दुकान खाली करने की आप की बात स्वीकार नहीं है। उसे आशंका थी कि आप किराए की रसीद नहीं देंगे इस कारण उस ने किराया मनिआर्डर से भेज दिया, उस में भी कुछ गलत नहीं है। आप को दुकान खाली करानी है इस कारण आप ने मनिआर्डर प्राप्त नहीं किया उस में भी कुछ गलत नहीं है।

निआर्डर वापस लौटने के बाद किराएदार की ड्यूटी है कि वह किराया न्यायालय में जमा कराए। उस के लिए उसे न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करना होता है, वही आवेदन उस ने न्यायालय में प्रस्तुत किया होगा और उसी की सूचना आप को मिली होगी। उसी आवेदन में  उस ने ये सब तथ्य लिखे होंगे। इस में भी कुछ गलत नहीं है।

ब यह स्पष्ट हो चुका है कि आप का किराएदार आपसी सहमति से दुकान खाली नहीं करेगा। आप ने पहले ही उसे दुकान खाली करने का नोटिस दे दिया है। आप को चाहिए कि आप किराएदार के विरुद्ध व्यक्तिगत सद्भाविक आवश्यकता तथा किराया अदायगी में चूक के आधार पर मकान खाली कराने व बकाया किराया वसूली का मुकदमा न्यायालय में प्रस्तुत कर दें। दुकान तो अब न्यायालय की डिक्री से ही खाली हो सकेगी। इस कारण आप अपना मुकदमा जितनी जल्दी आरंभ कर दें उतना अच्छा है। आप को वास्तव में दुकान की सद्भाविक आवश्यकता है, एक अकेले इसी आधार पर आप को दुकान खाली कराने की डिक्री मिल सकती है।