मध्य प्रांत की न्यायिक व्यवस्था मध्य भारत के ब्रिटिश क्षेत्रों के लिए जिन्हें मध्य प्रांत कहा जाता था, 1865 के 14वें अधिनियम के द्वारा न्यायिक व्यवस्था को सुचारू
मद्रास, बम्बई और कलकत्ता प्रेसीडेंसियों में विधि व्यवस्था का विकास अलग अलग हुआ था और उन में पर्याप्त भिन्नता थी। इन दिनों जो न्यायिक व्यवस्था भारत के कंपनी
बम्बई में जिले के कलेक्टर को मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ प्राप्त थीं। उस के कार्यों में सहायता के लिए जिला पुलिस अधिकारी और ग्राम मुखिया नियुक्त थे। ग्राम मुखिया
राजस्व व्यवस्था मद्रास में 1786 में भू-राजस्व मंडल की स्थापना की गई थी, जिस का उद्देश्य भू-राजस्व व्यवस्था को सुचारू बनाना था। 1794 में मंडल के अधीन प्रत्येक
मद्रास प्रेसीडेंसी में दांडिक न्याय लॉर्ड कॉर्नवलिस के सुधारों के अनुरूप ही प्रचलित था। 1807 में कार्यपालिका और न्यायपालिका के पार्थक्य के सिद्धांत को लागू करने पर गवर्नर
मद्रास प्रेसीडेंसी में थॉमस मनरो आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए अगले वर्ष 1816 में अनेक महत्वपूर्ण विनियम जारी किए गए। विनियम-4 के द्वारा गाँव के