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भाभी को उस के मायके वालों के बंदीकरण से छुड़ाने के लिए कार्यवाही करें..

समस्या-

यश छातर ने कैथल, हरियाणा से समस्या भेजी है कि-

domestic_violenceमेरे भाई की पत्नी ने मेरे भाई माँ बाप के खिलाफ 498A , 506 , 406 का एक मामला दायर किया हुआ है। जो कि तीन साल से कोर्ट में चल रहा है एक छोटे भाई को पुलिस जाँच में निकाल दिया गया था। वास्तविकता ये है कि मेरी भाभी को शादी के 3 -4 महीने बाद कुछ दौरे पड़ने लगे थे, वो कभी भी कही भी गिर जाती थी। जबकि ये दौरे शादी के पहले भी पड़ते थे पर हम ये प्रमाणित नहीं कर सकते। हम उसका इलाज करवाने के लिये मनोरोग विशेषज्ञ के पास ले गए वो एक बार तो वहाँ गयी उसके बाद जाने से मना कर गयी। काफी समझाने पर भी नहीं गयी! उस डॉक्टर की पर्ची हमारे पास है, उस के बाद फिर दूसरे मनोरोग विशेषज्ञ के पास ले गए वहां भी एक बार गयी, दोबारा नहीं। उसकी पर्ची भी हमारे पास है। जब उस को फिर से डॉक्टर के पास जाने के लिए कहा तो उस ने मिटटी का आयल पी लिया और उसका इलाज गाँव के ही एक बीएएमएस डॉक्टर ने किया! क्या बीएएमएस डॉक्टर की गवाही हो सकती है? क्यों कि उसी के कहने पर हम उसको मनोरोग विशेषज्ञ के पास ले गए थे! जब उस से इस का कारण पूछा तो बोली कि मुझे कुछ पता नहीं है, पता नहीं मुझे क्या हो जाता है? सभी घटनाएँ होते ही हम उनके घर वालो को बुला लेते थे और उन से इन सब घटनाओं के बारे में पूछने को कहते थे । तो वो कहते थे की ये जानबूझ कर ऐसा करती है, आप उसको डाँट कर रखें। लेकिन हमने ये उचित नहीं समझा। क्यों कि हमें ऐसा कुछ नहीं लगता था और वो हमारे साथ बिलकुल मिलीजुली हुई थी, घर में किसी प्रकार का झगड़ा भी नहीं था! कुछ दिन बाद उसके घर वाले बोले कि इस पर किसी भूत प्रेत का साया है, तो ये बात हम ने उन की नहीं मानी जिससे वो नाराज हो गए! हमारा परिवार पढ़ा लिखा परिवार है हम भूत प्रेत में विश्वास नहीं रखते। मेरे पिताजी पहले जन स्वास्थ्य रक्षक थे और छोटा भाई एमपीएचडब्लू है इसलिए वो और हम डॉक्टरी इलाज में विश्वास रखते हैं। एक बार उसने खेत में डालने वाली दवाई पिने की कोशिश की जो हमने उससे छीन ली थी! उस के बाद एक दिन सुबह चार बजे बहुत धुंध थी तो वो घर से निकल कर पास के एक गांव में चली गयी वहाँ तक जाने पर सवेरा हो गया। लोगो ने सोचा की कोई पागल है। जब हम ने देखा कि वो नहीं है तो उस को ढूंढ़ना आरंभ किया और उसके घर वालों को बुलाया गया! उस रात मेरा भाई संविदा आधार पर फायर ब्रिगेड में नौकरी पर था! इतने में एक बुढ़िया ने मेरी भाभी को अपने पास बुला कर सब कुछ पूछा तो उस ने उस बुढ़िया को बताया कि मुझे पता नहीं क्या हो जाता है और मुझे कुछ पता नहीं रहता है कि मैं क्या कर रही हूँ! जब बुढ़िया ने पूछा कि कोई ससुराल में तंग करता है क्या तो उसने बताया नहीं मुझे कोई तंग नहीं करता है बल्कि ससुराल वाले तो मेरे मायके वालों से भी ज्यादा प्यार करते हैं और मैं मायके की बजाय ससुराल जाना पसंद करुँगी। तब उस बुढ़िया ने उससे मेरे भाई का नंबर लेकर उसको बताया! तब तक भाभी का मामा, चाचा और भाई भी आगये! जब मेरा भाई उसका चाचा, मामा व उसका भाई उसको लेने गए तब उस बुढ़िया ने सब कुछ उन लोगों को भी बताया जो मेरी भाभी ने उस बुढ़िया को बताया था! बुढ़िया गवाही पर जाने में असमर्थ है। अब उसका लड़का जाना चाहता है पर वो मोके पर नहीं था। क्या उसके लड़के को ले जाया जाये? जब वो लोग उसको लेकर मेरे घर आये तो उसके भाई ने अपनी बहन को मेरे घर पर पीटना शुरु कर दिया। हम लोगों ने उसका विरोध किया तो वो हमारे साथ भी झगड़ा करने लगा! वो अपनी बहन को अपने घर ले जाने लगा तो भाभी ने मना कर दिया। लेकिन वो जबरदस्ती उसको पीटते हुए ले जाने लगा तब एक पड़ोसन ने उसको रोका भी लेकिन वो नहीं माना और उस को जबरदस्ती ले गया! क्या उस पड़ोसन की गवाही करवाई जाये? उस के बाद हम कई बार उस को लेने के लिए वहाँ गए, रिश्तेदारों को लेकर भी गए। लेकिन वो नहीं माने! उस के बाद उन्होंने 498A , 506 , 406 की दरख्वास्त दी तब फिर पंचायत हुई! पंचायत में उन्होंने तीन मांग रखी की (1) जहाँ उसका पति नौकरी करता है लड़की उस शहर में रहेगी, जो हमने मान ली। (2) गांव के 2 लोग अगर लड़की के साथ कोई घटना होगी तो जिम्मेवार होंगे सरपंच व नम्बरदार, जो हमने मान ली। (3) जो हिस्सा मेरे भाई को पिता की सम्पति में से बनता है वह मेरे भाई की पत्नी के नाम किया जाये, वो हम ने नहीं माना क्यों कि ये उनके लालच को दर्शाता था! एक बार फिर पंचायत हुई तो उन्होंने तलाक के लिए 18 लाख की मांग की जो हमने मना कर दिया क्योकि हम तलाक नहीं चाहते है और हम उसको अपने घर लाना चाहते हैं और वो कभी भी पंचायत में नहीं आई है। अभी मामला कोर्ट में है उन की गवाही होने वाली है पुलिस की गवाही हो चुकी है। हम भरण पोषण 2000/- महीना भी नहीं दे रहे हैं जिस की मांग घरेलू हिंसा अधिनियम के अनुसार की गयी थीष 125 का कोई केस नहीं है। भाई का एक 5 साल 4 महीने का लड़का भी है जो भाभी के पास ही है। भरण पोषण हम उनके लालच के कारण नहीं दे रहे हैं, मामला तीन साल से चल रहा है भाई को भरण पोषण के लिए कोर्ट द्वारा जेल भी नहीं भेजा गया है भरण पोषण के लिए भाई को कितने दिन की जेल हो सकती हैं, और मामले के अंत में भरण पोषण की राशि का क्या होगा? भाई के नाम कोई सम्पति नहीं है! 406 को मजबूत करने के लिए कुछ सामान तो वो ले गए। कुछ सामान छोड़ गए। पुलिस ने 173 की रिपोर्ट में दिया है कि बाकी सामान पति द्वारा बेच दिया गया है। क्या इसका कोई फरक पड़ेगा? क्या हमें प्रोबेशन का लाभ मिल सकता है? वो 319 की दरख्वास्त कब तक लगा सकते हैं?

समाधान-

स मामले में आप के परिवार से सब से बड़ी त्रुटि यह हुई है कि जब जब भी आप की भाभी को दौरा पड़ा तब तब आप ने उन के मायके वालों को बुला लिया। आप के उक्त विवरण से ऐसा प्रतीत होता है कि आप की भाभी की परवरिश में खुद उस के मायके वालो ने पर्याप्त भेदभाव किया। जिस के कारण हो सकता है वह द्विव्यक्तित्व विकार के रोग की शिकार हो गई हो। उस के मायके वाले अंधविश्वासी प्रकृति के हैं इस कारण वे यह मानते रहे हों कि उस पर भूत-प्रेत का असर है अथवा वह नाटक करती है। इस तरह के अंधविश्वासी लोग रोगी के शरीर में किसी अन्य व्यक्तित्व को मान कर उस के साथ मारपीट करना ही उस की चिकित्सा मानते हैं। आप की भाभी अपने पति और ससुराल वालों पर भरोसा करती रही क्यों कि उसे यहाँ प्यार मिला। लेकिन द्विव्यक्तित्व विकार की हर घटना पर उस के मायके वालों को बुला लेने ने आप के परिवार के प्रति उस के विश्वास को आघात पहुँचाया। सब से बड़ी त्रुटि यह हुई कि जब अन्तिम बार भाभी का भाई आया और भाभी को पीटने लगा तो आप ने रोका लेकिन फिर भी वह उसे पीटता हुआ उस के मायके ले गया, तब वह एक अपराध कर रहा था। आप को चाहिए था कि आप उस के भाई की तुरन्त पुलिस रिपोर्ट करते और आप की भाभी को वहाँ से ले जाए जाने से रोक लेते। खैर¡

स बार मायके चले जाने के बाद आप की भाभी को उस के मायके वालों ने अपने प्रभाव में ले कर अपराधिक मुकदमा और घरेलू हिंसा अधिनियम की कार्यवाही करवा दी। अब आप सभी खुद को फँसा हुआ महसूस करते हैं। इस समस्या का एक ही हल हो सकता है कि आप की भाभी अपने बच्चे के साथ आप के परिवार में फिर से रहने आ जाए। उस के लिए आप ने क्या कार्यवाही की यह आप ने बिलकुल नहीं बताया।

मारी राय है कि आप की भाभी को आप के घर से उस के मायके वाले जबरन उस की इच्छा के विरुद्ध ले कर गए थे। वह उस की इच्छा के विरुद्ध उस के मायके में रह रही है। उस के परिजन किसी भी स्थिति में उस से पीछा छुढ़ाना चाहते हैं या फिर यह चाहते हैं कि किसी भी तरह से आप के भाई अपनी पत्नी और बच्चे का खर्चा उन्हें देते रहें।

प की भाभी अपने मायके में बंदी है। अभी भी आप के भाई उच्च न्यायालय के समक्ष एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका प्रस्तुत कर अपनी पत्नी को मुक्त करवा कर वापस लाने के लिए कार्यवाही कर सकते हैं। यदि आप की भाभी किसी भी तरह से आप के परिवार में आ जाती है तो उक्त सभी मुकदमे समाप्त होने का आसान मार्ग निकल सकता है।

फिलहाल 498ए के मुकदमे में आप बीआईएमएस डाक्टर की गवाही प्रस्तुत कर सकते हैं। दोनों मनोरोग चिकित्सकों के पर्चे प्रस्तुत कर सकते हैं संभव है तो उन में से किसी एक मनोरोग विशेषज्ञ की भी गवाही करवाई जा सकती है। वह बुढ़िया जिस के यहाँ जा कर आप की भाभी रही थी। अच्छी प्रत्यक्षदर्शी गवाह है। उस का पुत्र उस का स्थान नहीं ले सकता। लेकिन फिर भी आप उस के पुत्र की गवाही कराएँ। यदि बुढ़िया जाने में असमर्थ है तो उसे ले जाने के साधन जुटाए जा सकते हैं या फिर उस का बयान कमीशन पर कराने के लिए न्यायालय को आवेदन किया जा सकता है। हाँ आप पड़ौसन की गवाही अवश्य करवाएँ।

प की भाभी का कुछ स्त्रीधन पुलिस ने बरामद किया कुछ नहीं किया उस से अपराधिक मुकदमे पर कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि धारा 406 का अपराध साबित होना होगा तो वह दो सामानों की बरामदगी पर भी साबित हो जाएगा। मुझे आप के मुकदमे में धारा 319 का आवेदन प्रस्तुत करने की कोई गुंजाइश नहीं लगती। वैसे यह आवेदन मुकदमे में निर्णय होने के पहले तक कभी भी प्रस्तुत किया जा सकता है। पर हमे लगता है कि ऐसा आवेदन सफल नहीं होगा।

बंदी प्रत्यक्षीकरण के साथ साथ आप के पति हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 में भी दाम्पत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस मामले में न्यायालय काउंसलिंग कराएगा जिस में आप के भाई के समक्ष यह अवसर होगा कि वे पत्नी को अपने साथ चलने के लिए सहमत कर लें और न्यायालय उन की पत्नी को उन के साथ भेज दे। यदि ऐसा होता है तो बच्चा तो अपने आप उन के साथ आ जाएगा। सारे मुकदमों की समाप्ति भी हो सकेगी।

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