आप को बेटी की कस्टडी मिल सकती है।
|कंचन ने गांधीधाम, गुजरात से समस्या भेजी है कि-
मैं ने लव मैरिज की है और मेरा पति मुझे मारता है, मेरी 18 माह की बेटी है जो उस ने मेरे से छीन ली है और मुझे घऱ से बाहर निकाल दिया है। मैं ने 498ए का केस किया था लेकिन उस में उन लोगों ने जमानत ले ली। मेरे से नोटेरी करवाई है कि लड़की पर मेरा कुछ भी हक नहीं होगा। क्या लड़की मैं नहीं ले सकती? कृपया समाधान करें।
समाधान-
पति से विवाद होने पर सब से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि आप के पास सपोर्ट क्या है? यदि आप आत्मनिर्भर हैं, अर्थात आप स्वयं अपना खर्च उठा सकती हैं और बेटी की देखभाल कर सकती हैं तो सब से बेहतर है। यदि नहीं है तो सब से पहले आप को यह सोचना चाहिए कि आप का अकेले जीवन गुजारने का साधन क्या बनेगा और मुकदमा लड़ने के लिए आप का सपोर्ट क्या होगा।
धारा 498ए में जमानत तो हो ही जाती है। मुकदमा चलेगा और उस का साबित होना इस बात पर निर्भर करेगा कि आप खुद न्यायालय के समक्ष क्या बयान करती हैं। आप को महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत कार्यवाही कर के सुरक्षा, निवास की सुविधा, बच्चे की कस्टडी और अपने और बच्चे के लिए भरण पोषण का खर्च मांगना चाहिए। दूसरी ओर पारिवारिक न्यायालय में आवेदन दे कर न्यायिक पृथक्करण अथवा विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए साथ में बच्चे की कस्टडी के लिए भी आवेदन करना चाहिए। आप को बच्चे की कस्टडी मिल सकती है। विशेष रूप से तब जब कि वह बालिका है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप के पति ने आप से कुछ लिखवा कर नोटेरी करवा लिया है। वह सब कुछ दबाव में भी हो सकता है जैसा कि प्रतीत होता है।
आप जान लें विवाह किसी भी रीति से हो कानून के समक्ष वह विवाह होता है और उस के दायित्व और कर्तव्य समान होते हैं। हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है और किसी भी तरह से स्त्री को अधीन बनाने के रास्ते तलाशता रहता है। आप बच्चे के साथ प्रेम के कारण अपने पति के साथ बनी रहेंगी और जीवन भर यातनाएँ सहन करती रहेंगी। इसी कारण आप से बच्चे को छीन लिया गया है। आप यदि आत्मनिर्भर नहीं हैं तो उस तरफ कदम रखिए। एक स्त्री का सम्मान जनक स्थान समाज में इसी बात पर निर्भर करता है कि वह आत्मनिर्भर है या नहीं।
बहुत अक्छी सलाह।