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आँख मूंद कर शादी करने का अपराध किया तो दण्ड तो भुगतना होगा।

alimonyसमस्या-

प्रशान्त के गुप्ता ने बहादुर गंज उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरी शादी 07 मार्च -14 को हुई थी। लेकिन मेरी पत्नी ने मुझसे सम्बन्ध बनाने से इंकार कर दिया और कहा कि अगर मैं ने उसके पास आने की कोशिश की तो वो मर जायेगी और मुझ से बहस करने लगी मेरे मुहँ पर पैसा फैंक दिया। अगले दिन मेरे ससुर जी बिना विदाई के मेरी पत्नी को ले के चले गए और कहा कि वो मेरी पत्नी को समझा कर वापस भेज देंगे। लेकिन कुछ दिन के बाद वो आ कर धमकी दे के चले गए कि अगर पति और पत्नी अकेले रहना चाहते हैं अगर ऐसा नहीं हुआ तो सारे घर वालों को अन्दर करवा देंगे। अब उन्होंने 15,000/- मासिक गुजारा भत्ता माँगा है और ये भी कहा है की हम लोगों ने मेरी पत्नी को मारा पीटा है जबकि वो मेरे घर में रही ही नहीं। हम ने फैमली कोर्ट में एप्लीकेशन दे रखा है लेकिन 9 माह हो गए न तो मेरे ससुराल वालों ने जवाब दिया और न ही कोर्ट में हाज़िर हुए। अब मेरे लिए क्या उचित है? मैंने केस अपने जिले में दाखिल कर रखा है और मेरे ससुर ने अपने जिले में। मेरे पास फ़ोन की रिकॉर्डिंग है जिस से ये साबित होता है कि घरेलू हिंसा नहीं हुई है और मासिक गुजारा भत्ता के केस में दिए गए सभी तथ्य सरासर गलत हैं। उस ने पुलिस कम्प्लेन्ट क्यों नहीं किया। मैं क्या करूँ?

समाधान-

प ने यह शादी अपनी और अपनी पत्नी की मर्जी से की थी या फिर अपने माता-पिता के कहने मात्र से कर ली थी? आप पत्नी से विवाह के पूर्व कितनी बार मिले थे? उस के स्वभाव को जानने की कोशिश की थी या नहीं? उस से पूछा था या नहीं कि वह भी आप से विवाह करना चाहती है या नहीं? आप ने फैमिली कोर्ट में किस धारा के अन्तर्गत किस बात की एप्लीकेशन दे रखी है? ससुराल वाले अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे हैं तो उन को आप के मुकदमे का नोटिस मिल गया है या नहीं और उन्हें नोटिस मिलने का सबूत कोर्ट में आ चुका है या नहीं? आप के ससुर ने उन के जिले में किस बात का केस लगा रखा है? आप के फोन रिकार्डिंग में क्या बात अंकित है? आप कैसे कहते हैं कि उस से क्या साबित होता है? क्या आप को पता है कि अदालत में तथ्यों को कैसे साबित किया जा सकता है? जब आप के ससुर अलग न रहने पर आप के सब घर वालों को अन्दर करवाने की धमकी दे कर गए तब आप ने पुलिस को कोई रिपोर्ट की? यदि नहीं तो क्यों नहीं की? यदि आप ने रिपोर्ट नहीं की तो आप यह कैसे कह सकते हैं आप के ससुर धमकी दे कर गए थे? आप ने फैमिली कोर्ट में मुकदमा किया है तो जरूर किसी न किसी वकील की मदद से किया होगा। आप ने ये सारे सवाल जो यहाँ समस्या के रूप में रखे हैं अपने वकील से किए हैं या नहीं और उन्हों ने आप को क्या उत्तर दिया? हम ने जितने तथ्यों के बारे में आप से पूछा है उन में से एक भी तथ्य आप ने अपनी समस्या में अंकित नहीं किया है और उत्तर की अपेक्षा रखते हैं, क्या यह गलत नहीं है?

विवाह आप ने किया है, जीवन साथी के चुनाव में गलती आप ने की है। आप को होने वाली पत्नी से विवाह के पहले मिलना चाहिए था? जानना चाहिए था कि आप दोनों कोई गृहस्थी सफलता पूर्वक चला सकते हैं या नहीं। जब तक इस तरह बिना सोचे विचारे विवाह होते रहेंगे इस तरह की समस्याओं की कमी नहीं होगी और हम वकीलों की चान्दी होती रहेगी। आप ने और आप के परिवार ने जो गलती की है उस का दंड भी आप को ही भुगतना है। जो मुकदमे आप की पत्नी या ससुर ने आप के विरुद्ध किए हैं उन में आप को प्रतिवाद करना ही होगा।

प के कथनों से लगता है कि पत्नी ने भरण पोषण के लिए आवेदन दिया है। आप पत्नी के पति हैं तो आप को भरण पोषण देना ही होगा, जब तक कि आप के बीच के विवादों का हल नहीं निकल जाता है। क्या राशि देनी होगी यह केवल न्यायालय के समक्ष लाए गए तथ्यों और प्राथमिक सबूतों से तय होगा।

भी आप के विवाह को एक वर्ष नहीं हुआ है। एक वर्ष पूरा होने पर ही आप विवाह विच्छेद के लिए आवेदन दे सकते हैं उस से पहले नहीं। यदि आप साबित कर सकें कि आप दोनों के बीच किसी तरह के यौन संबंध नहीं बने हैं तो इस का अर्थ यह होगा कि आप की पत्नी आप के प्रति नपुंसक है। आप की पत्नी आप के साथ रही ही नहीं है तो यह भी साबित किया जा सकता है कि वह स्वेच्छा से आप का परित्याग कर गई है। आप अपने वकील से संपर्क कर के सलाह करते हुए विवाह विच्छेद के आधार तलाश सकते हैं और विवाह विच्छेद करा सकते हैं। हम यह इसलिए कह रहे हैं कि विवाह के कंजूम होने के पहले ही ऐसा विवाद आरंभ होने से लगता है कि आप का विवाह सफल नहीं हो सकता और किसी भी तरह उस का विच्छेद हो जाना ही बेहतर है। आप यह कोशिश भी कर सकते हैं कि आपसी सहमति से विवाह विच्छेद हो जाए। इस के लिए आप की पत्नी बड़ी धनराशि की मांग करेगी। उस के लिए तैयार होना पड़ेगा वर्ना इन विवादों में ही कई वर्ष निकल जाएंगे। इस राशि का नुकसान आप की सही जीवन साथी के चयन में गलती का दंड मात्र होगा। पर वही शीघ्र जीवन को पटरी पर लाने के लिए सब से अच्छा उपाय भी होगा।

प ने जो मुकदमा किया है वह धारा 9 में दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना का होना चाहिए। यदि ऐसा है तो आप की पत्नी को नोटिस तामील कराएँ। यदि नोटिस तामील हो गया है तो फिर भी वह न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रही है तो उसे एक तरफा करवा कर डिक्री पारित कराएँ। एक बार दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना की डिक्री पारित हो जाने और एक वर्ष की अवधि के भीतर आप के बीच कोई संपर्क स्थापित नहीं होने पर उसी आधार पर आप विवाह विच्छेद की डिक्री पारित करवा सकते हैं।

हमारे पास रोज ऐसी ही समस्याएँ आती हैं। स्त्री और पुरुष दोनों ही जीवन साथी के चुनाव में गलती नहीं करते, बल्कि घोर लापरवाही करते हैं। आँख मूंद कर निर्णय करते हैं, जैसे यह विवाह न हुआ तो वे कुँआरे रह जाएंगे। विवाह के साथ ही ऐसी मुसीबत से दो चार होते हैं कि छठी का दूध याद आ जाता है। इस के बावजूद भी समाज में आँख मूंद कर विवाह की परम्परा जारी है। अब आँख मूंद कर विवाह करने का अपराध करेंगे तो दण्ड तो भुगतना होगा।

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