पत्नी को बीमारी से मुक्त होने में मदद करें!
|
अजय जी,
अभी तो आप के मामले में किसी तरह की कोई कानूनी समस्या उपस्थित नहीं हुई है। केवल इतनी सी बात है कि आप की सास ने पहले शादी जिस तरह सम्पन्न किए जाने का आश्वासन दिया था उस तरह नहीं की। विवाह में दोनों पक्षों को साफ सुथरा होना चाहिए। लेकिन आज जिस तरह का वातावरण है उस में इस तरह का साफ सुथरापन कम ही संभव होता है। आप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आप की पत्नी की दो बहनें तलाकशुदा क्यों हैं? आप को अपनी पत्नी और उस के परिवार के बारे में अधिकांश तथ्य विवाह के पहले ही ज्ञात कर लेना चाहिए था और पूरी जाँच पड़ताल के उपरांत ही विवाह करना चाहिए था। लेकिन अब वह सब तो हो नहीं सकता, विवाह तो हो चुका है।
आप को अपनी पत्नी की वर्तमान स्थिति के बारे में विचार करना चाहिए। उस के पिता नहीं हैं। माँ राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त हो चुकी है। दो बड़ी बहनें तलाकशुदा हैं। यह हो सकता है कि उसे मिर्गी का रोग रहा हो। पर केवल लेवेरा 100 मि.ग्रा. का रैपर मिलना इस बात का सबूत नहीं कि उसे मिर्गी रोग ही है। यह दवा इस मात्रा में बाजार में मिलती नहीं है। इस की 250,500 मि.ग्रा. की गोलियाँ अवश्य बाजार में मिलती हैं। यदि मिर्गी रोग है भी और विवाह के पहले से है तो भी वह विवाह को अकृत या शून्य घोषित करने या तलाक का कारण नहीं हो सकता और केवल इस कारण से आप के विवाह को समाप्त भी नहीं किया जा सकता। इस का सीधा अर्थ है कि आप को अपनी पत्नी जैसी भी है उस के साथ जीवन जीना है। आप को यह भय है कि आप की पत्नी या उस के परिजन आप के विरुद्ध कोई दहेज का मुकदमा लगा देंगे। लेकिन यह सिर्फ आप की आशंका है। यह भी हो सकता है कि आप की आशंका निर्मूल हो। फिर भी आप अपनी आशंका को जैसे मुझे लिख कर भेजा है वैसे ही एक पत्र में लिख कर रजिस्टर्ड ए.डी. पोस्ट से आप के इलाके के पुलिस थाने तथा आप के इलाके के परिवार न्यायालय को प्रेषित कर दें। उस पत्र की प्रति, डाक की रसीद व प्राप्ति स्वीकृति प्राप्त होने पर संभाल कर रखें। तीसरा खंबा को भेजे गए प्रश्न और इस पोस्ट की भी प्रिंट निकाल कर रख लें। यदि भविष्य में आप की आशंका निर्मूल सिद्ध न हुई तो आप इन्हें सबूत के रूप में काम ले सकते हैं।
आप को इन परिस्थितियों में सारी आशंकाओं को निकाल कर आप इस बीमारी से उबरने में अपनी पत्नी का साथ देना चाहिए। यह आप के निर्दोष प्रेमपूर्ण व्यवहार से ही संभव है। आप अपनी ससुराल जाएँ। अपनी पत्नी और उस के परिजनों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार प्रदान करें। बताएँ कि विवाह के उपरान्त पत्नी आप की जिम्मेदारी है, उन की नहीं। अपनी पत्नी को प्रेमपूर्वक अपने साथ रखें, धैर्य पूर्वक उस की चिकित्सा कराएँ। आप का यह निर्दोष प्रेमपूर्ण व्यवहार आप की पत्नी को आप का तो बनाएगा ही साथ ही उसे रोगमुक्त होने में भी मदद करेगा। यदि आप ऐसा कर सके तो निश्चय ही आप की पत्नी भी सब कुछ छोड़ कर आप का साथ देगी। आप की पत्नी के परिजन भी आप के इस व्यवहार से संतुष्ट होंगे और स्वयं को भी बदल पाएंगे। आप को इस मामले में कभी कोर्ट कचहरी जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। मेरी और तीसरा खंबा की शुभकामनाएँ सदैव आप के साथ रहेंगी।
दिल्ली से अजय जैन ने पूछा है – On 24 April 2011.
दिनेशराय द्विवेदी ji namaskar, pahele to mai aapka dhnyawad karta hun ki aapney meri samasya ko padha aur uska jawab diya.
द्विवेदी ji, pahele to mai aapse maafi chata hun ki jesa aapne advice kiya tha ki
1- फिर भी आप अपनी आशंका को जैसे मुझे लिख कर भेजा है वैसे ही एक पत्र में लिख कर रजिस्टर्ड ए.डी. पोस्ट से आप के इलाके के पुलिस थाने तथा आप के इलाके के परिवार न्यायालय को प्रेषित कर दें। उस पत्र की प्रति, डाक की रसीद व प्राप्ति स्वीकृति प्राप्त होने पर संभाल कर रखें। तीसरा खंबा को भेजे गए प्रश्न और इस पोस्ट की भी प्रिंट निकाल कर रख लें। यदि भविष्य में आप की आशंका निर्मूल सिद्ध न हुई तो आप इन्हें सबूत के रूप में काम ले सकते हैं।
mene essa kuch nahi kiya kyoki tab wife ka behavior bilkul ghar ki bahu jaisa lagney laga tha. purey pariwar ne usko bahut pyar diya. sab kuch normal chalney laga tha.
2- mene लेवेरा 1000 मि.ग्रा. 0r 1 ग्रा. लिखा था. medicine ka naam.
3- meri 3 sister in law hai teeno meri wife se badi hai. sabsey badi siser ke barey me yeh pata chala ki uske sasural waley वेश्यावृत्ति karwatey they. meri saas badi muskil se meri saali ko wahan se nikal kar laai. yeh baat sep end 2011 ko hi pata chali aur wife ne hi muzhko batlaya tha. पर हमारे पास कोई साबुत नहीं है और यह भी नहीं मालुम की उसकी marrige कहा पैर हुई थी.
2nd sister ka ghar bana hua hai karib 18 saal ho gaye hai per mera saadu bahi bahut dhuki hai in logo se usko bahut daar hai in logo ka (karan pata nahi hai kyon?)
4- 3rd sister ka husband last 8 years se lapata hai aur apni 1 saal ki beti ko bhee le ja chuka hai dusri aurat ke karan jo humko bola gaya kewal 3rd no. ki sister ka humko batlaya gaya tha saadi se pahele apni dhukdai jindgi ka wasta dekar.
5- wife ko every month 1 fit jarur padta tha. per sabney aur mene bahut pyar diya aur aiims me tretment bhee regular karwaya. parantu,
sir, septemer 2011 se hi wife ke behavior me change aaney laga aur wo ladai zhgda sa karney lagi aur rs. ki demand karney lagi jaisey kabhee 5000/- dedo muzhko shoping karni hai to kabhee kuch aur. ab me samazney laga ki bimari ke karan chidchidi aur zhagdalu ho rahi hai. per ab samaz aaya ki maksad/ motive tha muzhko zhagda karney ke liye ukssaney ka ki mai uskey saath maar peet karun per jab mene essa kuch nahi kiya to 19 sep 2011 raat ko wife ne fir zhagda kiya. kyoki abhee tak mai bilkul shant aur chup tha tab 19-sep- ko muzsey bardaast nahi hua aur me wife per chilakar pada ki aakhir baat kya hai tu chati kya hai me 20-25 dino se dekh raha hun ki tu haroz kisi na kisi baat ko lekar issue bana rahi hai aur zhagdney lagti hai ( matlab medicine ke karan esa nahi tha jaisa mene shocha tha ) tab usney isbaat per 100 no. per call kar diya P.C.R. ghar per aa gai 10-15 min. ke baad jaate- jaatey dhire se kaan me humko kewar itna bol kar gai ki jain shab (humney dekha hai kahi per soona khota hota hai kahi per sunar per yaha to pura soona hi khota hai) yeh ladki aapko woman cell tak nachayegi. “hum sab daar chukey they” per usney bola ki ajay itna jor se chilaye to me daar gai thi fir kabhee esa nahi hoga. iske 15 din baad 6 oct 11 ko dushere waaley din boli ki muzko 2-3 din ke liye mummey ke ghar jana hai mene usko shamzaya ki diwali ke baad chali jana chaey to 8-10 din reh kar aana. per wo nahi maani aur next day morning me subha 8:00 am tak apna pura bag-bagez pack karkey teyar ho gai ki me apni mumey ke ghar jaa rahi hun. hum sabney bahut samzhaya ki ese ghar se nahi jaatey per wo chali gai ussey pahele humney uskey ghar waalo se phone per baat ki to reply meela ki wo aati hai to aaney do per fir bhee humney samzhaya per koi faaida nahi hua. is ghatna ke turant baad hi me ghar se alag ho gaya aur mene makan shift kar liya.
per mene uskey ghar waalo se shampark kiya per koi reply nahi mila tab unkey ek faimly friend (waqil./ lower Ram kumar)ne muzsey baat ki, ajay kya baat hai tum kyo zhada kartey ho me unko bola ki bhaishab essa kuch nahi hai wo hi aaj kal zhagdney lagti hai tab usney muzhko bola ki tum ek baar muzsey aakar milo me tum dono ki galat fhemi door kar dunga jab me uskey paas gaya aur usko saari baat batlai to wo bola mai samzhaunga un logo ko fir uskey baad 13-oct.2011 ko me usey apney naye ghar per leaaya unlogo ko batlakar ki mene makan shift kar liya hai. I month mere saath rahi lekin koi din esa nahi gaya jab usney muzhey kisi ns kisi baat per zhagdney ke liye na uksaya ho per mene zhagda nahi kiya per jab bardast nahi hua to 12-oct ko sum sleeping pills le li. Tab 13 oct ko wo thaney me complaint karke chali gai ram kumar ke saah. Apney ghar. Jan 2012 ko mere paas c.a.w.cell se samman aa gayai. Sabka naam daal diya hai purey pariwar ka kal 9-42012 ko mediation ki ate thi per mene demand aaney se pahele hi next date karwa li ki muzhey saath rehna hai ya nahi chochney ke liye samaye chaiye ab 30 -4 -2012 ki date hai .
jab mene apney waqil ki teesra khamba ka print out dikhaya to phad kar unhoney bola ki nahi yeh kaam ka nahi hai ismey tumhari hi giddiness / lalach show hota hai ab aap hi koi rasta dikhaye ki ab mai kya karu puri life barbaad ho gai hai.
Ek baat aur wo kisi bhee haal me ghar per aaney ko raazi nahi hai aur counselling ke time boli ki yadi mere apney personal account me 3 lakh Rs. Deposit karwaogey tabhee ghar aaungi ab aap hi advice karey ki mai kya karu aap ki ati-karipya hogi dhanyawaad sahit aapka abhari ajay jain delhi .
आप बस प्रेम, शादी, तलाक के विषय पर ही अपना जवाब देते है. कृपया आप सभी के समस्या का समाधान करे मैंने आपको ४ से ५ बार अपना समस्या बताया परन्तु लगता है की आपको प्रेम, शादी, तलाक ही अच्छा लगता है . धन्यवाद – बंटी निहाल, रायपुर छत्तीसगढ़
दिनेश राय जी , आपकी 'राय' अत्यंत उत्तम है.
देर से शादी हुई, बिन दहेज के शादी हुई,
हम उम्र से शादी हुई, हम वज़्न से शादी हुई,
बारात भी छोटी रही, कम खर्च में शादी हुई !
तन की तो कर डाली मगर, मन की नही शादी हुई
बीमारीयाँ तो जिस्म की किसको नही आती मगर,
रिश्तों पे आये आंच तो पैसो की बर्बादी हुई.
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
सिर्फ़ एक गलती कभी कभी पुरी जिन्दगी का नासूर बन जाती हे, दिनेश जी ने सही ओर उचित सलाह दी.सहमत हे
गुरुवर आपने अच्छी सलाह दी है.
श्री अजय जैन जी, जैसा गुरुवर ने कहा है-वैसा जरुर करें.
आप अपनी आशंका को जैसे मुझे लिख कर भेजा है वैसे ही एक पत्र में लिख कर रजिस्टर्ड ए.डी. पोस्ट से आप के इलाके के पुलिस थाने तथा आप के इलाके के परिवार न्यायालय को प्रेषित कर दें। उस पत्र की प्रति, डाक की रसीद व प्राप्ति स्वीकृति प्राप्त होने पर संभाल कर रखें। तीसरा खंबा को भेजे गए प्रश्न और इस पोस्ट की भी प्रिंट निकाल कर रख लें। यदि भविष्य में आप की आशंका निर्मूल सिद्ध न हुई तो आप इन्हें सबूत के रूप में काम ले सकते हैं।