पति के देहान्त के उपरान्त उस की संपत्ति में पत्नी का अधिकार।
विकी पन्त ने खटीमा, उत्तराखंड से समस्या भेजी है कि-
पति की मृत्यु क़े बाद उसकी जायदाद पर मालिकाना हक किसका होगा?
सुनीता ने कुरुक्षेत्र हरियाणा से समस्या भेजी है कि-
मेरी उम्र 22 वर्ष है, मेरा सवा साल का एक पुत्र है। मेरी शादी लगभग दो साल पहले हुई थी। लेकिन कुछ समय पहले दुर्घटना में मेरे पति का देहान्त हो चुका है। मेरे पति के छोटे भाई से भी मेरी शादी की बात नहीं बन पाई। अब मैं यह पूछना चाहती हूं कि अगर मैं पुनर्विवाह करूँ तो मेरा व मेरे पुत्र का मेरे पहले पति व मेरे पति के पिता पर क्या क्या अधिकार हो सकता है? ताकि मैं अपना हक व अपने बेटे के भविष्य को दुरुस्त कर सकूँ।
समाधान-
पति की मृत्यु के उपरान्त उस का उत्तराधिकार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार निर्धारित होता है। इस अधिनियम की धारा 8 में प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारियों के उपलब्ध होने पर पत्नी, संतानें और माँ को उत्तराधिकार प्राप्त होता है। इस तरह पति की जो भी संपत्ति है इन तीन प्रकार के उत्तराधिकारियों का उस में समान हिस्सा होता है। उदाहरण के रूप में यदि पत्नी, माँ और दो संतानें हैं तो कुल संख्या 4 होने से प्रत्येक को हिस्से में एक चौथाई संपत्ति का अधिकार प्राप्त होता है। इस संपत्ति का बंटवारा होने तक पति की संपत्ति इन चारों उत्तराधिकारियों की संयुक्त संपत्ति होती है।
यदि कोई पुश्तैनी संपत्ति परिवार में मौजूद है जिस में पति का हिस्सा भी था तो उस पति के हिस्से की स्थिति भी वही होगी जो पति की अन्य संपत्ति की होगी।
सुनीता जी को और उन के पुत्र के अतिरिक्त यदि उन के पति की माँ जीवित है तो उन के पति की जो भी संपत्ति है या परिवार में किसी पुश्तैनी संपत्ति में उन के पति का पुश्तैनी हिस्सा था तो उस सब के तीन हिस्से होंगे जिस में से एक हिस्से पर सुनीता जी का तथा एक हिस्से पर उन के पुत्र का अधिकार है। वे अपने व अपने पुत्र के लिए उस संपत्ति में अपना हिस्सा अलग कराने के लिए बंटवारे का वाद संस्थित कर सकती हैं। पुनर्विवाह करने पर कोई बाधा नहीं है क्यों कि उन्हें पति की संपत्ति में अधिकार उसी दिन प्राप्त हो गया है जिस दिन उन के पति का देहान्त हुआ है। उन से यह अधिकार पुनर्विवाह होने के कारण छीना नहीं जा सकता।
Mera naam ashish hain . Meri shaadi 17 may 2011 ko kotdwar dist- pauri (uttrakhand) mein hoi. Ghatna sahranpur uttarpradesh ki hain unhone ghatna apne ghar par dikhai hain 2/3/2012 mein fir lauch hoi mere or mere mummy papa sister and jijaji ke khilaf section 328,498,323,3/4dp act में, . mein or meri mummy papa didi jijaji unke ghar gaye or chatali jo meri wife hain use devi ka Prasad batakar ek burfi ka piece khilaya jismein zehar tha .or vo use gov- hospital le gaye janha uski koi entry nahi hain or police ko jitney gavah hain kisis ne koi ghantna ke bare mein pata na hona batya hain.usmein jo ek gavah hain jo ki mere sasur ke bhai ka damad hain jisne ghatna ke baremein jankari na hona bataya hain. 328 or didi jijaji ke naam hata gaye case dairy mein kyon ki unki mobile location unke ghar hanshi dist- Hishar (haryana) par thi or hummari hummare ghar kotdwar dist- pauri (uttrakhand) to hume bail mil gai or agra forensic lab se proof ho gaya ki vomet mein zehar hain isliye hum par 328 fir lag gai,.mein 75 days ke baad jamanathooi jail se or meri mummy papa bhi ek hafte ke liye jail gaye.ab jab gavahi shuru hooi to sasur ne gavahi di or behas se pehle hi section 319 crpc ki app. move kardi mere didi jijaji ke namm par abhi order ana pending hain ,mein aapse ye puchna cahta hoon ki mujhe kya karna cahiye ki mein or mere mummy papa is case mein begunah shabit ho.ismein or keval ismein jo eye witness hain vo chetali hain .kyon ki fir mein likha ki hum use alag se ek kamre mein legay hum pancho ,or chatali ko barfi khilai jabadasti or vanha se jaldi baji mein hum chale gaye.