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सेवाच्युत कर्मकार को पुनः नियोजन में लेने पर कोई रुकावट नहीं।

rp_termination-of-employment.jpgसमस्या-

प्रदीप कुमार सिंह ने शेखपुरा बिहार से पूछा है-

मैं बिहार सरकार,ग्रामीण विकास विभाग द्वारा संचालित बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति “जीविका” में क्षेत्रीय समन्वयक पद पर कार्यरत था, साथ ही में जीविका के कर्मचारियों के यूनियन का प्रदेश अध्यक्ष था। मुझ पर दुर्भावना से प्रेरित होकर प्रबंधन द्वारा कई गंभीर आरोप लगाकर (फिनांस और फीमेल जैसे मामले को छोड़कर) टर्मिनेट कर दिया गया मैं यह जानना चाहता हूं कि अगर फिर से बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति “जीविका’ में वैकेंसी निकलती है तो क्या मैं उसे भर सकता हूं क्या मेरा चयन प्रबंधन द्वारा किया जाएगा !  जबकि मेरे टर्मिनेशन से संबंधित मामला पटना हाईकोर्ट में लंबित है!

समाधान-

प पर दुराचरण के आरोप लगाए और सेवाएँ समाप्त कर दी गयीं। किसी भी आरोप में कर्मकार की सेवाएँ तभी समाप्त की जाती हैं जब नियोजक यह समझ लेता है कि आरोप सही, सच्चे और उस की स्वयं की निगाह में सिद्ध हैं, तथा इन आरोपों के दोषी को किसी भी प्रकार से नियोजन में नहीं रखा जा सकता। ऐसी अवस्था में उसी नियोजक द्वारा उसी कर्मकार को दुबारा नियोजन नहीं देना चाहिए।

यदि वही नियोजक उसी कर्मकार को फिर  से नियोजन देता है तो उस का अर्थ यह लिया जाना चाहिए कि या तो आरोप ऐसे थे जिन के लिए सेवा समाप्ति का दंड दिया जाना उचित नहीं था, या आरोप निराधार और मिथ्या थे और कर्मकार की सेवा समाप्ति नियोजक द्वारा की गयी त्रुटि थी जिस का उसे अहसास हुआ और उस ने अपनी इस गलती को सुधारने के लिए पुनः कर्मकार को सेवा में रख लिया है। किसी दुराचरण के दोष के आधार पर सेवाच्युत किए गए किसी कर्मकार को उसी नियोजक द्वारा फिर से सेवा में ले लिए जाने पर किसी तरह का कोई कानूनी प्रतिबंध या रुकावट नहीं है।

हमारी राय है कि आप को फिर से आवेदन करना चाहिए, लेकिन यदि आवेदन के प्रारूप में कहीं पूछा गया हो कि आप ने पूर्व में कहीं सेवा की है और उस का विवरण दीजिए तो आप को अपनी पूर्व सेवा का विवरण देना होगा। यह विवरण देना आप को पुन नियोजन प्राप्त करने में बाधा बनेगा। फिर भी  यदि जीविका आप को फिर से नियोजन का अवसर देता है तो आप को सेवा ग्रहण कर लेना चाहिए। यह तथ्य आप के उच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमे में भी आप के पक्ष में एक अतिरिक्त आधार होगा।

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