हिन्दू स्त्री की संपत्ति का उत्तराधिकार
|समस्या-
सीवान, बिहार से पिंटू कुमार ने पूछा है –
एक विधवा स्त्री बीमार है। वह अपनी संपत्ति किसी को लिखी नहीं है। साथ ह उस के कोई सन्तान नहीं है। उस के पति की मृत्यु के बाद सारे कर्मकाण्ड उस के पति के चचेरे भाई ने किए हैं। क्या संपत्ति पर उस के पति की विधवा बहिन की पुत्रवधु का हक जायज है कि विधवा स्त्री के भाई के पुत्र का दावा जायज है?
समाधान-
आप ने यह नहीं बताया कि यह विधवा स्त्री जीवित है अथवा उस का देहान्त हो चुका है। आप के प्रश्न से प्रतीत होता है कि उक्त विधवा स्त्री का देहान्त हो चुका है और अब उस की संपत्ति पर विवाद है। खैर¡
किसी भी हिन्दू स्त्री की संपत्ति उस की अबाधित संपत्ति होती है। अपने जीवन काल में वह इस संपत्ति को किसी को भी दे सकती है, विक्रय कर सकती है या हस्तान्तरित कर सकती है। यदि वह स्त्री जीवित है तो वह अपनी संपत्ति को किसी भी व्यक्ति को वसीयत कर सकती है। जिस व्यक्ति को वह अपनी संपत्ति वसीयत कर देगी उसी को वह संपत्ति प्राप्त हो जाएगी। चाहे वह संबंधी हो या परिचित हो या और कोई अजनबी।
यदि उस विधवा स्त्री का देहान्त हो चुका है तो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-15 के अनुसार उस की संपत्ति उस के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
1. किसी भी स्त्री की संपत्ति सब से पहले उस के पुत्रों, पुत्रियों (पूर्व मृत पुत्र-पुत्री के पुत्र, पुत्री) तथा पति को समान भाग में प्राप्त होगी। इस श्रेणी में किसी के भी जीवित न होने पर …
2. उस के उपरान्त स्त्री के पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी। पति का कोई भी उत्तराधिकारी जीवित न होने पर …
3. स्त्री के माता-पिता को प्राप्त होगी। उन में से भी किसी के जीवित न होने पर …
4. स्त्री के पिता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी। उन में से भी किसी के जीवित न होने पर …
5. माता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
क. किन्तु यदि कोई संपत्ति स्त्री को अपने माता-पिता से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है तो स्त्री के पुत्र-पुत्री (पूर्व मृत पुत्र-पुत्री के पुत्र, पुत्री) न होने पर स्त्री के पिता के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
ख. यदि कोई संपत्ति स्त्री को पति से या ससुर से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई है तो स्त्री के पुत्र-पुत्री (पूर्व मृत पुत्र-पुत्री के पुत्र, पुत्री) न होने पर उस के पति के उत्तराधिकारियों को प्राप्त होगी।
आप के मामले में केवल दो उत्तराधिकारियों पति की विधवा बहिन की पुत्रवधु एवं विधवा स्त्री के भाई के पुत्र का उल्लेख किया है। इन में से विधवा स्त्री के भाई का पुत्र तो निश्चित रूप से उस स्त्री के पिता का उत्तराधिकारी है जो कि चौथी श्रेणी का उत्तराधिकारी है। जब कि विधवा बहिन का पुत्र ही पति के चौथी श्रेणी के उत्तराधिकारियों में सम्मिलित है लेकिन विधवा बहिन की पुत्रवधु पति के किसी भी श्रेणी के उत्तराधिकारियों में सम्मिलित नहीं है। इस प्रकार उत्तराधिकार के क्रम में विधवा स्त्री के भाई का पुत्र ही उस विधवा स्त्री की संपत्ति का उत्तराधिकारी होगा।
महोदय / महोदय,
कृपया मार्गदर्शन करैं मेरी पुत्री एक पुत्री की माँ है आयु २६/२७ वर्ष की है और जंवाई की मृत्यु नवम्बर २०११ मैं हुई है ससुराल पक्ष से उसको मिलने वाले उसके अधिकार पाने के लिए किस प्रकार याचिका कंहा करैं .मार्गदर्शन करैं .धन्यवाद,
स्त्री की सारी संपत्ति अबाधित होती है, का अर्थ ही यही है कि उस की स्वअर्जित संपत्ति जैसी होती है। अर्थात वह उसे वसीयत कर सकती है, हस्तांतरित कर सकती है और निर्वसीयती रह जाती है तो उक्त नियम के अनुसार उस का उत्तराधिकार होता है.
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.हिन्दू स्त्री की संपत्ति का उत्तराधिकार
गुरुदेव जी, प्रश्नकर्त्ता कह रहा है कि बीमार है यानि अभी जिन्दा है. शायद वो उनके किसी रिश्ते में ही आता है. फिर भी आपने बहुत विस्तार से काफी अच्छी जानकारी दी है. क्या उस महिला द्वारा स्वार्जित संपत्ति में यह ही नियम लागू होता. यदि बिना वसीयत के मृत्यु हो जाती है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.सरकार, पुलिस और लड़की वालों का गुंडाराज कब चलेगा ?
नारी ब्लॉग इस पोस्ट को दुबारा पोस्ट कर दिया हैं ताकि महिला को इसकी जानकारी रहे
सादर
रचना
Rachna का पिछला आलेख है:–.हिन्दू स्त्री की संपत्ति का उत्तराधिकार
दिनेश जी
बैंक में विवाहित स्त्री के खाते पर उसकी मृत्यु के बाद उसके पति का अधिकार नहीं होता हैं , बैंक केवल और केवल बच्चो को ही अधिकारी मानता हैं . ये एक अजीब भ्रान्ति हैं जिसका निवारण तभी हो सकता हैं अगर बैंक खाते में पति पत्नी का नाम एक साथ हो और either or survivor लिखा हो
इसके अलावा स्त्री की खुद की अर्जित संपत्ति पर किसका अधिकार होगा ??