उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति को विक्रय किया जा सकता है
|समस्या-
मेरे पिताजी मेरी सौतेली माँ के साथ रहते हैं और मैं और मेरी बहन अपनी माँ के साथ बीस साल से अलग रहते हैं। मेरे पिता जी और मेरी माँ में तलाक नहीं हुआ है। आज से आठ साल पहले मेरे पिता जी ने दादा जी के प्लाट को मेरी सौतेली माँ को बेचान कर दिया और उन के नाम रजिस्ट्री करवा दी। जिस का हमें अभी मालूम हुआ है। उस प्लाट पर मेरी सौतेली माँ का कब्जा है। क्या मैं और मेरी माँ मेरे दादा जी की संपत्ति में से कानूनी रूप से कुछ ले सकते हैं? मेरे दादा जी का देहांत 11 वर्ष पहले हो गया था और उन्हों ने अपनी कोई वसीयत भी नहीं बनाई थी। मेरे पिताजी ने बीस साल से हमारी कोई मदद नहीं की, सब कुछ माँ ने ही किया है।
-प्रियंक, सिंगरौली, मध्यप्रदेश
समाधान-
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 अस्तित्व में आने की तिथि 17 जून 1956 से किसी भी हिन्दू द्वारा छोड़ी गई निर्वसीयती संपत्ति में केवल उस के उत्तराधिकारियों का हिस्सा होता है। आप के दादा जी की संपत्ति पर केवल उन के उत्तराधिकारियों उन की माता, पत्नी और संतानों को ही उत्तराधिकार प्राप्त था। पुत्रवधु, पौत्र या पौत्री को नहीं। इस तरह आप के दादा जी की संपत्ति में आप, आप की माता और आप की बहिन को कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। आप के पिता को उसे विक्रय करने का अधिकार है और उसी अधिकार के अंतर्गत उन्हों ने उस संपत्ति को विक्रय किया है। किसी को उस पर आपत्ति करने का अधिकार प्राप्त नहीं।
यदि आप के पिता के देहान्त के उपरान्त उन की कोई संपत्ति निर्वसीयती शेष रहेगी तो उस में आप तीनों को उत्तराधिकार प्राप्त हो सकता है। आप के पिता के जीवित रहते आप तीनों को आप के पिता की संपत्ति में कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। पैतृक संपत्ति का सिद्धान्त उक्त अधिनियम आने के उपरान्त से समाप्त हो गया है। उक्त अधिनियम के अस्तित्व में आने के समय यदि कोई पैतृक संपत्ति मौजूद थी तो उस के लिए इस अधिनियम में विशेष उपबंध किए गए हैं।
आप की माता जी को अपने पति से दूसरा विवाह करने तक, आप को वयस्क होने तक तथा आप की बहिन को विवाह तक आप के पिता से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। आप इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए न्यायालय की शरण ले सकते हैं।
क्या हिन्दू कानून में उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति होती है उस में पत्नी और संतानों आदि अधिकार भी सम्मिलित होता है,?क्या कोई उत्तराधिकार से प्राप्त सम्पति को बसियत कर सकता है ? यदि किसी ने बसियत कर दी हो तो क्या करे ?कैसे दाबा करे , प्लीज उत्तर दे . धन्यवाद , pksaxena
क्या हिन्दू कानून में उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति होती है उस में पत्नी और संतानों आदि अधिकार भी सम्मिलित होता है,?क्या कोई उत्तराधिकार से प्राप्त सम्पति को बसियत कर सकता है ? यदि किसी ने बसियत कर दी हो तो क्या करे ? प्लीज उत्तर दे . धन्यवाद , pksaxena
आदरणीय द्विवेदी जी नमस्कार
इस पोस्ट के नीचे “पाठक तलाशते आ रहे हैं” और “तलाश मामलों की” कॉलम में अश्लील भाषा के शब्द आ रहे हैं।
प्रणाम
सूचना के लिए धन्यवाद! त्रुटि सुधार ली गई है।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.किन आजीविकाओं के साथ एक व्यक्ति एडवोकेट के रूप में वकालत कर सकता है?
गुरुदेव जी, आपने बहुत अच्छी सलाह दी है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.अपनी गरीबी पर संतोष है
क्या मागना उनसे जो बीच रहा चल दिया! अपने परिश्रम से दुनिया जीतो !
बबिता जी आज कल परिश्रम शब्द ही ख़तम होता जा रहा है समाज से और इसी का कारण है कि आज समाज में क्राइम बढता जा रहा है ………..
बहुत ही सटीक जानकारी दिनेश सर द्वारा दी गई है …..उत्तराधिकार के मामलो में लोगो में काफी गलत फहमी है ……..
बहुत बढ़िया जानकारी|
R.S.Shekhawat का पिछला आलेख है:–.Sh. Mahendra Choudhary, MLA Nawan,Dist.Nagaur, Rajasthan