स्त्री का भविष्य केवल आत्मनिर्भरता से ही सुरक्षित
|सुशील कुमार शर्मा ने अवन्तिका, रोहिणी, दिल्ली से समस्या भेजी है कि-
मैंने बिमला पर विश्वास कर अपनी पुत्री का विवाह उसके दत्तक / गोद लिये हुए पुत्र अमित से कर दिया था। जब तक बिमला के पति रामबिलास जीवित थे तब तक तो बिमला मेरी पुत्री के साथ व्यवहार ठीक करती रही। रामबिलास के स्वर्गवास के बाद बिमला के व्यवहार में तब्दीली आ गई। अब वह कह रही है कि अमित उसका नहीं बल्कि उसकी बहन के पति (जीजा) का बेटा है। जबकि राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, बिमला द्वारा की गई फ्लैट की जनरल पावर ऑफ अटोर्नी में पिता का नाम रामबिलास शर्मा ही बताया गया है। अब वह अपनी पूरी जायदाद अपने पुत्र आशीश को देना चाहती है। ना जाने क्यों दामाद (अमित) भी अपनी मां का ही साथ दे रहा है तथा दामाद ने अपना फ्लैट जो कि बिमला ने खरीद कर जिस की जनरल पावर ऑफ अटोर्नी दामाद के नाम थी अब वापस बिमला के नाम कर दिया है। अब बिमला ने मेरी पुत्री पर फ्लैट खाली करवाने का वाद कड़कड़डूमा कोर्ट में डाल दिया है। क्या मेरी पुत्री और पांच वर्षीया नातिन को बिमला फ्लैट से बाहर निकलवा सकती है। क्या मैं रोहिणी कोर्ट में बिमला, दामाद अमित, अमित के बायोलोजिकल पिता गोपाल आदि को धोखा देने के आरोप में वाद डाल सकता हूं कि नहीं। चूंकि मैं रिटायर और बूढ़ा व्यक्ति हूं क्या मुझे सरकारी वकील प्राप्त हो सकता है कि नहीं। मेरी आय मात्र थोड़ी सी पेंशन ही है जो कि सरकारी पैंशन मिलाकर प्रति माह 1600 रुपए ही बनती है। प्लीज मार्गदर्शन करें। धन्यवाद।
समाधान-
सुशील जी, आप ने एक माह में दूसरी बार हमें अपनी समस्या भेजी थी। हम आम तौर पर एक व्यक्ति की किसी भी समस्या का उत्तर कम से कम तीन माह तक नहीं देते। केवल आपकी अवस्था को देख कर ही समाधान यहाँ दे रहे हैं।
आप ने विश्वास पर विवाह कर दिया। जिस पर विश्वास किया जाता है वही तो विश्वासघात करता है। आप के साथ विश्वासघात हुआ है। हालांकि अब दत्तक का कोई अर्थ नहीं रह गया है। क्यों कि एक दत्तक संतान को भी वे ही अधिकार प्राप्त हैं जो कि एक पुत्र को हैं। कानून में कहीं भी पुत्र को अपने माता-पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता जब तक वे जीवित रहते हैं। उन के देहान्त के उपरान्त यदि उन्हों ने अपनी संपत्ति के संबंध में कोई वसीयत न की हो तो संपत्ति उन्हें उत्तराधिकार में प्राप्त होती है, उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पर भी उत्तराधिकारी के जीवित रहते उस के उत्तराधिकारी को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होता। इस तरह यदि माता-पिता की संपत्ति के आधार पर कोई किसी लड़के पर विश्वास कायम कर के उस के साथ अपनी पुत्री का विवाह करता है तो वह खुद को धोखा देता है। वास्तव में आप ने अपने दामाद को उत्तराधिकार में मिलने वाली संपत्ति पर विश्वास कर के अपने विश्वास से धोखा खाया है।
यदि कोई संपत्ति किसी पुरुष के नाम हो और उसे देख कर उसी पुरुष से कोई स्त्री विवाह भी करे तो भी उस संपत्ति पर पत्नी का अधिकार नहीं होता वह पति की ही रहती है। पत्नी को विषम परिस्थितियों में पति से भरण पोषण का अधिकार है, जो उस संपत्ति के आधार पर तय हो सकता है। इस कारण आज के युग में पुत्री का भविष्य केवल उस के स्वयं के आत्मनिर्भर होने से ही सुरक्षित रह सकता है और किसी भी परिस्थिति में विवाह के बाद उसे अपनी आत्मनिर्भरता का त्याग नहीं करना चाहिए।
आप को बिमला ने धोखा दिया है तो आप उस के विरुद्ध धोखाधड़ी के लिए अपराधिक मुकदमा कर सकते हैं। यह पुलिस थाने में रपट के आधार पर भी दर्ज कराया जा सकता है और न्यायालय में परिवाद के आधार पर भी। वस्तुतः असली धोखा तो आप की पुत्री ने पाया है। असली व्यथित तो वही है आप तो उस के दुःख से व्यथित हैं। इस कारण यह परिवाद आप की पुत्री प्रस्तुत करे तो बेहतर है। आप को और आप की पुत्री दोनों को जिला विधिक प्राधिकरण से वकील की सहायता और अन्य प्रकार की विधिक सहायता प्राप्त हो सकती है। आप आप के जिला न्यायालय में स्थित विधिक प्राधिकरण के सचिव को इस के लिए मिलें और उन से सहायता प्राप्त करें।
डिअर सर/ मैडम मैं आपके उत्तरों से बहुत पर्भावित हू
सुन्दर मार्गदर्शन.. सुशील जी के साथ हुई घटना से मन दुखित हो गया..,उन्हें उनके कार्य में सफलता प्राप्त हो..