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सेल्फ चैक अनादरित होने पर भी धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के अपराध से नहीं बचा जा सकता।

sbi1समस्या-
सुजानगढ़, राजस्थान से बाबूलाल बोहरा ने पूछा है  –

मैंनें अपनी एक गाड़ी एक व्यक्ति को विक्रय की थी, जिसके बाबत उस व्यक्ति में मेरे 2,00,000/-रुपये बकाया हैं। उस व्यक्ति ने मुझे उक्त रुपये अदा करने हेतु अपने बैंक खाते का एक सेल्फ चैक मेरा नाम उस में अंकित किये बिना 2,00,000/- रुपये की राशि उस में भर कर उसे हस्ताक्षरित कर मुझे दिया था। उक्त चैक मैंने निश्चित अवधि के भीतर कलेक्शन हेतु अपनी बैंक में पेश किया जो समाशोधन हेतु उक्त व्यक्ति की बैंक में भेजा गया परन्तु उसके खाते में पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण उक्त चैक डिसऑनर हो गया। मुझे उक्त चैक के डिसऑनर होने की सूचना मिलते ही मैं ने रजिस्टर्ड डाक मय रजिस्टर्ड ए. डी. के द्वारा उस व्यक्ति के पते पर निश्चित अवधि के भीतर नोटिस भेजकर उक्त चैक के डिसऑनर होने की उसे सूचना दी एवम् मैं ने उससे अपनी उक्त चैक की धनराशि 15 दिनों में अदा कर देने हेतु उक्त नोटिस में लिखा जिसकी सम्यक रुप से उस पर तामील हो जाने के बावजूद भी उसने चैक की उक्त राशि का भुगतान मुझे नोटिस की अवधि में नहीं किया जिस कारण मैं ने उक्त व्यक्ति के विरुद्ध निश्चित अवधि के भीतर एक परिवाद अन्तर्गत धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम, 1881 के तहत न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया है। जो वर्तमान में न्यायालय में बहस प्रसंज्ञान के प्रक्रम पर विचाराधीन है। मैं इस सम्बन्ध में आपसे यह जानकारी हासिल करना चाहता हूँ कि क्या उक्त प्रकार से जो सेल्फ चैक उसमें मेरा नाम अंकित किये बिना मुझे दिया गया था वह सेल्फ चैक डिसऑनर होने एवं नोटिस की अवधि में उस व्यक्ति के द्वारा मुझे चैक राशि का भुगतान न करने पर उस व्यक्ति का कृत्य अन्तर्गत धारा 138 परक्राम्य लिखित अधिनियम, 1881 में उपबन्धित अपराध की परिभाषा में आता है? और सेल्फ चैक के सम्बन्ध में कानूनी स्थिति क्या है? यदि सम्भव हो सके तो मुझे इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण न्यायिक दृष्टांतो से भी अवगत करवाने की कृपा करें।

समाधान –

कानून के अंतर्गत कोई भी चैक सेल्फ नहीं होता। चैक या तो क्रास्ड होता है या खाते में जमा होने वाला होता है या फिर बियरर होता है। हर चैक में यह अंकित होता है कि “ ……………. (किसी व्यक्ति का नाम) या धारक को अदा करें”। इस चैक को बियरर रखा जा सकता है या फिर क्रॉस किया जा सकता है या फिर खाते में जमा होने वाला बनाया जा सकता है। यदि चैक को क्रॉस कर दिया जाए या फिर उस पर अकाउंट पेयी लिखा जाए तो फिर वह उसी व्यक्ति के खाते में जमा होगा जिस का नाम उस पर अंकित है। यदि सेल्फ लिखा हो और छपे हुए बियरर शब्द को न काटा गया हो तो भी जो व्यक्ति उस चैक को ले कर बैंक में उपस्थित होता है वह धारक माना जाएगा। यदि चैक डिसऑनर हो जाता है तो धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम की परिधि में आ जाएगा।

प के मामले में आप ने चैक को अपने बैंक के अपने खाते में जमा कराया और चेक दाता के बैंक में समाशोधन के लिए भेजा गया इस का अर्थ यह है कि चैक पर आप का नाम अंकित था और सेल्फ अंकित नहीं था। यदि उस पर सेल्फ अंकित होते हुए भी आप के धारक होने के कारण बैंक ने चैक को स्वीकार कर चैक दाता के बैंक को भेजा तब भी धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम आकर्षित होगी।

प का मुकदमा सही है। इस पर न्यायालय प्रसंज्ञान ले लेगा तथा चैक दाता के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हो कर आगे चलेगा। इस संबंध में 12 जुलाई 2006 को Intech Net Limited And Ors. vs State And Anr के प्रकरण में आन्ध्रप्रदेश उच्च न्यायालय का तथा 17 जुलाई 2013 को  B.Sarvothama vs S.M.Haneef on 17 July, 2013  के मुकदमे में पारित कर्नाटक उच्च न्यायालय का निर्णय महत्वपूर्ण है। इन दोनों निर्णयों को आप उन के उनवान पर चटका लगा कर पढ़ सकते हैं और उन के प्रिंट भी ले सकते हैं।

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