सेवा में नियमित वेतनमान प्राप्त करने के लिए क्या किया जाए?
समस्या-
इन्दौर, मध्य प्रदेश से हेमन्त ने पूछा है –
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, इन्दौर (म.प्र.) में वर्ष 2002 में दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञप्ति के आधार पर कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद हेतु मैंने आवेदन दिया था। साक्षात्कार एवं अन्य प्रक्रियाओं के पूर्ण होने के उपरान्त मैं प्रथम पाँच सफल आवेदकों में सम्मिलित था। वर्ष 2003 में डाक द्वारा मुझे पत्र प्राप्त हुआ कि उक्त महाविद्यालय के एक विभाग में आपको संविदा आधार पर 89 दिवस के लिए नियुक्ति प्रदान की जाती है। मैंने फरवरी 2003 में उक्त विभाग ज्वाइन कर लिया। वर्ष 2003 से वर्तमान तक 89 दिवस की संविदा नियुक्ति मुझे दी जा रही है। यहाँ ज्वाइन करने के पश्चात मुझे पता चला कि मैंने आवेदन एवं साक्षात्कार तो शासकीय महाविद्यालय में दिया था। किन्तु मेरी नियुक्ति उसी महाविद्यालय के एक स्ववित्त पोषित (महाविद्यालय के अन्तर्गत कार्यरत एक ऑटोनोमस सोसायटी) विभाग में की गई है। इन्हीं परिस्थितिवश कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्य करते हुए करीब 10-11 वर्ष हो गये हैं। इस दौरान विभागीय प्रबंधकारिणी समिति की अनुशंसा पर समय-समय पर मेरे वेतन में वृद्धि होती रही है। मुझे कानूनी सलाह यह चाहिये कि क्या मैं इस पद पर नियमित होने एवं नियमित वेतनमान के लिए क्या प्रक्रिया अपनाना चाहिए। वो प्रक्रिया कानूनी हो या विभागीय। क्या म.प्र. शासन के ऐसे कुछ नियमों की जानकारी आप दे सकते हैं जिसे अपनाकर मैं अपने पद पर नियमित होकर नियमित वेतनमान का लाभ ले सकूँ।
समाधान-
भर्ती की प्रक्रिया शासकीय महाविद्यालय द्वारा पूरी की गई हो, लेकिन आप की नियुक्ति महाविद्यालय के अधीनस्थ स्ववित्तपोषित विभाग में की गई है। इस कारण आप की नियोजक तो सोसायटी ही है शासकीय महाविद्यालय या शासन नहीं। लेकिन वह सोसायटी शासकीय महाविद्यालय के अधीन, उसी के कर्मचारियों जैसा का काम आप से ले रही है इस कारण से आप की सेवा शर्तें भी शासकीय महाविद्यालय के अनुरूप होनी चाहिए।
इस आधार पर आप शासकीय महाविद्यालय के कर्मचारियों के समान लाभ प्राप्त करने की मांग सोसायटी से कर सकते हैं। इस के लिए आप को उच्चन्यायालय के किसी वकील से संपर्क कर के सलाह करनी चाहिए और उन के माध्यम से न्याय प्राप्ति हेतु सोसायटी तथा महाविद्यालय दोनों को नोटिस प्रेषित करवाना चाहिए। इस नोटिस की अवधि समाप्त होने के बाद आप उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत कर सकते हैं।
हेमन्त जी नियमित कर्मचारी होने का दावा पेश करने या कानूनी लड़ाई लड़ने से पूर्व एक बार अपनी संविदा शर्तों को जरूर पढ़ लें क्योंकि आपकी नियुक्ति वास्तव में संविदा कर्मी के तौर पर की गई है जिस पर नियोजक के हस्ताक्षर के साथ-साथ आपके भी हस्ताक्षर होंगे जो इस बात का प्रमाण है कि आपको सेवा की सभी शर्तें व नियमों का न केवल ज्ञान है बल्कि आपको उनका अनुपालन भी करना होगा। आमतौर पर ऐसी सेवाओं में एक निश्चित अवधि पर पर आपकी सेवा की अवधि एक निश्चित समय के लिए बढ़ाई जाती है व समय-समय पर प्रबन्ध समिति उसकी समीक्षा करती रहती है। वैसे इस तरह की संविदा आधारित सेवाओं में यह भी लिखा रहता है कि भविष्श् में आप कभी भी नियमित होने का दावा प्रस्तुत नहीे कर सकेंगे। फिर भी यदि आप के समकक्ष पद हेतु नई स्थायी नियुक्ति के लिए पद सृजित होते हैं तो आप ऐसी स्थिति में अपना दावा पेश कर सकते है। आदरणीय वकील साहब के सलाह मुताबिक एक अच्छे उच्च न्यायालय के एडवोकेट से सलाह करना उचित होगा।
– रवि श्रीवास्तव, इलाहाबाद।