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किसी भी संपत्ति का स्वामी उस के संबंध में अपनी वसीयत कभी भी बदल सकता है।

Willसमस्या-

गंगेश पाण्डेय ने इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे दादा के पाँच लडके हैं जिन में मेरे पिता जी सबसे बडे थे। मेरे पिता जी कीमृत्यु सन्1993 में ट्रक दु्र्घटना में हो गई थी। हम दो भाई हैं। जब पिता जी कीमृत्यु हुई थी तो हम दोनों भाई छोटे थे। जब हम बडे हुई तो परिवार में सम्पत्ति को ले कर विवादहोने लगा। मेरे चारों चाचाओं ने दादा दीदी को अपने फेवर मेंकर के रजिस्टर्ड वसीयत अपनी अपनी पत्नियों के नाम करवा ली। मेरी माँ विधवाहै, घर में केवल एक कमरा मिला है और कुछ भी नहीं मिला है। सम्पत्ति जो भी चलअचल दोनों प्रकार की सम्पत्ति में मेरी माँ का कोई भी हिस्सा नहीं मिलाहै। मेरीउम्र केवल 20 साल है और मेरे बडे भाई का उम्र 22 साल की है। दादादादी के नाम खुद की बनाई सम्पत्ति है और उस में से केवल एक बीघा ही पैतृकसम्पत्ति है। इन्हो ने वसीयत 2008 में की है वर्तमान में मेरे दादा दादीदोनों जीवित हैं मुझे बताने का कष्ट करे कि मैं क्या करूँ और क्यामुझे या मेरी माँ को सम्पत्ति मिल सकती है या नहीं।

 

समाधान-

पैतृक संपत्ति यदि कोई है तो उस में आप की माँ को कोई हिस्सा नहीं मिल सकता। लेकिन उस में आप दोनों भाइयों का हिस्सा है। उस पर आप कानून के हिसाब से दावा कर सकते हैं। लेकिन यदि यह एक बीघा की पैतृक संपत्ति कृषि भूमि है तो फिर इस का उत्तराधिकार भी हिन्दू विधि के अनुसार न हो कर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम के अनुसार होगा। यदि यह जमीन आप के दादा के नाम है तो फिर उस में आप का हिस्सा हो सकता है।

शेष संपत्ति जो दादा दादी के नाम है और जिस की वसीयत वे कर चुके हैं जिस में आप की मां तथा आप दोनों भाइयों को कुछ भी नहीं मिला है उस में वर्तमान में आपका, आप के चाचाओं का या अन्य किसी व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं है। उस संपत्ति में किसी भी व्यक्ति का अधिकार दादा दादी में से किसी भी व्यक्ति के देहान्त के उपरान्त ही तय होगा। दादी के नाम की संपत्ति का उन के देहान्त के उपरान्त तथा दादा जी की संपत्ति का उन के देहान्त के उपरान्त तय होगा। यदि उन में से किसी ने वसीयत कर रखी है तो उस संपत्ति पर का दाय वसीयत के अनुसार होगा और यदि वसीयत नहीं की है तो हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार होगा। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार दाय होने पर आप को, आप की माँ को तथा आप के भाई को आप के पिता के हिस्से का 1/3-1/3 हिस्से प्राप्त होंगे।

प ने बताया है कि दादा-दादी ने पंजीकृत वसीयत की हुई है। उस वसीयत का आज कोई प्रभाव नहीं है। किसी भी वसीयत को वसीयत करने वाला अपने जीवन काल में निरस्त कर सकता है,बदल सकता है या फिर नई वसीयत कर सकता है। केवल किसी व्यक्ति के जीवनकाल के उपरान्त ही यह तय किया जाएगा कि उस के देहान्त के समय उस की सम्पत्ति क्या थी और और उस संपत्ति की कोई वैध वसीयत है या नहीं यदि कोई वैध वसीयत नहीं है तो सम्पत्ति का दाय हिन्दू उत्तराधिकार के नियमों से होगा। यदि दादा-दादी चाहें तो उन की पंजीकृत वसीयत को निरस्त कर सकते हैं, उस के स्थान पर नई कर सकते हैं। किसी भी संपत्ति के संबंध में उस के स्वामी की अन्तिम वसीयत को ही मान्य समझा जाएगा।

दि आपके दादा दादी उन की वसीयत बदल कर उस में आप के, आप के भाई के और आप की माँ के नाम कुछ संपत्ति रखते हैं तो वह आप को प्राप्त हो सकती है। आप के दादा दादी किसी संपत्ति को आप को दान भी कर सकते हैं। दान की हुई संपत्ति पर दान ग्रहणकर्ता का स्वामित्व दानपत्र के पंजीकरण के दिन से ही स्थापित हो जाएगा जिसे कभी नही बदला जा सकता है।

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