हत्या भी मोटर यान दुर्घटना है यदि उस का संबंध किसी मोटर यान के उपयोग से संबंधित हो
|इस मामले में सब से दिलचस्प मामला मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के सामने खैरुन्निसा व अन्य बनाम सुभाष उर्फ पंजाबी व अन्य के मुकदमे में आया। इस मामले में दो ट्रकों में टक्कर हुई। एक ट्रके ड्राइवर ने दूसरे ड्राइवर को दोषी मानते हुए बंधक बना लिया। दोनों में झगड़ा हुआ और बंधक ड्राइवर को ट्रक से कुचल करक मार डाला गया। इस मामले में मृत्यु एक हत्या थी। लेकिन इस मृत्यु को प्रारंभिक दुर्घटना से संबंधित होने के कारण इस घटना को दुर्घटना-हत्या का मामला मानते हुए इस में मृत व्यक्ति के आश्रितों को तीन लाख साठ हजार रुपए मुआवजा देने का आदेश पारित किया और इस भुगतान के लिए बीमा कंपनी को जिम्मेदार माना।
अक्सर इस तरह की घटनाएँ होती रहती हैं कि किसी वाहन को ड्राइवर सहित अगवा कर लिया गया और फिर ड्राइवर की हत्या कर के वाहन को ले भागे। ऐसे मामलों में चालक के आश्रितों को मुआवजा भुगतान की जिम्मेदारी वाहन स्वामी पर आ पड़ती है क्यों कि चालक तो अपनी ड्यूटी कर रहा होता है और इस तरह की हत्या को नियोजन के दौरान उस के क्रम में हुई दुर्घटना माना गया है। वाहन की कानूनन आवश्यक बीमा पॉलिसी में चालक को हुई हानि और मृत्यु के लिए कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के अंतर्गत आने वाले क्षतिपूर्ति दायित्व सम्मिलित होते हैं और इस के लिए बीमा कंपनी प्रीमियम प्राप्त करती है। लेकिन उच्चतम न्यायालय ने रीता देवी बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के मामले में यह निर्धारित किया कि ऐसी हत्यायें मोटर यान के उपयोग के कारण हुई दुर्घटनाएँ मानी जानी चाहिए और मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत भी मृतक के आश्रित मुआवजा प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
मैं शिक्षा मित्र के भी विचारों से सहमत हूँ. बहुत अच्छी जानकारी भी मिली.
# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:09868262751, 09910350461 email: sirfiraa@gmail.com महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.
भगवान हर किसी को दुर्घटना से बचाए मगर यदि हो ही जाए,तो मुआवजा अवश्य मिलना चाहिए-चाहे जिस बीमाकर्ता से मिले।
बहुत उपयोगी जाकारी.
रामराम.
mमेरी छुट्टियाँ समाप्त हुयी। अब फिर से रोज इतनी महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलेंगी। धन्यवाद इस जानकारी के लिये।