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विवाद बढ़ाने से बचें, पत्नी की स्वतंत्र इच्छा जानने का प्रयत्न करें।

hindu-marriage-actसमस्या-
राकेश अनन्त ने रायपुर, छत्तीसगढ़ से पूछा है-

मैं ने अपनी एमबीए क्लास मेट नेहा अग्रवाल से 21/04/2013 को मंदिर मे विवाह कर लिया रजिस्ट्रार ऑफ मेरेज (हिंदू मेरिज) से सर्टिफिकेट भी ले ले लिया। मैं लोकल रायपुर से हूँ ओर नेहा तितलागढ़(उड़ीसा) से है। वह हॉस्टल में रह कर पढ़ती थी। विवाह हम दोनों की इच्छा हुआ था और हम दोनो वयस्क भी थे। हम ने 11/06/2013 को अपने अपने घर में विवाह के बारे में बता दिया और पुलिस स्टेशन में अपना अपना बयान दे दिया कि हम साथ रहना चाहते हैं।  इस बीच मेरे घर वालों ने हमारे विवाह को स्वीकार कर लिया। हम ने रिसेप्शन भी दे दिया लेकिन लड़की के घर वालों ने स्वीकार नहीं किया। हम दोनो परिवार के साथ घर में ही रहते थे। इस बीच पत्नी के घर से फ़ोन आता था और उसे वापस आ जाने को कहा जाता था। लेकिन वह हमेशा मना कर देती थी।  विवाह के 7-8 माह बाद लड़की के पापा ने उसे 06/12/2013 को फ़ोन कर के कहा कि तेरी माँ का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, मिलने आएगी क्या? मैं ने नेहा को मिलाने उस के मामा के घर रायपुर में ही ले गया। इस बीच उन्हों ने नेहा को फिर से यही कहा कि इस शादी को भूल जा अभी भी घर आ जा। लेकिन उस ने मना कर दिया। फिर उस की मम्मी से उसे मिलाया गया उस की मम्मी ने रोना शुरू कर दिया और बेहोश हो गई। उसे हॉस्पिटल ले गये। इस बीच नेहा के पापा ने कहा अभी इस की माँ की हालत ठीक नहीं है इसे अभी हॉस्पिटल में ही रहने दो। मैं ने मानवता के नाते अपनी पत्नी वहाँ छोड़ दिया कि मैं शाम को लेने आऊंगा। जब मैं शाम को वहाँ गया तो पता चला कि वो डिस्चार्ज हो कर जा चुके हैं। मैं उन मामा के घर गया तो पता चला की वो लोग मेरी पत्नी को बिना मेरी जानकारी के अपने घर तितलागढ़ ले गये हैं। मैं ने वहाँ कॉल किया। लेकिन मेरी पत्नी से कोई बात नहीं कराई गई। 4-5 दिन वेट किया फिर भी बात नहीं कराई। फिर मैं ने कोर्ट में धारा 98 का आवेदन दिया कि मेरी पत्नी को मेरी जानकारी के बिना ले के चल दिए हैं और बात नहीं कराई जा रही है। 13 को नोटिस रायपुर से निकल गया। इस बीच लड़की से मेरी कोई बात नहीं कराई जा रही थी और गोलमोल जवाब दिया जाता था। 12 दिन के बाद मेरी पत्नी का कॉल आया। उस ने मुझे कहा कि तुम मुझे भूल जाओ। मुझे डाइवोर्स दे दो हमारी शादी को बचपना समझ कर भूल जाओ। कोर्ट और पुलिस के चक्कर मत पड़ो, वरना मैं खुद बोल दूंगी कि मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना। ज़रूरत पड़ी तो मारता था गाली देता था, तुम्हारे घर वाले मुझे गाली देते थे बोल दूँगी।  जबकि मैं नेहा को 03/07/2010 से जानता हूँ। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।  शादी के बाद मैं ने उसे हमेशा खुश भी रखा। उस की हर ज़रूरत पूरा करता था।  अचानक वहाँ जा कर 12 दिन में ऐसा क्या हो गया। उसे समझ नहीं आ रहा है कि उस के घर वाले चाहते हैं की हमारी शादी तोड़ के उस की फिर से शादी कर दें। मैं अपनी पत्नी से खुश था। मैं उसे तलाक़ नहीं देना चाहता। पर अब वह वहाँ जाने के बाद तलाक़ दे दो बोलती है। अब मैं क्या करूँ? मुझे समझ नहीं आ रहा है। 28 दिसंबर को हमें कोर्ट में बुलाया गया है।  मैं क्या करूँ। कृपया मुझे सलाह दें।

समाधान-

नेहा के परिवार वाले नहीं चाहते कि यह रिश्ता कायम रहे। वे तलाक चाहते हैं और अपनी बेटी की आप से और इस विवाह से मुक्ति चाहते हैं। इस का कारण भी स्पष्ट नहीं है। पहले नेहा से आप की बात नहीं होने दी। बाद में नेहा को जो फोन आया है वह परिवार वालों ने अपने सामने कराया है। यदि यह फोन उस ने अपनी इच्छा से अकेले में किया होता तो वह सब बातों का औचित्य भी सिद्ध करने की कोशिश करती। ऐसा लगता है कि आप की पत्नी पूरी तरह से बंदी है।

भी विवाह का एक वर्ष पूरा होने तक तो तलाक की अर्जी भी न्यायालय में नहीं दी जा सकती है। इस कारण आप के पास 21.04.2014 तक का समय है। 28 दिसंबर को जब आप न्यायालय में जाएँ तो निश्चित रूप से नेहा भी आएगी। यदि वह आती है तो आप मजिस्ट्रेट से सीधे कहें कि वह नेहा से उसे कुछ समय के लिए अकेले में बात करने दे क्यों कि वह जो कुछ भी कह रही है वह अपने परिवार के भीषण दबाव के कारण कह रही है। किसी तरह वह दबाव मुक्त हो तो आगे की बात सोची जाए।

फिलहाल आप का रुख यही होना चाहिए कि आप नेहा से बहुत प्रेम करते हैं और इस विवाह को किसी भी हालत में बचाना चाहते हैं। फिर भी आप को लगा कि नेहा की स्वतंत्र इच्छा है कि यह विवाह समाप्त हो जाए तो आप उस की इच्छा पूर्ति के लिए यह भी करने को तैयार हैं। लेकिन आप को विश्वास हो कि नेहा की स्वतंत्र इच्छा यही है। उस के परिवार वाले नेहा कि स्वतंत्र इच्छा जानने का अवसर आप को दें। इस के लिए आप यह प्रस्ताव दें कि वह कम से कम एक सप्ताह तक आप के निवास पर उस के परिजनों के दबाव के बिना रहे।

दि किसी भी तरह से नेहा पर से उस के परिजनों का दबाव हट जाता है और वह अपनी स्वतंत्र इच्छा को प्रकट करने लायक हो कर भी आप के साथ विवाह को बनाए रखने को तैयार नहीं होती है तो सहमति से विवाह विच्छेद का आवेदन 21.04.2014 के उपरान्त प्रस्तुत कर दें। उस में छह माह बाद आप दोनों के बयान न्यायाधीश के सामने होंगे। तब भी विवाह विच्छेद के लिए दोनों सहमत हुए तो ही विवाह विच्छेद की डिक्री पारित की जा सकेगी। इस तरह अभी तलाक के लिए कम से कम 10 माह का समय और लगेगा। इस बीच अपने प्रयत्न जारी रखिए। विवाद को बिलकुल न बढ़ाएँ। कम करने का प्रयत्न करें। नेहा या उस के परिजनों द्वारा आप के विरुद्ध किसी मिथ्या कार्यवाही के होने से बचें।

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