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भूतकाल में कब्जे के आधार पर कोई अधिकार स्थापित नहीं किया जा सकता।

समस्या-

आजमगढ़, उत्तर प्रदेश से अशोक कुमार यादव पूछते हैं –

मारा जमीन का एक विवाद है। हमने यह दावा किया है कि इस जमीन पर हमारा 1970 से कब्जा है। यह जमीन बंजर है इस पर हमारे दादा जी 1970 से दुकान करते थे अब ये जमीन मैदान है। दावा सिविल जज जूनियर डिवीजन के न्यायालय में चल रहा है जिस में तीन प्रतिवादी हैं।  कुल मिला कर जमीन 2 बिस्वा है। एक प्रतिवादी ने 1 बिस्वा जमीन का बैनामा था उस की मृत्यु हो गई है जिस ने जमीन खरीदी है वह मकान बनवाना चाहता है।  पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।  हमारा वकील कहता है कि मामले में कोई दम नहीं है।  क्या करना चाहिए?

समाधान-

प ने अपने प्रश्न में यह नहीं बताया कि जमीन का स्वामित्व किस का है। यदि जमीन का स्वामित्व एक बिस्वा जमीन बेचने वाले व्यक्ति का था तो उस ने जमीन सही बेची है और खऱीदने वाले ने सही खऱीदी है।  स्वयं आप के मुताबिक अभी जमीन मैदान है। अर्थात आप का कब्जा उस पर नहीं है तथा किसी का भी भौतिक कब्जा नहीं है इस कारण कब्जा भी जमीन के वास्तविक मालिक का ही माना जाएगा।

दि आप का उक्त जमीन पर भौतिक कब्जा होता तो आप का मामला मजबूत होता क्यों कि किसी भी व्यक्ति के किसी कब्जे को कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है। तब आप उस जमीन पर अपना कब्जा 1970 से साबित कर के प्रतिकूल कब्जे के सिद्धान्त का लाभ ले सकते थे। अभी भी आप न्यायालय में उक्त जमीन पर अपना भौतिक और वास्तविक कब्जा साबित कर दें तो आप अपने पक्ष में निषेधाज्ञा का आदेश प्राप्त कर उस पर जमीन के खरीददार का मकान निर्माण रुकवा सकते हैं।  भूतकाल में रहे आप के कब्जे के आधार पर आप कोई अधिकार स्थापित नहीं कर सकते।  क्यों कि आप का उक्त जमीन पर कोई कब्जा नहीं है इस कारण आप के वकील साहब सही ही कह रहे हैं कि मामले में कोई दम नहीं है।

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