सद्भाविक आवश्यकता के आधार पर दुकानें खाली कराई जा सकती हैं।
संजय शर्मा ने भरतपुर, राजस्थान समस्या भेजी है कि-
भरतपुर में मेरे पिताजी की 3 दुकाने हैं। वो बहुत सालों से करीब 40 साल से किराये पर चल रही है और उनका किराया मात्र 300 रु. प्रतिमाह मिल रहा है। आज हमारी ये हालत है की खाने तक के पैसे नहीं हैं। उनका कोई किरायानामा नहीं हैं। क्या हम उन्हें खाली करवा सकते हैं, तो कैसे? जिस से की परिवार का अच्छे से पालन पोषण हो सके। दुकानदारों का व्यवहार भी बहुत खराब है।
समाधान-
भाई दुकान खाली कराने से कैसे आप का परिवार चलेगा? परिवार चलेगा ठीक ठीक आमदनी से वह आमदनी कोई काम करने से होगी। नौकरियाँ नहीं हैं तो आप इन तीन दुकानों में व्यवसाय कर सकते हैं। आप किसी व्यवसाय की योजना बनाइए। उसे कागजों पर लाइए। फिर आप न्यायालय से कह सकते हैं कि आप को इस योजना के लिए अर्थात अपने व्यवसाय के लिए दुकानों की सद्भाविक जरूरत है। दुकानदारों का खराब व्यवहार भी न्यूसेंस तो पैदा करता ही है।
यदि 2003 या उस के बाद आप की दुकानों का किराया नए किराया कानून के अनुसार नहीं बढ़ाया गया है तो आप इस कानून के अन्तर्गत किराया बढ़ाने का आवेदन भी न्यायालय से कर सकते हैं।
इस प्रकार आप अपने नगर के किराया अधिकरण के समक्ष सद्भाविक आवश्यकता और न्यूसेंस के आधारों पर दुकानों को खाली कराने का आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी आवेदन में आप दुकान खाली होने तक किराया बढ़ाने के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। इस मामले में किसी स्थानीय वकील से सलाह और मदद हासिल करें।