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हस्ताक्षरित रिक्त चैक किसी को न दें, राशि लिखा हुआ दें तो भी बिना प्रयोजन अंकित रसीद के न दें।

cheque dishonour1समस्या-

मन ने अजमेर, राजस्थान से समस्या भेजी है कि-

मैं ने एक जने से रूपये उधार लिये, उसके बदले दो चैक दिये। एक खाली, एक भरा, दोनों की फोटो कापी कर के। रुपये देने के बाद उसने भरा चैक लोटा दिया। पर खाली चैक बाद में देने को कहा। मैं बहुत दिनों तक उस के घर के चक्कर काटता रहा। वह हर बार टालता रहा। फिर उस ने मकान खाली कर दिया। कभी मिल भी जाता तो कहता कहीं मिस हो गया है। मिलते ही दे दुंगा तीन साल बाद मुझे पता चला कि उस ने वही चैक किसी और को दे, उस में बडी रकम भर मुझ पर केस कर दिया है। मैं थाने गया वहाँ जवाब मिला कि तुमने रूपये लिये चैक दिया इस में हम कया करें। सभी बडे अफसरों को लिख कर दिया कि इस ठग पर कार्यवाही हो। पर सभी कार्यवाही चल रही है कहते हैं, करता कोई नहीं। अदालत में कार्यवाही चल रही है अब शायद जिरेह चालू होगी आप ही बतायें मैं कया करूँ जिस से उस ठग पर कार्यवाही हो।

समाधान-

ब से पहले तो कोई भी खाली चैक हस्ताक्षर कर के किसी भी व्यक्ति को देना नहीं चाहिए। भरा हुआ चैक दें तो उस की रसीद अवश्य प्रप्त कर लें जिस में उस का प्रयोजन स्पष्ट अंकित हो। फोटो प्रति रखने से कुछ नहीं होता। जब आप ने रुपए चुकाए तभी दोनों चैक वापस प्राप्त कर लेने चाहिए थे। जब उस ने दो या तीन बार टाल मटोल की तभी उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए थी। आप ने नहीं की, तो भी जब उस ने मकान खाली कर दिया तब करनी चाहिए थी। लेकिन आप ने नहीं की।

कोई भी चैक का केस धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अन्तर्गत तभी हो सकता है जब चैक अनादरित होने के बाद उस की राशि के भुगतान का नोटिस आप को मिल जाए। यदि आप को यह नोटिस मिला है तो उस का सही से जवाब यह होना चाहिए था कि यह चैक मैं ने आप को नहीं अपितु किसी अन्य व्यक्ति को दिया था और उस ने न्यास भंग कर के आप को दे दिया। आप के विरुद्ध मेरा कोई दायित्व नहीं है। जिस व्यक्ति को चैक दिया था उस के व आप के विरुद्ध धारा 406 आईपीसी में मुकदमा दर्ज करवा रहा हूँ।

प ने इस तरह के नोटिस व उस के उत्तर का कोई उल्लेख अपने प्रश्न में नहीं किया है। हो सकता है नोटिस आप को नहीं मिला हो। तो आप को जैसे ही धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम का समन मिला तब तुरन्त कार्यवाही करनी थी। यदि पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की थी तो रजिस्टर्ड एडी डाक से पुलिस अधीक्षक को शिकायत भेजनी थी और उस के द्वारा भी दो सप्ताह में कोई कार्यवाही न करने पर आप को न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर पुलिस को अन्वेषण के लिए भेजने हेतु प्रार्थना करनी चाहिए थी और न्यायालय के न मानने पर आप को खुद अपनी साक्ष्य से मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए था। कुल मिला कर आप ने बहुत गलतियाँ की हैं और बहुत सुस्ती बरती है।

प को अब भी चाहिए कि आप उन दोनों व्यक्तियों के विरुद्ध मजिस्ट्रेट के न्यायालय में धारा 420, 406 आईपीसी में परिवाद दर्ज कराएँ। आप का धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम का मुकदमा साक्ष्य में आ गया है। उस में बचाव के अनेक बिन्दु हो सकते हैं। जैसे कि आप को नोटिस नहीं मिला, जिस व्यक्ति ने चैक का मुकदमा किया है उस के प्रति आप का कोई दायित्व नहीं है, आदि आदि। आप का वकील इन बचाव के बिन्दुओं पर जिरह कर के आप की प्रतिरक्षा कर सकता है। इस मामले में हम कोई भी ठोस सुझाव नहीं दे सकते। क्यों कि सुझाव केवल पूरे मामले की पत्रावली के समस्त दस्तावेजों का अध्ययन कर के ही दिए जा सकते हैं। यदि आप का वकील अच्छा हुआ तो वह अच्छी प्रतिरक्षा कर सकेगा, उस के साथ ही वह आप का परिवाद प्रस्तुत करवा कर भी उन दोनों व्यक्तियों के विरुद्ध कार्यवाही कर सकेगा।

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