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हिन्दू विवाह में विवाह विच्छेद बिना न्यायालय की डिक्री के संभव नहीं है।

notaryसमस्या-

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से अंबुज ने पूछा है –

क्या केसरवानी (गुप्ता) जाति में नपुंसकता के आधार पर अदालत के बाहर नोटरी से म्यूचुयल डाइवोर्स हो सकता है? और क्या ये वैध है? सर, मेरा केस कोर्ट मे लास्ट स्टेज पर है और इसी ग्राउंड पर अपने विवाह को नल एण्ड वायड घोषित करने के लिए रिट दाखिल कर रखी है। मेरी शादी जिस लड़की से हुई थी उसने अपनी पहली शादी में इसी तरह से तलाक़ लिया है और हम लोगों को ये भी नही बताया कि उसकी एक शादी पहले भी हो चुकी है।

समाधान-

केवल इतने से तथ्यों से आप की सहायता करना संभव नहीं है। जिस से आप का विवाह हुआ है वह पहले से विवाहित थी और उस ने नोटेरी के यहाँ पूर्व पति से तलाकनामा लिखवा कर तलाक ले लिया था और आप को नहीं बताया था तो एक तो आप से यह तथ्य छुपाया गया। गुप्ता जाति के लोग आदिवासी नहीं होते और हिन्दू विधि से शासित होते हैं। हिन्दू विधि में तलाक बिना न्यायालय की डिक्री के संभव नहीं है।

दि आप की पत्नी ने पूर्व पति से न्यायालय की डिक्री के माध्यम से तलाक लिया था और आप ये साबित कर देते हैं कि पत्नी का आप के विवाह से पूर्व भी विवाह हो चुका था तो उस के साथ आप का विवाह वास्तव में नल एंड वॉयड ही है वह न्यायालय से शून्य होने की घोषणा हो जाएगी।

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