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विलेख को चुनौती देने वाला साबित करेगाकि वह गलत था

समस्या-

संजय सिंह राजपूत ने इटारसी, जिला होशंगाबाद, मध्य प्रदेश से पूछा है –

बहनों द्वारा विधिसंगत ई पंजीकृत हक त्याग विलेख निष्पादित कर देने के उपरान्त नामांतरण प्रकिया में आपत्ति लगाई गई।  छल कपट व धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए बहनों का कहना है की उन्होंने किसी भी हक त्याग विलेख पर कभी हस्ताक्षर नहीं किये।  पढ़ी लिखी होने के बाद भी उन्होंने अनपढ़ होने का कथन करते हुआ कहा है कि वे केवल हस्ताक्षर करना जानती हैं, और हमने केवल केसीसी के लिये सहमति प्रदान की है।  उप पंजीयक द्वारा भी दस्तावेज बनाते समय कुछ ना पूछने का आरोप लगाया गया है।   रजिस्ट्री के एक गवाह को जो कुटुम्ब का ही है पहचानने से इन्कार कर दिया गया है।  हकगृहीता व गवाहों के द्वारा छल कपट कर हक त्याग विलेख पर हस्ताक्षर कराने की बात कर उसे रोकने के लिये आपत्ति लगाई गई है।  न्यायालय में भी 39 (1) व (2) के तहत आवेदन दिया गया है।  जबकि हकत्याग की प्रकिया पूर्ण विधि अनुरुप अपनाई गई थी व बहनों ने भी हक त्याग पर स्वस्थ चित से सब जानते हुए ही हक त्याग किया था।  पर अपने एक सक्षम पुत्र द्वारा बहकाने पर आपत्ति लगाई गई है।  दस्तावेज के दोनों साक्षी अपने लिखित कथन दे चुके हैं, परंतु तहसीलदार द्वारा अभी तक रजिस्ट्रीकर्ता अधिकारी उप पंजीयक को तहसील में नहीं बुलाया गया है।  उप पंजीयक को साक्ष्य हेतु कैसे बुलाया जायेगा व विधिसंगत क्या किसी प्रकार की कार्यवाही आपत्तिकर्ता के खिलाफ़ की जा सकती है।

समाधान-

आप तो अपने पक्ष में हकत्याग विलेख बहिनों से निष्पादित करवा कर उसका पंजीयन करवा चुके हैं।  कार्यवाही तो आपकी बहिनों ने उस विलेख को निरस्त कराने तथा तदनुसार नामान्तरण नहीं करने के लिए की है। आपने आदेश 39 नियम (1) एवं (2) का उल्लेख किया है। यह आवेदन दीवानी अदालत में उक्त दस्तावेज को चुनौती देते हुए उसे निरस्त करने का दीवानी वाद प्रस्तुत करने पर ही आपके विरुद्ध लगाया गया होगा। आपने यह तथ्य हमें नहीं बताया है।  इस तरह बिना पूरे तथ्य सामने हुए बिना कोई भी समाधान अधूरा हो सकता है।

अब आपकी बहनों ने दीवानी अदालत में हकत्याग विलेख को चुनौती दी है।  यह काम केवल दीवानी न्यायालय ही कर सकता है।  जब तक उस वाद का अंतिम निर्णय नहीं हो जाता।  तहसीलदार को नामान्तरण करना भी नहीं चाहिए।  तहसीलदार के समक्ष नामान्तरण के लिए आप गए हैं।  वहाँ हकत्याग विलेख आप को सही साबित करना होगा।  दूसरी ओर दीवानी अदालत में आपकी बहनों पर यह दायित्व है कि वे हकत्याग विलेख को दबाव में धोका दे कर निष्पादित करवाना साबित करें।  आपकी बहनों के लिए यह साबित करना अत्यन्त कठिन होगा।  आप को सिर्फ बचाव करना है। 

नामान्तरण आपके हक में अभी न भी हो तो आपको क्या फर्क पड़ता है? जमीन आपके कब्जे में है आप उसके लाभ लेते रहें और मुकदमा लड़ें।  परेशानी तो आपकी बहनों को होनी चाहिए।  आपने मुख्य बात यह पूछी है कि उप पंजीयक को कैसे तहसीलदार के समक्ष गवाही के लिए बुलाया जाएगा।  इस मामले में आप तहसीलदार को आवेदन दे सकते हैं कि उप पंजीयक को गवाही के लिए बुलाया जाए जो भी उसका खर्चा हो वह आप देने को तैयार हैं।  तहसीलदार चाहे तो उसे गवाही के लिए बुलाएगा।

 

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