पुत्री की कस्टडी मिलने या उस का विवाह होने या उस के आत्मनिर्भर न हो जाने तक गुजारा भत्ता देना होगा।
|रानाराम वीरा ने अपनी अज्ञात सैनिक पोस्टिंग से राजस्थान राज्य की समस्या भेजी है-
दोनों पक्षों की रजामंदी से विवाह पंजीकरण 14 जुलाई 2010 को नगर निगम जोधपुर में किया परंतु पत्नी ने साथ देने से मना किया और 14 मई 2011 को सामाजिक विवाह समारोह के बाद पहली बार साथ चली और 5-6 महीने में ही परेशानकर दिया। हर बार समझा कर लाता था किन्तु कई बार प्रार्थना करने के बाद भी आखिरकार आने से मना पर मैंने तलाक का केस 25 सितंबर 2012 को अडल्ट्री और डिजेरसन पर जिला अदालत जैसलमेर राजस्थान में किया, मेरे पास पत्नी के अपने प्रेमी मित्र से बात की वॉइस रिकार्ड हैं जिस में वह खुल कर अपने प्यार अपने प्रेमी को देती हैं वहीं दूसरी वॉइस रिकॉर्ड में पत्नी की माँ (मेरी सास) भी अपनी पुत्री के प्रेमी से बात करती सुनाई देती है। यह रिकॉर्ड मैंने खुद ने की हैं। जवाब में पत्नी द्वारा धारा 24 और 26 हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 में गुजारा भत्ता 02 नवम्बर 2012 को पेश किया। जज द्वारा पूछने पर पत्नी ने बताया कि वह अब अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती जिस पर जज ने बोल कर गुजारा भत्ता नहीं दिया, अब तक नहीं मंजूर किया हैं। दिनांक 20 फरवरी 2013 कोपत्नी ने एक पुत्री को जोधपुर में जन्म दिया और मेरे जाने पर पुत्री को जानसे मारने की कोशिश का आरोप लगा दिनांक 27 जुलाई 2013 को एक केस 498a और 406 जोधपुर महिला थाना में दर्ज करवाया। 6 आरोपियों में से पुलिस नेअनुसंधान में बाकी को बरी कर सिर्फ पति के खिलाफ चालान 04 फर 2014 को पेशकिया ।दिनांक 27 अक्तूबर 2013 को मेरी वायुसेना यूनिट को पत्र भेज कर मेरे खिलाफ कानूनी कार्यवाही और मेरी वेतन से गुजारा भत्ता मांगा जिस पर मुझे लिखित नोटिस मात्र 1 दिन का समय देकर जवाब देने को कहा, अपर्याप्त समय से जवाब सही दिया किन्तु साक्ष्य नहीं दे पाया जिस पर वायु सेना प्रमुख ने एकतरफा कार्यवाही और अदालती कार्यवाही को दरकिनार करते हुए रुपए 7600/- पत्नी और पुत्री को देना अगस्त 2014 से प्रभावी किया जिसका आदेश 25 जुलाई 2014 कोपारित है परंतु आज तक इसकी असली प्रति नहीं मिली हैं। अन्य तरीके से प्राप्त प्रति मेरे पास है। यह राशि हर माह वायुसेना के लेखा कार्यालय द्वारा स्वत: ही काट ली जायेगी। आर्म्ड फोर्स ट्राइबुनल ऐसे मामलों मेंकेवल टाइम पास करती हैं। कृपया मदद करें इसे केसे रोका जा सकता हैं?
समाधान-
आप उक्त आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त कीजिए। आप के पास जो प्रति है उस में आदेश किस अधिनियम या नियम की किस शक्ति के अन्तर्गत वायु सेना प्रमुख ने पारित किया है यह जानकारी आप को होगी। आप ने अपने अपनी समस्या में उस का उल्लेख नहीं किया है। जिस के कारण स्पष्ट सुझाव देना असंभव है।
आप के पास आदेश की जो प्रति है उसे अपने वकील को उक्त आदेश की प्रति भेज कर अथवा जहाँ आप पोस्टिंग है वहाँ किसी ऐसे वकील को जो सेना से संबंधित मामलों को देखता है दिखा कर पता करें कि उस आदेश को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है।
यदि आप का आदेश एक कोर्ट मार्शल आदेश है तो उस का उपाय आप को आर्म्ड फोर्स ट्राइबुनल के सामने अपील करना है। आप अपील के साथ एक आवेदन यह प्रस्तुत कर सकते हैं कि अपील की सुनवाई तक वायु सेना प्रमुख के मेंटीनेंस आदेश को स्थगित रखे जाने का आदेश दिया जाए। यदि ट्राइबुनल इस तरह का आदेश नहीं देती है तो इस बात की संभावना बनती है कि उस आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष सिविल रिट में चुनौती दी जाए और आदेश की पालना पर रोक लगवाई जाए।
आप ने यह नहीं बताया कि आप का कुल मासिक वेतन कितना है और उक्त भत्ता 7600/- रुपया क्या केवल पुत्री के लिए दिलाया गया है या पत्नी और पु्त्री दोेनों के लिए दिलाया गया है। यदि केवल पुत्री के लिए दिलाया गया है तो आप को कहीं भी किसी तरह की कोई राहत तब तक प्राप्त नहीं होगी जब तक कि आप पुत्री के लिए गुजारा भत्ता परिवार न्यायालय से निर्धारित नहीं करवा लेते हैं। पत्नी को गुजारा भत्ता दिलाने से न्यायालय भले ही इन्कार कर दे लेकिन पु्त्री के लिए गुजारा भत्ता तो आप को तब तक देना होगा जब तक आप को उस की कस्टड़ी नहीं मिल जाती या उस का विवाह नहीं हो जाता है या वह आत्मनिर्भर नहीं हो जाती है। आप की स्थितियों में पुत्री की कस्टड़ी आप को प्राप्त होना संभव प्रतीत नहीं होता है।