हिन्दू और मुस्लिम के मध्य विवाह
|क्या एक हिन्दू और मुस्लिम की शादी कुछ लोगो के हस्ताक्षर कर देने से मानी जा सकती है? एक महिला ने एक पेपर पर हमारे समाज के कुछ लोगो से दबाव पूर्ण ढंग एवं गलत तरीके से हस्ताक्षर करा लिए हैं। जबकि वो जिस समारोह की बात कर रही है वह बस एक सत्य नारायण की पूजा भर थी। जिस वजह से पुजारी ने खुद हस्ताक्षर करने से मना मर दिया है।
अनुतोष मजूमदार, दुर्ग, छत्तीसगढ
एक हिन्दू और एक मुस्लिम के मध्य विवाह केवल मात्र विशिष्ठ विवाह अधिनियम के अंतर्गत जिला विवाह पंजीयक (जो अक्सर जिले का कलेक्टर होता है) के समक्ष ही की जा सकती है। जिस के लिए एक संयुक्त आवेदन प्रस्तुत करना होता है। जिस पर जिला कलेक्टर एक नोटिस जारी करता है तथा नोटिस जारी होने के तीस दिनों के बाद तथा नब्बे दिनों के पूर्व यह विवाह वर-वधु द्वारा विवाह अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो कर संपन्न कराया जा सकता है। इस के अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग इस तरह के विवाह के लिए संभव नहीं है।
इस के अलावा एक हिन्दू या मुस्लिम के बीच विवाह दोनों में से एक द्वारा अपना धर्म परिवर्तन कर के दूसरे का धर्म ग्रहण कर लेने पर ग्रहण किए गए धर्म की रीति के अनुसार संपन्न किया जा सकता है। लेकिन तब वह विवाह एक मुस्लिम और हिन्दू का न हो कर दो मुस्लिम या हिन्दू मतावलंबियों के बीच विवाह होगा।
एक सत्यनारायण की कथा के समय़ केवल हिन्दू विवाह ही संपन्न हो सकता है। लेकिन उस के लिए सप्तपदी आवश्यक है. वह भी किसी पुरोहित द्वारा ही संपन्न कराया जा सकता है। कुछ लोगों के लिख कर दे देने से किसी विवाह को साबित नहीं किया जा सकता। उसे साबित किए जाने के लिए न्यायालय में साक्षी द्वारा उपस्थित हो कर बयान दिया जाना आवश्यक है। यदि कोई बयान भी दे दे तो भी साक्षी के प्रतिपरीक्षण के माध्यम से तथा पुरोहित व अन्य गवाहों के ब्यान द्वारा ऐसे विवाह को असिद्ध किया जा सकता है।