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पिताजी के भले के लिए उन्हें कैसे भी समझाएँ, जरूरत हो तो कानून की मदद लें …

20130504_173009समस्या-

कृष्ण पाल ने इन्दौर,मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे पिताजी को मेरे दादा जी से सात एकड़ जमीन (उत्तराधिकार में) मिली है जो कि पुश्तैनी है। वे रीवा (मध्यप्रदेश) जिले के गाँव में अकेले रहते हैं। मेरे पिताजी की आयु 80 बरस है। उन्हें मैं अपने पास इन्दौर ले आया हूँ। मैं यहाँ अपने फ्लेट में रहता हूँ। मेरी माताजी का देहांत हो चुका है। गाँव के खुले वातावरण के स्थान पर यहाँ के भीड़ भरे माहौल तथा फ्लेट के बंद वातावरण में घुटन महसूस करते हैं और कहते हैं कि मुझे कहाँ जेल में ले आए हो। मुझे गाँव में ही छोड़ दो। मैं उन्हें गाँव में भी अकेले नहीं छोड़ सकता। उन्हें भूलने की बीमारी है, आधे घंटे पहले की बात भी याद नही रहती। मेरी 2 बहनें हैं। यह भी कहते हैं कि गांव की जमीन बेच दूंगा तो मेरा काम चल जाएगा। उन्हों ने जमीन पर ऋण ले रखा था उसे मैंने पैसा भेज कर चुकाया है। मेरी सारी बचत उसी में लग गई है। पिताजी को गाँव भेजना ही पड़े तो वे जमीन न बेच दें इसके लिये क्या किया जा सकता है?

समाधान-

प की समस्या कानूनी कम है और सामाजिक अधिक है। पिताजी गाँव के वातावरण में रहने के आदी हैं। निश्चित रूप से फ्लेट में घुटन महसूस करते होंगे। उन्हें कुछ समय खुले में बिताने का अवसर मिलना चाहिए। आप की सोसायटी में कुछ बुजुर्ग हों तो उन के साथ उन का साथ बन जाए तो उन्हें कुछ खुलापन मिल सकता है। इस के लिए आप को प्रयत्न करने होंगे। उन्हें स्थानीय बुजुर्गों से मिलाया जाए। हर सोसायटी में बुजुर्ग कोई न कोई स्थान ऐसा निकाल लेते हैं जहाँ वे दिन के समय आपस मिलते हैं बातचीत करते हैं और कुछ खेलते वगैरा भी हैं। यदि आप की सोसायटी में ऐसा नहीं है तो बुजुर्गों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था होनी चाहिए। आप इस पर काम करें। आप पिताजी को इस बारे में बताएंगे तो उन्हें अच्छा लगेगा। वे भी इस में मदद करेंगे।

प की जमीन यदि पुश्तैनी है तो वह केवल पिताजी की नहीं है। फिर उस में आप की व्यक्तिगत कमाई का धन लगा है। आप अपने पिताजी से कह सकते हैं कि जमीन की बाजार कीमत यदि 10 लाख है और उस में पाँच लाख का कर्ज आप ने चुकाया है तो उस की वास्तविक कीमत केवल पाँच लाख या इस से भी कम की है क्यों कि आप के लगाए धन का ब्याज भी तो जुड़ेगा। इस कारण उस की कीमत इस से भी कम रह गई है। फिर पुश्तैनी होने के कारण वह केवल उन की नहीं है उस में आप का और बहनों का भी हिस्सा है। उन से कहें कि वे यदि जमीन बेचना चाहें तो शौक से बेचें लेकिन पहले तो उन्हें आप तथा आप की बहनों से सहमति लेनी होगी। दूसरे जमीन को बेचने से जो धन मिलेगा उस में से पहले आप का धन लौटाया जाए, फिर शेष में से आप का और बहनों का हिस्सा दिया जाए और फिर जो शेष बचेगा वह पिताजी ले लें। यदि गाँव की जमीन बेच देंगे तो गाँव में रहने का कोई कारण भी शेष नहीं रहेगा। उन्हें फिर आप के पास रहना होगा। आप की बहनों से भी पहले आप बात करें जिस से वे भी उन्हें समझाएँ। उन का गाँव जा कर अकेले रहना किसी भी स्थिति में उचित नहीं है यह बात आप उन्हें समझा सकते हैं। हमें लगता है वे समझ जाएंगे।

दि फिर भी न समझें तो आप उन्हें यह भी कह सकते हैं कि जितनी जमीन है उस की बाजार कीमत तय कर लें। आप का धन जितना लगा है उतनी जमीन अलग कर दें शेष जमीन के हिस्से चार हिस्से बना लें जिस में से केवल एक हिस्सा उन का होगा। इस तरह चारों के हिस्से हो जाने पर बँटवारा रजिस्टर्ड कराएँ और जो उन का अपना हिस्सा हो उसे विक्रय कर दें। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो आप अदालत जा कर जमीन का कोई भी हिस्सा बेचने पर स्टे लाएंगे। इतनी सारी मुसीबतें जान जाने के बाद आप के पिताजी गाँव जाने की जिद त्याग देंगे। लेकिन आप को चाहिए कि उन के अनुकूल कुछ वातावरण यहाँ भी बनाएँ, जिस में वे कुछ खुली साँस ले सकें। इस उम्र में पिताजी का आप से अलग अकेले रहना किसी भी हालत में ठीक नहीं, आप को उन्हें साम, दाम, दण्ड, भेद सभी तरीकों से समझा कर अपने पास रखना होगा।

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