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जिसके नाम रजिस्टर्ड विक्रय पत्र है वही संपत्ति का स्वामी माना जाएगा।

समस्या-

मेरे पिताजी और उनके दोस्त (बड़े पापा), दोनों का परिवार 30 सालों से एक ही घर में रहता है। दोस्ती पर विश्वास के चलते घर की रजिस्ट्री पिताजी के दोस्त के नाम पर ही हो गई थी। लेकिन अब बड़े पापा के परिवार के इरादे कुछ ठीक नहीं है। अगर हमारे साथ धोखाधड़ी हुई, तो हम घर पर दावा कैसे पेश कर सकते हैं?

– कमलेश सुनार, इंदौर (मध्यप्रदेश)

समाधान-

जिस तरह की समस्या आप ने हमें बताई है, वैसी ही अनेक समस्याएँ हमें प्राप्त होती रहती हैं। आप ने अपनी समस्या में तथ्यों का विवरण नहीं दिया है। जब कि हमने अपने फार्म में लिखा हुआ है कि आप अपनी समस्या के समस्त तथ्य संक्षेप में लिखें।

आप ने अपने पिता के मित्र को बड़े पापा भी लिखा है। इस से यह स्पष्ट नहीं होता है कि वे वाकई आप के पिता के मित्र हैं या कोई रिश्तेदार हैं। दोनों के परिवार का एक ही घर में 30 वर्ष से रहना आप ने कहा है। लेकिन इस से यह स्पष्ट नहीं होता कि एक ही घर में अलग अलग पोर्शन में आप लोग रहते हैं या फिर एक परिवार की तरह की साथ रहते हैं। रजिस्ट्री से मतलब यह है कि मकान किसी से खरीदा गया था और रजिस्ट्री आप के पिता के मित्र के नाम हुई थी। यह स्पष्ट नहीं है कि इस मकान को कितनी राशि दे कर खरीदा था और यह राशि किसने अदा की थी और दोनों ने इस में योगदान किया था तो दोनों का योगदान कितना कितना है। आप को लगता है कि बड़े पापा के इरादे ठीक नहीं हैं। आप को यह कैसे पता लगा कि उन के इरादे ठीक नहीं है। उन के जिन कामों से आप को ऐसा लगा है उनका विवरण आप ने नहीं दिया है। अन्त में आप ने पूछा है कि यदि आप के साथ धोखाधड़ी हुई तो घर पर दावा कैसे पेश कर सकते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि आप को किस तरह की धोखाधड़ी की जा सकती है। आपने यह भी नहीं बताया कि क्या मकान की रजिस्ट्री आप ने खुद देखी है जिससे आप को पता लगे कि उसमें आप के पिता का नाम नहीं है।

हम जहाँ तक समझे हैं मकान की रजिस्ट्री (विक्रय पत्र) यदि बड़े पापा के नाम है तो रिकार्ड में उन्हीं को स्वामी माना जाएगा और मकान में किसी अन्य का हिस्सा नहीं माना जाएगा। आप समझते हैं कि उस मकान में आप का हिस्सा है तो अदालत में आप को गवाही और सबूतों के माध्यम से यह साबित करना पड़ेगा कि उस मकान में आप का हिस्सा है और वह किस तरह है।

आप ने यह भी नहीं बताया है कि मकान कब किस साल में खरीदा गया था। क्यों कि बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट यह कहता है कि जो मकान रिकार्ड में जिस के नाम है उसी के स्वामित्व का माना जाएगा। यदि बेनामी ट्रांजेक्शन एक्ट लागू न भी हो तो भी आप को यह साबित करना पड़ेगा कि उस मकान को खरीदने में दोनों ने संयुक्त रुप से धन दिया था और मकान को संयुक्त रुप से ही खरीदा गया था। इसे आप कैसे साबित करेंगे। इस मामले में यदि आप उस मकान पर किसी तरह के हक का दावा करते हैं बिना विक्रय पत्र की रजिस्ट्री को देखे कोई भी वकील दावा नहीं कर सकता। ऐसे मामले में जहाँ रजिस्टर्ड विक्रय पत्र का अध्ययन जरूरी हो, हम इस फोरम में किसी भी समस्या का समाधान करने में फिलहाल सक्षम नहीं हैं। क्षमा करें इस तरह आप के मामले में हम राय देने में समर्थ नहीं हैं। फिर भी इतनी सलाह जरूर है कि आप किसी अच्छे स्थानीय वकील से विक्रय पत्र की रजिस्ट्री की प्रतिलिपि ले कर मिलें और उन्हें सारी बात बता कर परामर्श करें। यदि कुछ हो सकना संभव हो तभी कोई कार्यवाही करें, अन्यथा नहीं। बरसों तक मुकदमा लड़ने पर भी कुछ हासिल नहीं हो सकेगा।