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उ.प्र. में कृषि भूमि के अलावा अन्य संपत्तियों पर व्यक्तिगत उत्तराधिकार विधि प्रभावी होगी

समस्या-

विजय लक्ष्मी ने कानपुर देहात उत्तर प्रदेश से पूछा है-

हम तीन बहने हैं, भाई नहीं है। पिता की 2013 में मृत्यु हो चुकी है। पिता के मरने के माता ने हम तीनों बहनो को 2 .2 बीघा जमीन बैनामा कर दी। माता के नाम दो मकान हैं एक गाँव में, एक कस्बे में। मेरी माँ के साथ मेरी बड़ी बहन, उसका लड़का और उसका पति 2013 से पिता के  मरने  के बाद से रह रहे हैं। 2018 में मेरी मां से मेरी बड़ी बहन ने एक राजिस्टर्ड वसीयत तहसील में अपने लड़कों के नाम से करवा ली, उसमें गाँव के मकान का नंबर और उसकी चौहद्दि लिखी हैं। अन्य पेज पर समस्त चल अचल सम्पति लिखा है। मेरी माता की मृत्यु अभी 5 दिसंबर 2021 को हुई है। तो क्या चौहद्दी होने पर वसीयत केवल गांव के मकान की सिर्फ माने जाएगी या कस्बे का मकान भी वसीयत में शामिल होगा?

समाधान-

वसीयत को पूरी देखने के बाद ही कहा जा सकता है कि उसका क्या असर होगा? केवल चौहद्दी और समस्त चल अचल संपत्ति का उल्लेख वसीयत में होने की सूचना मात्र से कोई राय अथवा सलाह देना संभव नहीं है।

जहाँ तक जमीन का प्रश्न है तो वह आपको बैनामे से प्राप्त हो चुकी है उस पर कोई असर नहीं होगा। जमीन के सम्बन्ध में अलग कानून है। जहाँ तक मकानों का प्रश्न है वे राजस्व भूमि के कानूनों से शासित नहीं होते। उनके संबंध में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम प्रभावी होगा।

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार आपके पिता के दोनों मकानों पर आपकी माता तथा तीनों बहनों को उत्तराधिकार आपके पिता की मृत्यु के साथ ही प्राप्त हो चुका है। प्रत्येक बहन को दोनों मकानों पर चौथाई हिस्से का अधिकार प्राप्त है। माता का अधिकार भी मकानों पर एक चौथाई है।

माँ उन दोनों मकानों के चौथाई हिस्से की वसीयत कर सकती है क्यों कि शेष तीन चौथाई पर उसका कोई अधिकार नहीं है। यदि मकानों में उसने अपने हिस्से की चौथाई हिस्से को पंजीकृत वसीयत से बड़ी बहिन या उसके पुत्र को दे दिया है तब स्थिति ऐसी है कि बड़ी बहिन के पास अपने हिस्से को मिला कर दोनों मकानों का आधा हिस्सा हैं। दोनों छोटी बहनों का एक चौथाई हिस्सा दोनों मकानों में फिर भी बना रहेगा।

ऐसी स्थिति में आप दोनों मकानों में अपना चौथाई हिस्सा प्राप्त करने के लिए विभाजन का वाद जिला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकती हैं। इस चौथाई हिस्से से आपको किसी प्रकार से वंचित नहीं किया जा सकता।