आप न्यायालय में सीधे परिवाद प्रस्तुत कर सकते हैं, किन्तु क्षमा सबसे बेहतर है
समस्या-
ग्राम बिरबिरा, पोस्ट गनौद, थाना आरंग, जिला रायपुर, छत्तीसगढ़ से मोती लाल ने पूछा है-
मेरे पिता जी मेहत्तरू साहू ने अपने मृत्यु से पहले एम्स रायपुर को देहदान करने की घोषणा कर दी थी। जब उनका निधन 03 नवंबर 2019 को हुआ तो नियमानुसार उनका देह हम एम्स को दान कर दिया। इसके बाद हमारे जाति समाज (साहू समाज) के लोग हमें पिताजी के शरीर को बेचने और अंतिम संस्कार का कार्य नहीं करने की बात कहकर सामाजिक बहिष्कार कर दिया. इसके बाद हमारी जाति के लोगों को हमारे यहां काम में और मांगलिक कार्यक्रमों में आने पर लगातार समाज के कुछ लोग रोक रहे हैं। इसकी हम शिकायत थाने में कई बार कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. कृपया बताएँ हम क्या करें?
समाधान-
आपके पिताजी ने देहदान करके समाज हित के लिए बेहतरीन कार्य किया है। इससे जो अंग किसी दूसरे के काम आ सकते हैं वे फिर से सामान्य जीवन जी सकते हैं। शेष शरीर चिकित्सा विद्यार्थियों के अध्ययन के काम में आता है। आपने भी अपने पिता की इच्छा पूर्ति की है।
समाज के लोग अज्ञानी हैं और अपनी पुरातन सोच से ग्रसित हैं उन्हें एक तरह से रोगी कहा जा सकता है। उन्हें किसी दंड की आवश्यकता नहीं है। उन्हें चिकित्सा की आवश्यकता है।
आपके पिता के देहदान के निश्चय और आपके द्वारा उन के निश्चय की पूर्ति करने के काम को वे समझेंगे, लेकिन देर से। समाज के पढ़े लिखे और समझदार लोगों ने आपके पिता और आपके इस काम की सराहना अवश्य की होगी। उनका साथ लीजिए, चाहे वे साहू समाज के हों या फिर किसी अन्य समाज के।
समाज के लोग यदि आपके और आपके परिवार के प्रति कोई संज्ञेय अपराध करते हैं तो पुलिस उस पर जरूर कार्यवाही करेगी। अभी वे केवल आपको अपमानित कर रहे हैं। यह एक संज्ञेय अपराध नहीं है
यदि आप कार्यवाही चाहते हैं तो आप को किसी वकील से मिल कर इस अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध लीगल नोटिस जारी करवाना चाहिए जिसमें कहना चाहिए कि वे अपने इस कृत्य के लिए समाज के समक्ष माफी मांगे और आपको हर्जाना अदा करें। यदि वे ऐसा नहीं कर सकते हैं तो फिर आपको इस अपराध पर कार्यवाही के लिए आस्वयं न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करना होगा।
इस परिवाद में आपको अपने व गवाहों के बयान कराने होंगे साथ में सबूत भी प्रस्तुत करने होंगे। लेकिन इस काम में आपको वकील की फीस देनी होगी और हर पेशी पर अदालत में जाना होगा। यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो आप को न्यायालय के समक्ष आपकी और आपके मृत पिता के अपमान और बदनामी के लिए परिवाद प्रस्तुत कर कार्यवाही अवश्य करना चाहिए। परिवाद दर्ज होने के बाद जिन लोगों के विरुद्ध आप कार्यवाही करेंगे उन्हें अदालत में आना होगा। यदि वहाँ वे अपने इस कार्य के लिए क्षमा-प्रार्थी होते हैं तो आपको उन्हें क्षमा करते हुए मुकदमा खत्म करना बेहतर होगा। इससे आपकी अड़चनें समाप्त हो सकती हैं।