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हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत हिन्दू औऱ बौद्ध आपस में विवाह कर सकते हैं

 अनिल ने पूछा है –

क हिन्दू और एक बौद्ध में दोनों ही पक्षों की सहमति से होने वाले विवाह में हिन्दू  विवाह अधिनियम/ कानून किस तरह काम करता है ?
 उत्तर – 
अनिल जी,
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा-2 उस के प्रभावी होने के बारे में है। इस के प्रथम भाग में कहा गया है कि यह अधिनियम सभी हिन्दुओं पर लागू होगा जो किसी भी संप्रदाय के हों जिस में वैष्णव, लिंगायत, ब्रह्मसमाजी, प्रार्थनासमाजी और आर्यसमाजी सम्मिलित हैं। द्वितीय भाग में कहा गया है कि यह अधिनियम बौद्धों, जैनों, और सिख धर्मावलंबियों पर भी प्रभावी होगा। तीसरे खंड में कहा गया है कि जो व्यक्ति भारत में निवास करता है और मुस्लिम, ईसाई, पारसी, यहूदी नहीं है, और यह साबित नहीं कर दिया जाता है कि वह व्यक्ति उपयोग और परंपरा से इस अधिनियम में वर्णित मामलों में इस कानून से शासित नहीं होता, उस प भी यह अधिनियम प्रभावी होगा। 
सी धारा के स्पष्टीकरण में यह भी कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी बौद्ध व हिन्दू पति-पत्नी की संतान है तो वह हिन्दू ही कही जाएगी। इस तरह आप देखते हैं कि यदि विवाह करने वाले स्त्री-पुरुष में से एक बौद्ध और एक हिन्दू है तो वह हिन्दू विवाह अधिनियम से ही शासित होंगे। दोनों इस अधिनियम के अंतर्गत विवाह कर सकते हैं और उन की संतानें भी इस अधिनियम के मामलों में हिन्दू ही कही जाएंगी। 
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