DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

मंदिर भूमि की ट्रस्ट डीड निष्पादित कराएँ।

समस्या-

कुलदीप कुमार ने हापुड़ उत्तर प्रदेश से पूछा है-

हमें 30 वर्ष पहले एक साधारणा दानपत्र द्वारा एक मंदिर के नाम पर लगभग 1000 गज़ ज़मीन दान में दी गई थी, जिस का दानपत्र रजिस्टर्ड नहीं कराया गया था। उस दानपत्र पर कुछ गवाहों के साइन भी हैं और पिछले 30 वर्षों से हमारा उस ज़मीन पर क़ब्ज़ा भी है। अब मुझे उस ज़मीन को मंदिर कमिटी के नाम से रिजिस्टर्ड कराना है, क्या मुझे एसा करने में कोई परेसानी आ सकती है? क्या एसा करने से दानदाता का परिवार अड़चन डाल सकता है? मुझे क्या करना चाहिए जिससे ये ज़मीन, जिस पर 30 वर्षो से हमारा क़ब्ज़ा है वो मंदिर समिति के नाम पर रजिस्टर्ड हो जाए।

समाधान-

अपंजीकृत दानपत्र का कोई विधिक मूल्य नहीं है। दान भी एक प्रकार का संपत्ति हस्तान्तरण है इस कारण उस का पंजीकृत होना आवश्यक है। इस दान पत्र की महत्ता मात्र इतनी है कि इस से पता लगता है कि दानपत्र लिखने के बाद से यह संपत्ति आप के कब्जे में है। 30 वर्ष से अधिक का कब्जा आप का हो चुका है तो आप के इस कब्जे का दखल लेने के लिए कोई आप के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही संस्थित नहीं कर सकता।

आप ने बताया नहीं है, पर यदि जमीन 30 वर्ष पूर्व मंदिर के लिए दान दे दी गयी थी, तो उसी काम में भी आ रही होगी। यदि ऐसा है तो आप पिछले 30 वर्ष से एक ट्रस्टी की तरह ही काम कर रहे हैं। बेहतर है कि आप एक ट्रस्ट डीड निष्पादित कर मंदिर समिति के नाम उसे ट्रस्ट कर दें। हमें नहीं लगता कि इस काम में किसी तरह की कोई कानूनी परेशानी आएगी। यदि दानकर्ताओं के परिवार की आपत्ति भी आई तो वह भी निरस्त हो सकती है।

Print Friendly, PDF & Email