सचाई साबित करने के लिए जिरह (Cross Examination) का प्रयोग करें।
|समस्या-
गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश से सतीश कुमार जानना चाहते हैं –
मेरे और मेरी पत्नी के मध्य वैवाहिक मतभेद विवाह के पश्चात से ही चल रहे हैं। जिस सम्बन्ध में मैं ने तलाक हेतु एक वाद परिवार न्यायालय में डाल रखा है और मेरी पत्नि ने मेरे विरूद्ध दहेज मांगे जाने के लिये एक परिवाद कर रखा है। जिसमें मेरी पत्नी द्वारा वर्ष 2011 तक मेरे साथ रहना दिखाया गया है जबकि लगभग 3 वर्षो से मैं व पत्नी साथ साथ नहीं रह रहे हैं। मेरी पत्नि अपने मायके में ना रहकर नौएडा में किसी स्थान पर रह रही है। साक्ष्य छुपाने की नियत से वह किसी और की आई.डी. का मोबाईल नम्बर इस्तेमाल कर रही है। मैं मोबाईल के माध्यम से उसकी लोकेशन पता चलाना चाहता हूँ। परन्तु मोबाईल किसी और के नाम होने पर पत्नि इस बात का फायदा उठा सकती है कि यह मोबाईल उसका नहीं है। और ना ही यह कॉल डिटेल उसकी है। उक्त परिस्थिति में मैं किस प्रकार अपनी पत्नी के नौएडा में रहने सम्बन्धी जानकारी सर्विलान्स के माध्यम से प्राप्त कर सकता हूँ?
समाधान-
आप इंटरनेट पर सर्च कर के उस मोबाइल नं. का राज्य व कंपनी पता कर सकते हैं। फिर उस कंपनी को आप लिख सकते हैं कि इस नंबर से मेरी पत्नी लगातार मुझ से व अन्य व्यक्तियों से बात करती रही है, मेरे व पत्नी के मध्य अदालत में विवाद चल रहे हैं, इस कारण यह बताया जाए कि यह मोबाइल नं. किस व्यक्ति को दिया हुआ है। ऐसी सूचना आप सूचना के अधिकार के अंतर्गत मांग सकते हैं। लेकिन फिर भी यह जानकारी आप को यह साबित करने के लिए बहुत कमजोर होगी कि आप की पत्नी आप के साथ पिछले तीन साल से नहीं रही है।
आप के मुकदमे में निश्चय ही आपने किसी वकील की सलाह और सहायता प्राप्त की होगी। आप को उस से विमर्श करना चाहिए। यह साबित करने की जिम्मेदारी आप की पत्नी की है कि वह आप के साथ कहाँ कहाँ रही है? यदि मुकदमे में आप की साक्ष्य पहले हो तो आप साक्ष्य समाप्त करने के समय रिबुटल साक्ष्य प्रस्तुत करने का अधिकार सुरक्षित रखें। बाद में जब आप की पत्नी साक्ष्य के लिए आए तो उस से जिरह में प्रश्न पूछें कि वह कहाँ कहाँ आप के साथ रही है? आप का कौन कौन मित्र घर पर आता रहा है? वह मकान कहाँ है? घर की लोकेशन क्या है? आसपास के मकान कैसे हैं? उन में कौन कौन रहता है? आप काम पर कब जाते हैं? आप के दफ्तर आदि का विवरण पूछें। बाद में आप अपनी गवाही में अपने मुहल्ले व दफ्तर के लोगों के बयान करवा सकते हैं कि आप को वे तीन साल से अकेले रहते देख रहे हैं, इस बीच आप की पत्नी वहाँ आ कर नहीं रही है।
सर जी नमस्कार जी , आपकी बात सही है जी लेकिन क्या ये सब एक सिंपल आदमी के लिए इतना आशान है ?
कमल हिन्दुस्तानी का पिछला आलेख है:–.एफआईआर में नाम होने मात्र के आधार पर पति-संबन्धियों के विरुद्ध धारा-498ए का मुकदमा नहीं होना चाहिये -उच्चतम न्यायालय…..
सामान्य व्यक्ति के लिए यह सब आसान नहीं है। लेकिन जिस व्यक्ति पर मुसीबत टूटती है वह सब सीख लेता है। फिर कानूनी सहायता उपलब्ध है। लेकिन धन तो खर्च करना होगा। पूंजीवादी समाज है, समाजवाद या साम्यवाद नहीं। सब कुछ पैसे में मिलता है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.सचाई साबित करने के लिए जिरह (Cross Examination) का प्रयोग करें।
सुन्दर प्रस्तुति,
जारी रहिये,
बधाई !!