स्वामित्व के आधार पर संपत्ति के कब्जे का वाद प्रस्तुत करें।
|समस्या-
रामपुर, उत्तर प्रदेश से नादिर अली खान ने पूछा है –
मेरी दादी ने 20 दिसम्बर 1994 को मकान का हिबानामा 113 गज का मेरे नाम और 57 गज मेरे पिताजी के नाम किया था। पिताजी ने 57 गज की रजिस्ट्री मेरी बहिन के नाम 2 फरवरी 1999 को करवा दी। अब मेरा एक भाई मेरे घर के ऊपर वाले हिस्से पर कब्जा कर के बैठा है और खाली नहीं कर रहा है। वह मुझ से झगड़ा करता है। मैं ने 19 जनवरी 2012 को पुलिस में लिखित शिकायत की है। वह घर में हिस्सा मांगता है। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप ने जो विवरण दिया है उस से पता लगता है कि मकान आप के स्वामित्व का है और आप का भाई बहुत समय से मकान के ऊपर वाले हिस्से में रह रहा है। उसे रहते हुए कम से कम छह माह से अधिक तो हो ही गए हैं। ऐसी स्थिति में उस से किसी संक्षिप्त कानूनी कार्यवाही के माध्यम से कब्जा लेना संभव नहीं है।
निश्चित रूप से आप का भाई उक्त मकान में किसी न किसी की अनुमति से ही आ कर रहने लगा होगा। इस तरह वह एक अनुमति के अंतर्गत निवास कर रहा है। वह किसी की भी अनुमति से रह रहा हो। लेकिन आज आप उक्त संपत्ति के स्वामी हैं और आप का भाई उक्त संपत्ति में आप की अनुमति के बिना नहीं रह सकता। आप के भाई की वर्तमान स्थिति जो भी है यह कहा जा सकता है कि वह किसी अनुज्ञप्ति (लायसेंस) के अधीन वहाँ निवास कर रहा है। आप को चाहिए कि आप एक कानूनी नोटिस दे कर उस की उस की अनुज्ञप्ति को निरस्त करें और उसे कहें कि वह मकान खाली कर के उस का कब्जा आप को सौंप दे। अन्यथा आप कब्जा प्राप्त करने के लिए दीवानी वाद दाखिल करेंगे।
इस नोटिस की अवधि समाप्त होने पर आप संपत्ति के स्वामी होने और अनुज्ञप्ति के निरस्त हो जाने के आधार पर संपत्ति का कब्जा प्राप्त करने का दीवानी वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। इस वाद के लिए आप को जिस संपत्ति पर आप का भाई कब्जा कर के बैठा है उस के बाजार मूल्य पर न्यायालय शुल्क अदा करनी होगी। यह न्यायालय शुल्क उक्त संपत्ति के बाजार मूल्य की 7.5 प्रतिशत के लगभग हो सकती है।