मुस्लिम पुरुष का दूसरा विवाह कानून से रोक पाना संभव नहीं।
|समस्या-
फऱहा ने सूरत गुजरात से समस्या भेजी है कि –
मैं मुस्लिम लड़की हूँ। मैं ने अपने पति पर 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत केस किया है। उन्होंने मुझे कुछ समय पहले तलाक़ नामा भेजा वो इस्लाम के हिसाब से सही तलाक़ नहीं है। मैं जानना चाहती हूँ कि क्या मैं उन को दूसरी शादी करने से रोक सकती हूँ? वो दूसरी लड़कियाँ देख रहे हैं और शादी करेंगे। तो क्या क़ानूनी या किसी भी तरह से मैं उन को रोक सकती हूँ? उन का वेतन 45000 प्रतिमाह है उन की जिम्मेदारी में उन की माँ है और उन के 5 भाई दूसरे भी हैं ओर मेरा एक 3 साल का बेटा है तो मुझे कितना पैसा मिल सकता है।
समाधान-
यदि आप का तलाक इस्लाम के हिसाब से सही नहीं है तो न्यायालय भी इसे तलाक नहीं मानेगा। भारतीय न्यायालयों का मानना है कि पहले तलाक के उपरान्त बिना समझाइश की प्रक्रिया के अन्तिम तलाक देने से तलाक नहीं होता। ऐसे तलाकों को भारतीय न्यायालयों ने अकृत तलाक माना है।
इस्लामी विधि शरीया के अनुसार है। जिस में एक पुरुष एक साथ चार पत्नियाँ रख सकता है। इस तरह एक मुस्लिम पुरुष एक विवाहिता के होते हुए भी तीन और विवाह कर सकता हैं। दूसरा विवाह करने के लिए किसी मुस्लिम पुरुष को उस की पहली पत्नी की अनुमति लेना भी जरूरी नहीं है। इस कारण से किसी प्रक्रिया के द्वारा किसी मुस्लिम पुरूष द्वारा किए जाने वाले दूसरे निकाह को रोक पाना संभव नहीं है।
आप के पति पर उस की माँ और आप के पुत्र की जिम्मेदारी है। पाँच भाई यदि अवयस्क हैं तो उन की जिम्मेदारी भी मानी जाएगी। यदि सब के पालन पोषण की जिम्मेदारी भी आप के पति की मानी जाए तब भी धारा 125 के अन्तर्गत रुपये 5000 से 10,000 तक भरण पोषण राशि प्रतिमाह आप को अपने पति से प्राप्त हो सकती है।
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