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तथ्य के बिन्दु पर अदालत का निर्णय साक्ष्य पर निर्भर करता है।

समस्या-

रोहित वर्मा ने खैर, जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे बाबा बंगाली बाबू के चार पुत्र थे, उनमें सबसे बड़े बेटे मुरारी लाल के कोई संतान नहीं थी। बंगाली बाबू तथा मुरारीलाल ने 1976 में एक प्लॉट ढाई सौ बार गज का रजिस्ट्री करा कर खरीदा। उस पर मकान का निर्माण बंगाली बाबू ने कराया। उसके बाद मुरारी लाल यह कहकर झगड़ा करते थे कि उक्त मकान में मेरा एक बटा दो हिस्सा है। इस बाबत बंगाली बाबू ने 1989 में एक रजिस्टर्ड वसीयत नामा 300 वर्ग गज का उक्त मकान का किया इसमें चारों पुत्रों को बराबर का अधिकार दिया गया और मुरारीलाल से एक इकरारनामा नोटरी एफिडेविट द्वारा 1 बटा 4 का करा कर रख लिया। उसके बाद मुरारीलाल ने उक्त मकान पर कभी भी 1 बटा 2 का अधिकार नहीं जताया, ना ही कभी कोई दावा दायर किया। मुरारीलाल ने एक लड़की अपने किसी रिश्तेदार की अपने पास रख ली और उसकी और उसकी परवरिश की उसका नाम राशन कार्ड वोटर कार्ड बैंक की पासबुक हाईस्कूल की मार्कशीट में पिता बतौर लिख आया था। जबकि उस लड़की का कोई गोदनामा नहीं कराया गया था। अब उस लड़की ने 2010 में लव मैरिज कर ली है, इस पर मुरारीलाल ने उस लड़की को 2012 में चल व अचल संपत्ति से अखबार में गजट करा कर बेदखल कर दिया था और उस लड़की को उसके पिता के पास दिल्ली भेज दिया था। किंतु 2015 में उस लड़की ने बहला-फुसलाकर एक रजिस्टर्ड वसीयत चल अचल संपत्ति की पुत्री बनकर अपने हक में लिखवाली। 2017 में मुरारी लाल की मृत्यु के बाद वह वसीयत सामने आई तो उसमें मुरारी लाल की उम्र 74 वर्ष व उस लड़की को एकमात्र पुत्री दर्शाया गया है। जबकि उस लड़की का कोई गोदनामा नहीं है। तथा मुरारी लाल की उम्र 2017 तक 68 वर्ष की थी जो कि उनकी हाई स्कूल की सनद में अंकित है। अब वह लड़की अपने पति (जिस पर 307 का मुकदमा कायम है) कुछ गुंडों के साथ उक्त मकान पर जबरन कब्जा चाहती है व एक बटा दो कि मांग करती है। जबकि मुरारीलाल ने जीते जी कोई दावा दायर नहीं किया ऐसी स्थिति में हम वारिसों को उक्त मकान को बचाने के लिए क्या करना चाहिए?

समाधान-

प्रथम दृष्टया प्लाट के विक्रय पत्र में बंगाली बाबू तथा उन के पुत्र मुरारी लाल का नाम है, इस कारण से संपति में दोनों का आधा आधा हिस्सा नजर आता है। लेकिन एक परंपरा रही है कि पुत्र हो जाने के बाद जब पिता कोई स्थावर संपत्ति खरीदता है तो बड़े पुत्र का नाम उस में शामिल कर देता है। जब कि पुत्र की कोई स्वतंत्र आय नहीं होती। खरीदी गयी संपत्ति वास्तव में पूरे परिवार के लिए खरीदी गयी होती है। 1976 में जब यह भूमि खरीदी गयी थी तब बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट भी प्रभावी नहीं था। वैसी स्थिति में इस संपत्ति को पूरे परिवार के लिए खरीदा होना साबित किया जा सकता है, यदि यह साबित किया जाए कि भू्मि को खरीदने के लिए जो भी धन खर्च हुआ वह सारा धन बंगाली बाबू का था और उस में मुरारी लाल के धन का कोई योगदान नहीं था। बंगाली बाबू की वसीयत उस का समर्थन करती है।
यदि उक्त संपत्ति को पूरे परिवार की संपत्ति माना जाए तो वह चारों भाइयों की संपत्ति हो कर भी तथा बंगाली बाबू की वसीयत के अनुसार भी प्रत्येक भाई को 1/4 हिस्सा प्राप्त होता है।
दूसरा बिन्दु है कि क्या लड़की जो आधा हिस्सा मांग रही है वह मुरारी लाल की वारिस है कि नहीं। प्रथम दृष्टया स्कूली दस्तावेजों से वह मुरारी लाल की पुत्री साबित करने का प्रयास है। लेकिन यह साबित करने पर कि वह जन्मना दूसरे की पुत्री है तब गोदनामे या गोद समारोह के अभाव में वह पुत्री साबित नहीं होगी। लेकिन पंजीकृत वसीयत को गलत साबित करना बहुत कठिन होगा। उसे चुनौती देनी पड़ेगी कि उसे मुरारी लाल ने निष्पादित नहीं किया अपितु किसी अन्य व्यक्ति ने किया है, लेकिन वसीयत रजिस्टर्ड होने से ऐसा साबित करना लगभग असंभव है। तब यह साबित किया जाए कि वसीयत दबाव में और अनुचित प्रभाव डाल कर निष्पादित कराई गयी थी। मुरारी लाल को तो पता ही नहीं था कि वह क्या निष्पादित कर रहा है, क्यों कि वह मुरारी लाल ने निष्पादित की होती तो उस के उम्र आदि के विवरण गलत नहीं होते।
यह आप के अधिकारों की विवेचना मात्र है। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपनी दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य द्वारा क्या साबित करते हें या नहीं करते हैं। उस से भी पहले इस बात पर निर्भर करता है कि यह सब तब होगा जब मामला किसी तरह अदालत में जाएगा। लेकिन यदि वह लड़की जबरन आप से कब्जा लेना चाहती है तो ऐसा नहीं हो सकता। आप उसे कहें कि वह अदालत से अपना अधिकार साबित कराए और संपत्ति प्राप्त कर ले। फिर भी वह किसी तरह की जबरन दखल करने की कोशिश करती है तो पुलिस में तुरन्त रिपोर्ट कराएँ। किसी स्थानीय अच्छे वकील से सहायता लें और अदालत में जा कर जबरन बेदखली और आप के दखल में हस्तक्षेप करने के विरुद्ध लड़की और उस के पति के विरुद्ध अस्थायी निषेधाज्ञा प्राप्त करने के लिए कार्याही करें। यदि किसी तरह वे जबरन दखल करने में कामयाब हो जाएं तो ऐसा होने पर तुरन्त पुलिस को रिपोर्ट करें तथा एसडीएम के न्यायालय में कब्जा वापस दिलाने के लिए धारा 145 दंड प्रक्रिया संहिता का आवेदन प्रस्तुत करें। सब से पहले यह करें कि वर्तमान में तीन भाइयों और उन की संतानों का ही कब्जा है और लड़की का कोई दखल नहीं है इस संबंध में दस्तावेजी सबूत इकट्ठा कर के रखें। वही सब से पहले काम आएंगे।

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