वकील का चुनाव ठीक से करें।
रविन्द्र कुमार ने दिल्ली से पूछा है-
मेरे छोटे भाई का विवाह 2012 में हुआ। वो और उसकी पत्नी हमारे साथ 3 महीने रहे फिर भाई की पत्नी को को शक होने लगा की उसके सम्बन्ध भाभी के साथ है, जिस कारण मेने भाई को अलग कर दिया और अख़बार में भी निकलवा दिया कि हमारा उनसे कोई लेने देना नही है। वो तक़रीबन 3 साल अलग किराये पर रहे। दोनों का आपस में कोई विवाद हो गया और 498, 406 आईपीसी में प्रथम सूचना रिपोर्ट हुई। अभी ये केस कोर्ट में नही लगा है। पर स्त्री धन वापसी का चल रहा है और दोनों केसों में मेरे पूरे परिवार का नाम है। सामान कोर्ट के आदेश पर वापस हो गया है। पर वो कहते हैं कि हमारा सामान लड़के के परिवार के पास है जो कि दिया ही नही गया। उन ने झूठे बिल बना के जाँच अदिकारी को दिए। विवाह में कोई वीडियो फोटो नहीं हुआ। वो और हम दोनों गरीब परिवार हैं। फिर भी तक़रीबन 10 लाख का स्त्री धन लिखा रखा है जो कि दिया ही नहीं गया। अब मैं क्या करूँ समझ नहीं आता? हमारी अग्रिम जमानत हो चुकी है। क्या मुझे और मेरे परिवार को अरेस्ट किया जा सकता है? अगर हाँ तो मुझे क्या करना चाहिए? जो लिया ही नहीं वापस कैसे करूँ कृपया मार्गदर्शन करें।
समाधान-
पति-पत्नी में विवाद हो जाने पर 498 ए व 406 आईपीसी की शिकायत दर्ज कराना आम बात हो गयी है। ऐसी शिकायतों में कई बार केवल 10 प्रतिशत सचाई होती है। लेकिन शिकायत की है और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होगी तो उस का अन्वेषण पुलिस को करना पड़ेगा। पुलिस अन्वेषण के दौरान जान जाती है कि कितनी सचाई है और कितनी नहीं। आम तौर पर केवल पति के विरुद्ध ऐसा मुकदमा प्रमाणित दिखाई देता है और आरोप पत्र भी उसी के विरुद्ध प्रस्तुत होता है। आप को अभी चाहिए कि आप पुलिस अन्वेषण में पूरा सहयोग करें और पुलिस को आरोप पत्र प्रस्तुत करने दें। पुलिस भी नहीं चाहती कि जिस मुकदमे में वह आरोप पत्र प्रस्तुत करे उस में अभियुक्त बरी हो जाए।
आप ने खुद लिखा है कि आप की अग्रिम जमानत हो चुकी है। इस का अर्थ है कि पुलिस आप को गिरफ्तार नहीं करेगी। बस जिस दिन आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करेगी उस की सूचना आप को देगी और आप को न्यायालय में उपस्थित हो कर जमानत करानी पड़ेगी। उस के बाद मुकदमा चलता रहेगा।
झूठे आरोपों को साबित करना आसान नहीं होता। यदि आरोप झूठे हैं तो पुलिस ही आरोप पत्र सब के विरुद्ध प्रस्तुत नहीं करेगी। यदि पुलिस ने आरोप पत्र प्रस्तुत कर भी दिया तो तो भी अभियोजन पक्ष मुकदमे को साबित नहीं कर पाएगा तो सभी लोग बरी हो सकते हैं।
आप की जरूरत सिर्फ इतनी है कि आप कोई वकील ऐसा करें जो आप के मुकदमे की पैरवी मेहनत से करे, मुकदमे पर पूरा ध्यान दे। यदि वकील ठीक हुआ तो यह झूठा मुकदमा समाप्त हो जाएगा। इस लिए आप वकील का चुनाव करने में पूरा ध्यान दें। जब भी आप को लगे कि आप का वकील लापरवाही कर रहा है या मेहनत नहीं कर रहा है तो वकील बदल लें।
हम लोग अपने पत्रिका सदिनमा में
कुछ छपना चाहते हैं
कृपया मारगदरशन करेंlkolkata
jitendra
jitanshu
9231848289
जब भी आप को लगे कि आप का वकील लापरवाही कर रहा है या मेहनत नहीं कर रहा है तो वकील बदल लें।……………….
वकील का पहचान कि कौन-कैसा है, यह बहुत ही मुश्किल काम है। आज स्थिति यह है कि लोग विश्वास करके वकील को अपना केस दे देता है। पर वही वकील विपक्षी से मिल जाता है और जान बूझकर अपने ही मुवक्किल को उसी के केस में और फँसा देता है या उसकी हार व विपक्षी की जीत करा देता है। …………….. मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि हरेक वकील ऐसा होता है। पर ऐसी स्थिति में सही वकील को पहचानना बहुत ही मुश्किल काम है।
………. चर्चा चली तो कृपया यह बता दीजिये कि यदि कोई वकील अपने ही मुवक्किल को धोखा में रखकर विपक्षी से मिल जाये या जानबूझकर अपने ही मुवक्किल का पक्ष कमजोर कर दे तो ऐसी स्थिति में उस वकील के खिलाफ किस प्रकार और क्या कार्रवाई की जा सकती है?
भाई, वकीलों के खिलाफ कार्यवाही ? अच्छा मजाक है. वकील के खिलाफ आप किसको खड़ा करेंगे ? कम से कम हमारे देश में तो ऐसा सम्भव नहीं है. चोर, चोर मौसरे भाई की कहावत तो आपने सुनी ही होगी…बाकी कुछ वकीलों की कार्यशैली ने इस पेशे को कोटे की वेश्या बना दिया है. हमारे देश व्यवस्था में इनको सजा दिलवाना बहुत दूर की कोड़ी है भाई मेहश कुमार वर्मा जी.
वकील की गलती या विश्वासघात , से मुवक्किल को कितना कष्ट सहना पड़ता है इसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है ।