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गिरफ्तारी वारंट की धमकियों से न घबराएँ

 इलाहाबाद से अपराजित ने पूछा है –

मेरी शादी मई 2005 में हुई थी, मेरे एक बेटी है।  पत्नी अब तक कुल ४-५ महीने मेरे साथ आ कर रही है, उस के बाद से ससुराल में ही है, लेने जाते हैं तो आती नहीं। अदालत में कहती है मैं पति के साथ रहना चाहती हूँ लेकिन आती नहीं है। पत्नी ने धारा 498 अ भारतीय दंड संहिता और धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के मुकदमे कर दिए हैं  हम लोगों ने 498 अ के मुकदमे में जमानत ले ली है। पत्नी ने खर्चे की मांग की 1500 रुपए प्रतिमाह का आदेश हुआ।  मैं देने के लिए तैयार हूँ, फिर भी क्या हमलोगों को जेल भेजा जा सकता  है? ससुराल वाले धमकी देते हैं कि नेताओ का लैटर ले चुका हूँ मैं वारंट निकलवाउंगा, क्या ये सही है? क्या इस तरह का कानून है?  मैं खर्चा देता हूँ तो भी क्या मुझे परेशानी होगी? अगर मैं खर्चा देता रहता हूँ तो क्या दूसरी शादी कर सकता हूँ?  
 उत्तर –
अपराजित जी,
प की पत्नी के आप के पास आ कर न रहने का क्या कारण है? यह आप ने नहीं बताया है। आप को उस कारण को खोज कर उस का निवारण करना चाहिए जिस से आप की पत्नी और बेटी आप के साथ आ कर रह सके। आप की पत्नी आप के पास आ कर रहने की कहती है और आती नहीं है तो अदालत मे चल रहे धारा 125 के मुकदमा जिस अदालत में चल रहा है उस के न्यायाधीश/मजिस्ट्रेट को कहिए कि पत्नी यहाँ तो कहती है कि रहने को तैयार हूँ लेकिन लेने जाते हैं तो नहीं आती है, इसे अदालत से सीधे मेरे साथ भेजा जाए। न्यायाधीश इस के लिए आदेश देंगे और पत्नी को आप के साथ जाने को कहेंगे। इस बात को न्यायालय की पत्रावली में भी दर्ज करेंगे। फिर भी पत्नी आप के साथ नहीं आती है तो यह आदेश आप के बाद में काम आएगा, इस की प्रमाणित प्रतिलिपियाँ ले कर अपने पास सुरक्षित रखिए।
पत्नी आप के साथ आ कर नहीं रहती है तो आप ने उसे लाने के लिए क्या कार्यवाही की यह आपने नहीं बताया है। आप को धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम के अंतर्गत दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए था। यदि आप ने ऐसा आवेदन प्रस्तुत नहीं किया तो अब तुरंत कर देना चाहिए। न्यायालय इस आवेदन में डिक्री पारित कर देगी। फिर भी पत्नी आप के साथ आ कर नहीं रहती है तो आप तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस आवेदन पर आप को विवाह विच्छेद (तलाक) की डिक्री प्राप्त हो जाएगी। 
धारा 498 अ के मामले में आप को जमानत मिल गई है और आप मुकदमे की हर पेशी पर न्यायालय में उपस्थित होते रहते हैं या किसी अत्यावश्यक कारण से अदालत नहीं जा सकते हैं और उस दिन आप का वकील आवेदन देकर आप की उपस्थिति से अभिमुक्ति प्राप्त कर लेता है तो न्यायालय कोई वारन्ट आप की गिरफ्तारी के लिए जारी नहीं कर सकता। धारा 125 के मामले में भी यदि आप आदेशित भरण पोषण की राशि अपनी पत्नी को अदा करते रहते हैं तो कोई वारंट आप के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता। यदि वारंट जारी करने के लिए कोई आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होता भी है तो पहले आप को सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाएगा कि आप की ओर भरण पोषण की कोई राशि अदा की है अथवा नहीं। इस के लिए आप प्रतिमाह अथवा कुछ माहों की राशि एक मुश्त न्

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